Election Fever : Indore-3 : जीत की चाभी व्यापारी वर्ग के हाथ, मुद्दे हमेशा बदलते रहे!

575

Election Fever : Indore-3 : जीत की चाभी व्यापारी वर्ग के हाथ, मुद्दे हमेशा बदलते रहे!

हेमंत पाल की रिपोर्ट

इंदौर शहर की यह सीट व्यापारी वर्ग बहुल इलाका है। आकार में इसे सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र कहा जा सकता है। इस क्षेत्र में वे कॉलोनियां आती है, जिनमें अग्रवाल, वैश्य, माहेश्वरी और जैन आबादी ज्यादा है। कभी यहां मराठी समाज के लोग भी रहते थे, पर अब यहां वे ज्यादा नहीं बचे। ऐसी स्थिति में यहां चुनाव को प्रभावित करने वाले व्यापारी वर्ग ही हैं।

यहां से विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस के अश्विन जोशी ने लगातार दो बार चुनाव जीता। लेकिन, 2018 का चुनाव वे हार गए थे। भारतीय जनता पार्टी के आकाश विजयवर्गीय ने यहां कड़े मुकाबले में उनसे जीत दर्ज की थी। लेकिन, इस बार इंदौर-3 की यह विधानसभा सीट भाजपा के लिए चुनौती है। परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह वोटर तय करेंगे।

WhatsApp Image 2023 10 19 at 20.05.34

2018 में भी इस सीट पर कुल 51% वोट पड़े थे और भाजपा के आकाश विजयवर्गीय ने सारे संसाधन झोंककर कांग्रेस के अश्विन जोशी को सिर्फ 6 हज़ार वोटों के अंतर से हराया था। यह सीट एक तरह से भाजपा की प्रयोगशाला रही है। जब किसी नेता की सीट बदली जाती है, तो उसे इस विधानसभा क्षेत्र में भेज दिया जाता है। उषा ठाकुर को भी जब 2013 में क्षेत्र क्रमांक-1 से हटाया गया, तो उन्हें इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाया गया था।

क्या कहता है चुनावी इतिहास

आपातकाल के बाद 1977 में यहां से जनता पार्टी के राजेंद्र धारकर ने चुनाव जीता था। लेकिन, 1980 के विधानसभा चुनाव में हालात बदल गए और कांग्रेस के महेश जोशी ने चुनाव जीत लिया। 1985 में भी महेश जोशी ने अपनी जीत का सिलसिला बरक़रार रखा। किंतु, इसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में व्यापारी वर्ग से भाजपा के छात्र नेता गोपीकृष्ण नेमा ने चुनाव लड़ा और महेश जोशी की जीत का सिलसिला तोड़ा। 1993 में गोपीकृष्ण नेमा फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। पर, 1998 में महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर फिर यहाँ के राजनीतिक समीकरण बदल दिए। इसके बाद वे 2003 और 2008 में भी इसी सीट से चुनाव जीते।

WhatsApp Image 2023 10 19 at 20.05.34 1

ये वो समय था, जब प्रदेश में भाजपा चारों तरफ जीत का परचम फहरा रही थी और कांग्रेस सिमटकर दुबक गई थी। लेकिन, 2013 में सीट बदलकर इस विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी उषा ठाकुर ने अश्विन जोशी की जीत पर रोक लगाई! इसके बाद 2018 में भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को यहाँ से उम्मीदवार बनाया, जो सारे संसाधन जुटाकर भी अश्विन जोशी को बमुश्किल 6 हज़ार वोटों से हरा सके थे।

2023 के संभावित उम्मीदवार

विधानसभा का यह क्षेत्र भी ऐसा है, जहाँ कांग्रेस का जनाधार तो है, पर 2018 के चुनाव में उसमें सेंध लग गई! यहाँ से लगातार दो बार विधायक रहे अश्विन जोशी को इस बार पार्टी टिकट देने के मूड में नहीं लगती। ऐसे में स्व महेश जोशी के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जा रहे उनके बेटे पिंटू उर्फ़ दीपक जोशी का दावा मजबूत है। यहां से कांग्रेस के अरविंद बागड़ी ने भी कोशिश की, पर बात बनती नजर नहीं आ रही। पिंटू जोशी जो नाम सामने आ रहे हैं, वे ऐसे नहीं हैं कि भाजपा को उखाड़ सकें।

WhatsApp Image 2023 10 19 at 20.05.35

भाजपा ने इस बार आकाश विजयवर्गीय के नाम पर इसलिए विचार नहीं किया, क्योंकि उनके पिता कैलाश जोशी को शहर की विधानसभा-1 से उम्मीदवार बना दिया गया। ऐसे में गोलू शुक्ला और गोविंद मालू के नाम आगे आए हैं। भाजपा से पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने भी अपने परिवार के लिए टिकट मांगा था, पर उसका कोई आधार नहीं था।