Reincarnation of Crocodile : मगरमच्छ के पुनर्जन्म का चमत्कार, लोगों ने उसे मृत बाबिया माना!

प्रशासन ने पहले खंडन किया, बाद में फोटो देखकर भरोसा किया!

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Reincarnation of Crocodile : मगरमच्छ के पुनर्जन्म का चमत्कार, लोगों ने उसे मृत बाबिया माना!

Kasargod (Kerela) : केरल के कासरगोड जिले के अनंतपुर लेक टेंपल में एक मगरमच्छ का बच्चा चर्चा का विषय बन गया। अनंतपुर के श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर में कुछ दिनों पहले एक पूजनीय मगरमच्छ बाबिया के निधन हो गया था। बाबिया कहीं से झील में आ गया था और वो एक शाकाहारी मगरमच्छ था और भगवान को अर्पित प्रसाद ही खाता था। अब उसके निधन के बाद मगरमच्छ के बच्चे का आना चर्चा का विषय बन गया।

किसी भक्त ने तालाब में मगरमच्छ के इस बच्चे को देखा। उसने तस्वीर खींची और मंदिर प्रशासन को सूचना दी। पहले तो प्रशासन ने इसका खंडन किया। लेकिन, सोशल मीडिया पर मामला उठने के बाद मंदिर के अधिकारियों ने फिर तालाब का निरीक्षण किया। किंतु, वे मगरमच्छ को खोजने में असमर्थ रहे, जिसके बाद उन्होंने इस खबर का खंडन किया। बाद में, फर्जी खबरें फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की गई।

​अगले दिन वे फिर से मंदिर गए और अधिकारियों के साथ मगरमच्छ को ढूंढने का फैसला लिया गया। मंदिर के अधिकारियों ने रविवार की दोपहर 3 बजे फिर से मगरमच्छ को देखा, तो खबर के सच होने की पुष्टि हुई और संबंधित ने वीडियो और तस्वीर जारी की गई। कुछ और लोगों ने मगरमच्छ के बच्चे देखा और मंदिर में उसे देखने आने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। इसे कुछ लोग चमत्कार बता रहे हैं।

बाबिया का निधन ​9 अक्टूबर को

केरल और कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से लोग बाबिया की पूजा करने आते थे। बाबिया का पिछले साल 9 अक्टूबर को निधन हो गया था। अनंतपुरा मंदिर के अध्यक्ष अधिवक्ता उदय कुमार गट्टी ने कहा कि कान्हांगड़ के एक परिवार को तीन दिन पहले झील में एक मगरमच्छ देखकर आश्चर्य हुआ था। सूचना के बाद भीड़ जमा हुई। लोग मगरमच्छ के बच्चे को देखने के लिए एकत्र हो गए।

​80 साल जिंदा रहा बाबिया​

इस मंदिर की झील में बाबिया लगभग 80 साल से रह रहा था। भक्त बाबिया को पुनर्जन्म प्राप्त भगवान और मंदिर के रक्षक के रूप में मानते थे। मगरमच्छ देवता को चढ़ाए गए निवेद्या (प्रसाद) को खाता था। श्रद्धालु मगरमच्छ के बाहर आने का इंतजार करते थे। पुजारी मंदिर में दैनिक अनुष्ठानों के बाद नैवेद्य चढ़ाते थे और भक्त मगरमच्छ के दर्शन करते थे। पिछले साल 10 अक्टूबर को ब्रह्मश्री डेलमपाडी गणेश थांथ्री की उपस्थिति में जब अंतिम संस्कार किया गया था, तब सैकड़ों श्रद्धालु पूज्य मगरमच्छ को देखने के लिए मंदिर गए थे। बाबिया की मृत्यु के 41 दिनों के बाद, भक्तों ने मंदिर परिसर में एक स्मारक कार्यक्रम भी आयोजित किया था।