पुण्य स्मृति: दिनेश जोशी का अवसान हरिदेव जोशी की राजनीतिक विरासत के एक अध्याय का समापन

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पुण्य स्मृति: दिनेश जोशी का अवसान हरिदेव जोशी की राजनीतिक विरासत के एक अध्याय का समापन

-गोपेंद्र नाथ भट्ट-

अपने जीवनकाल में एक भी चुनाव नही हारने का अनूठा रिकार्ड्स बनाने वाले तथा राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री और असम मेघालय एवं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहें स्व.हरिदेव जोशी के बड़े पुत्र बाँसवाड़ा नगरपालिका और राजस्थान स्वायत्त शासन संस्थान के के पूर्व अध्यक्ष दिनेश जोशी का पिछलें मंगलवार को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया।

आज की पीढ़ी के युवा नही जानते होंगे कि राजस्थान की राजनीति में स्व.दिनेश जोशी प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी वरिष्ठ नेता थे। दिनेश जोशी जब भाषण देते थे तों लोगों को यह भ्रम हो जाता था कि वे हुबहू हरिदेव जोशी जैसी शैली में ही बोलते थे।उन्होंने अपने स्वप्नदृष्टा पिता हरिदेव जोशी के नक़्शे कदम पर चल अपने गृह नगर बाँसवाड़ा के समग्र विकास के हर पहलू को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया था । नब्बे के दशक में बाँसवाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष और राजस्थान स्वायत्त शासन संस्थान के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नगरीय विकास के कार्यों को एक नया मुक़ाम दिया। बाँसवाड़ा में हरिदेव जोशी के माही परियोजना के सपने को मूर्त रूप मिलने के बाद उन्होंने बाँसवाड़ा- रतलाम मार्ग पर कागदी पिक अप के विकास में रुचि लेकर उसे नगर के निकट एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत कराया। उन्होंने अपने नगरपालिका अध्यक्ष कार्यकाल में बाँसवाड़ा-उदयपुर और बाँसवाड़ा-डूंगरपुर समानान्तर रोड के मध्य एक लिंक रोड पुलिया बनवा कर इन मार्गों को आपस में जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके पूर्व इन मार्गों पर आने जाने के लिए लोगों को बाँसवाड़ा शहर के कस्टम रोड होकर लम्बा चक्कर लगाना पड़ता था।उन्होंने नगर में खेल स्टेडियम के काम को शुरू कराने के साथ ही कुशल बाग मैदान में अंतर्राष्ट्रीय बेस बोल प्रतियोगिता कराई तथा बाँसवाड़ा को आधुनिक सूचना केन्द्र तथा सर्किट हाऊस , दूरदर्शन रिले केन्द्र तथा आकाश वाणी केन्द्र के साथ ही डूंगरपुर मार्ग पर नई कपड़ा मिल की स्थापना कराने आदि कई सौगातें दिलाने के लिए पहल की । उन्होंने नगर की विभिन्न कोलोनियों के सर्वांगीण विकास के साथ ही अच्छे एवं पक्के रोड बनवाने उनका डामरीकरण कराने के साथ ही पार्कस आदि को विकसित कराया तथा शहर के मध्य बहने वाले नाले में बारह महीने साफ़ पानी बहने वाले की योजना को भी अमली जामा पहनाया। उनके कार्यकाल में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की कोलेज ग्राउंड पर एक विशाल सभा का आयोजन तथा माही क्लब में कांग्रेस की यूथ विंग्स का एक बड़ा सम्मेलन भी हुआ। वे ऐसे सौभाग्य शाली पुत्र थे जिन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में अपने पिता के प्रदेश का दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर नागरिक अभिनंदन समारोह कराया।

स्व.दिनेश जोशी की सत्तर से अस्सी के दशक में प्रदेश में तूती बोलती थी। वे राजस्थान युवक कांग्रेस के अग्रणी नेता थे तथा उनकी जोशीली टीम पूरे राजस्थान में चर्चित थी। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के पुत्र और युवा तुर्क संजय गाँधी की राजस्थान यात्राओं में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इनमें दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल बाँसवाड़ा शहर में हुई एक बड़ी रैली भी शामिल थी।

दिनेश जोशी और उनकी युवा टीम ने संजय गाँधी के पाँच सूत्री कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। साथ ही हल्दी घाटी युद्ध के 400 वर्ष पूरे होने पर उदयपुर में आयोजित समारोह और तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के दौरें को सफल बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।

