भाजपा की पांचवी सूची में भिण्ड जिले के दोनों वर्तमान विधायकों के टिकिट कटे, एक तो राज्यमंत्री भी
भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट
भिंड: भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित की गई 92 उम्मीदवारों की सूची में आखिरकार भिंड के मेहगांव विधानसभा से वर्तमान विधायक राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया का आखिरकार टिकट काट दिया गया और सर्वे में ऊपर रहे राकेश शुक्ला को टिकट दे दिया गया है। वही भिंड में भी वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह का टिकट काटकर पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह को दे दिया गया है। 2018 के चुनाव में संजीव सिंह कुशवाह भाजपा को छोड़कर बसपा से चुनाव लड़े थे और रिकॉर्ड मतों से जीते थे। बाद में वह बसपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन भाजपा ने उन्हें फिर से तवज्जो नहीं दी।
आपको बता दें कि नरेंद्र सिंह कुशवाह पिछली बार समाजवादी पार्टी से मैदान में उतरे थे और तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि भाजपा से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी मैदान में थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार राकेश चौधरी कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। राकेश चौधरी इससे पहले कांग्रेस से ही चार बार विधायक और दिग्विजयसिंह सरकार में मंत्री रहे थे।
सिटिंग विधायक का टिकिट कटने के बाद अब देखने वाली बात होगी कि वह भाजपा से एक बार फिर से बगावत करके चुनाव लड़ेंगे? अगर चुनाव लड़ेंगे तो किस पार्टी से लड़ेंगे? क्योंकि बसपा से पहले ही रक्षपाल सिंह राजावत मैदान में हैं। हालांकि बसपा टिकिट बदलने में बिल्कुल भी हिचकिचाती नहीं है। इसके अलावा अभी समाजवादी पार्टी की सीट भी खाली है।
भाजपा ने भिण्ड से इस बार नरेन्द्र सिंह कुशवाह को टिकिट दिया है जो दो बार भाजपा से बगावत कर सपा से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 2008 और 2018 में वह भाजपा से टिकिट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े, नतीजतन दोनों ही बार भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
जब भिंड से वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी का फैसला है। वहीं पार्टी से बगावत करने के विचार पर उन्होंने कहा कि वह अभी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचेंगे और कार्यकर्ताओं से बात करके ही कुछ आगे की रूपरेखा बनाएंगे, जल्दबाजी में वह कोई फैसला नहीं लेना चाहते। वह संघर्षशील व्यक्ति हैं और संघर्ष करके ही आगे बढ़े हैं। जबकि राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया का टिकिट काटना इसलिए भी तय था क्योंकि कांग्रेस ने यहां से उनकी ही जाति के व्यक्ति को टिकिट पहले दे दिया ऐसे में दोनों ही प्रत्यं एक ही वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहतीं।