MP BJP :इंदौर में अचानक हुई BJP की उच्च स्तरीय गोपनीय बैठक के मायने समझिए!

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मध्य प्रदेश की भाजपा राजनीति में कुछ ऐसा जरूर घट रहा है, जो अभी तक सामने नहीं आ रहा है या लाया नहीं जा रहा! हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि राजनीति का पारा अंदर ही अंदर खदबदा रहा है, जिसे बाहर आने से रोकने की कोशिशें जारी है। इस तरह की एक कोशिश सोमवार देर रात इंदौर में भी हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन के उच्च स्तरीय नेताओं का अचानक इंदौर आकर भाजपा के ताकतवर संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ बैठक करके वापस लौटना, सहज बात नहीं है। ये बैठक इतनी गोपनीय रही, कि इसमें स्थानीय मंत्रियों, विधायक सहित किसी स्थानीय नेता को भी शामिल नहीं किया गया। सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश के होते हुए राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का बैठक बुलाया जाना किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। क्या ये माना जाए कि मामला शिव प्रकाश के हाथ से निकल चुका है!

इस बैठक में कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा को बुलाया जाना सियासी गलियारों में महत्वपूर्ण मसला है। नरोत्तम मिश्रा अकेले मंत्री हैं, जो बैठक में शामिल थे। जबकि, वे संगठन के पदाधिकारी भी नहीं हैं। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि क्या कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा के लिए कोई संदेश देने के लिए बीएल संतोष ने इस बैठक को इंदौर में किया! संगठन के जो नेता सोमवार देर रात इंदौर में मिले और बैठक की, वे सभी भोपाल में मिल चुके थे। फिर क्या कारण था, कि बीएल संतोष ने सबको बैठक के लिए इंदौर बुलाया। बताते हैं कि संतोष भोपाल से ही इंदौर आए थे।

इंदौर में बिना किसी पूर्व सूचना के संगठन की बैठक का होना राजनीतिक रूप से मायने रखता है और इसे छुपाया नहीं जा सकता! बैठक की जानकारी को इतना गोपनीय रखा गया था कि मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल के मुताबिक पुलिस का इंतजाम भी उनके भाजपा कार्यालय पहुंचने के बाद हुआ। बैठक का एजेंडा भी गोपनीय रहा और जो बताया गया वो किसी के गले नहीं उतर रहा। राजनीतिक नजरिए से अचानक बैठक का होना, कई नए संदेहों को जन्म देता है।

इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश संगठन सह महामंत्री हितानंद शर्मा शामिल हुए। रात करीब 9 बजे शुरू हुई ये बैठक देर रात तक चली। मुख्यमंत्री एयरपोर्ट से सीधे भाजपा कार्यालय पहुंचे, जो पहले से तय नहीं था और न किसी को सूचना थी। किसी विधायक को भी बैठक में नहीं आने दिया गया। बिना बुलाए मालिनी गौड़ भाजपा दफ्तर पहुंची उन्हें बाहर से ही लौटा दिया गया। यानी कुछ तो ऐसा था, जिसे गोपनीय रखा जाना जरुरी था। बार-बार आखिर यह प्रश्न उठ रहा है कि जब यह सारे नेता भोपाल में दिन में मिल चुके थे तो रात में अचानक इंदौर में यह बैठक फिर से क्यों बुलाई गई जिसके लिए मुख्यमंत्री विशेष तौर पर भोपाल से इंदौर बुलाए गए।

बताया गया कि भोपाल में हमेशा यह खतरा बना रहता है कि इस तरह की बैठकें होने के बाद कई तरह की बातें सामने आती है। बताया गया है कि पूर्व में इसी मुद्दे को लेकर पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर के प्रति नाराजी भी जाहिर की थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनसे पूछताछ भी की गई थी, कि जब बीएल संतोष राजधानी में थे तो वे भोपाल छोड़कर क्यों चले गए थे।

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जानकार बताते हैं कि इंदौर में आयोजित इस उच्च स्तरीय गोपनीय बैठक में कई राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। लेकिन, बैठक के बाद बताया गया कि भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष के तहत संगठन को मजबूत करने को लेकर चर्चा की गई। जबकि, कुशाभाऊ ठाकरे शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की संयोजक सुमित्रा महाजन को बनाए जाने की बात चली थी, पर उन्हें भी इस बैठक में नहीं बुलाया गया। सोचने वाली बात है कि क्या ये इतना गोपनीय मामला है, कि विधायकों को भी इससे दूर रखा जाए और सारे दिग्गजों को भोपाल छोड़कर इंदौर में अचानक इकट्ठा होना पड़े। दरअसल, बैठक का एजेंडा इतना महत्वपूर्ण और गोपनीय था कि उसे सबसे छुपाया गया।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने जानकारी दी कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष प्रदेश के तीन दिन के प्रवास पर हैंl उन्होंने बैठक ली और इसी सिलसिले में सभी लोग इंदौर आए हैं। संतोष मंगलवार को उज्जैन जाएंगे और फिर इंदौर आकर प्रबुद्धजनों से चर्चा करेंगे। रात की बैठक का मुख्य एजेंडा तो कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी वर्ष को लेकर रहा। जन्म शताब्दी वर्ष के तहत संगठन के सुदृढ़ीकरण और विस्तार ही प्रमुख विषय रहे, जिन पर विस्तार से चर्चा की गई। यह साल संगठन का पर्व है, जिसके तहत ठाकरेजी की जन्म शताब्दी वर्ष के रूप में तैयारी की जा रही है। आने वाले समय में संगठन को ताकतवर बनाने पर और ज्यादा काम किया जाना है।

लंबे समय बाद यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री और संगठन के दिग्गज पदाधिकारी इंदौर के भाजपा कार्यालय में इकट्ठा हुए और बैठक ली। शाम को विधायक रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री की अगवानी करने जरूर पहुंचे थे, पर ये बैठक में नहीं थे। पार्टी के स्थानीय नेताओं के बीच भी ये बैठक चर्चा का विषय है, पर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं। जानकारी के मुताबिक मंगलवार शाम को बीएल संतोष फिर नेताओं से बातचीत करेंगे। वे इंदौर में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से भी अकेले में मुलाकात करेंगे। कुछ ऐसा ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपनी इंदौर यात्रा के दौरान किया था।

इस बैठक को महत्वपूर्ण इसलिए माना जा रहा है, कि प्रदेश भाजपा में आदिवासियों को लेकर अचानक सरगर्मी बढ़ गई है। भोपाल में आदिवासियों के लिए प्रधानमंत्री की मौजूदगी में बहुत बड़ा जनजातीय गौरव दिवस होना। फिर 4 दिसंबर को पातालपानी में टंट्या मामा को लेकर बड़े कार्यक्रम का आयोजन महज कार्यक्रम तक सीमित नहीं है। इसके पीछे के राजनीतिक मंतव्य को समझा जाना जरूरी है। क्या कारण है कि भाजपा संगठन और सरकार को अचानक टंट्या मामा की याद आई और सारा माहौल आदिवासियों को साधने में लग गया! सोमवार देर रात की बैठक और टंट्या मामा का 4 दिसंबर का आयोजन कई सारे संकेत देता है, बस उसे समझने के लिए अगले विधानसभा चुनाव को निशाने पर लेना होगा। प्रदेश में भाजपा को इस बात का अहसास भी हो गया, कि बिना आदिवासियों और आदिवासी नेताओं को साधे अगले चुनाव में झंडा गाड़ना आसान नहीं होगा! सारी कवायद इसी को लेकर है।