अपने पिता हरिदेव जोशी जैसा बड़ा राजनीतिक व्यक्तित्व और वटवृक्ष होने के बावजूद दिनेश जोशी ने अपने राजनीतिक जीवन को किसी अतिरिक्त संरक्षण और सिफ़ारिश बिना आगे बढ़ाने का प्रयास किया। जयपुर में हरिदेव जोशी के अजमेर रोड स्थित जोशी फ़ॉर्म हाऊस पर दिनेश जोशी और उनके छोटे भाई सुरेश जोशी अपने पिया के दो बड़े मजबूत स्तम्भ थे। निवास पर अपने पिता से मिलने के लिए आने वाले समस्त नेताओं कार्यकर्ताओं और अतिथियों की सार सम्भाल करने की सभी जिम्मेदारियाँ वे बड़ी कर्मठता एवं निष्ठा से पूर्ण करते थे। उन्होंने राजनीति के कई उतार चढ़ावों को नज़दीकी से देखा लेकिन कभी अपने पिता के राजनीतिक मसलों में हस्तक्षेप नही किया।वे हमेशा हरिदेव जोशी द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा के दायरे में ही रहें तथा कोई अनुचित लाभ नहीं उठाया।

प्रारम्भ में दिनेश जोशी के बारे में लोगों को कई प्रकार की भ्रांतियाँ रही और लोग तरह -तरह के राग अलापते रहें लेकिन जिन्होंने उन्हें बहुत नज़दीकी से देखा उन्हें पता है कि वे बहुत ही सभ्य,सुशील,सरल स्वभाव वाले,निष्कपट एवं संवेदनशील और व्यवहार कुशल व्यक्तित्व के धनी थे तथा उत्तरप्रदेश एवं बिहार आदि प्रदेशों के नेताओं के पुत्रों की तरह उन पर कभी अपने पिता और राजस्थान की राजनीति के लोह पुरुष माने जाने वाले हरिदेव जोशी की सत्ता का नशा कभी नही चढ़ा।

दिनेश जोशी ने राजनीति में प्रवेश करने से पूर्व स्वावलंबी बनने के लिए अपने परिवार के साथ मिल कर कई उद्यम कृषि, डेयरी , फल और फूल बाग़वानी आदि से जुड़े कई काम धन्धे भी किए। बाँसवाड़ा में अपने पुत्त्र के नाम से उन्होंने कुमार फेब्रिक्स नाम से एक कारख़ाना भी लगाया।अँगूर की खेती करते हुए उन्होंने कई विषेले सर्पों का सामना भी किया लेकिन अपने दृढ़ संकल्प को बनायें रख काम कभी नहीं छौडा। दिनेश जोशी को नई-नई कारों और ड्राइविंग का बहुत शोक था। वे अक्सर जयपुर से बाँसवाड़ा तक के लम्बे सड़क मार्ग पर स्वयं गाड़ी चला कर ही आया-ज़ाया करते थे। उन्हें सफ़ेद झक साफ़ सुथरें खादी के कुर्ता पाजामा तथा जाकेट पहनने तथा अच्छा सात्विक खाने पीने का शौक था। उनकी पत्नी जयन्ती जोशी ने भी उन्हें जीवन के हर मोड़ पर पूरा साथ दिया। दिनेश जी ने जब निम्बाहेड़ा और बाँसवाड़ा में विधान सभा चुनाव लड़ा था तब वे हर गली मौहल्लों में प्रचार अभियान में उनकी सहभागिनी के रूप में बहुत लोकप्रिय हुई।

उनकी तीन पुत्रियाँ में सबसे बड़ी प्रीति का विवाह केरल के मुख्य सचिव रहें तथा वहाँ के मुख्य सूचना आयुक्त डॉ विश्वास मेहता से हुआ । दूसरी पुत्री नीति के पति अभिषेक शर्मा कई मोबाईल कम्पनियों के सीनियर स्टेट हेड और सबसे छोटी पुत्री ऋतु का विवाह राजस्थान के सहकारिता विभाग में वरिष्ठ अधिकारी आशुतोष भट्ट के साथ हुआ है। उनके पुत्र कुमार जोशी और पुत्र वधू गरीमा का जयपुर में स्वयं का कारोबार है। दिनेश जोशी अपने जीवन के अन्तिम काल में एक ऐसी बीमारी से घीर गए जिनमें उसे हर रोज़ ओक्सीजन और दर्द भी इंग्जेक्श्न पर रहना पड़ता था। जीवन मृत्यु के इस संघर्ष का भी उन्होंने जीवटता के साथ सामना किया।
उनके निधन से जोशी परिवार की राजनीतिक विरासत के एक अध्याय का समापन हो गया है।
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(लेखक गोपेंद्र नाथ भट्ट राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.हरिदेव जोशी के पी आर ओ रहें है)