Kissa-A-IPS:PM की सुरक्षा में तैनात इस सख्त IPS अफसर को SPG की कमान
केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा करने वाली स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक शर्मा को SPG का नया डायरेक्टर नियुक्त किया है। भारतीय पुलिस सेवा में यूपी कैडर के 1991 बैच के IPS अधिकारी आलोक शर्मा बतौर IG प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में पिछले 6 साल से तैनात हैं। SPG में उनकी तैनाती को काफी अहम माना जा रहा है। इसलिए कि स्पेशल प्रोटेक्शन भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा की कमान संभालता है। यह स्पेशल फोर्स सीधे केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय के अधीन रहता है। SPG को देश की सबसे पेशेवर और आधुनिकतम सिक्योरिटी फोर्स में गिना जाता है।
सेवाकाल के शुरुआत से ही वे अलग तरह के पुलिस ऑफिसर रहे। 1991 में ट्रेनिंग के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री ने 7 मेडल देकर उन्हें सम्मानित किया था। उनकी पहली नियुक्ति पीलीभीत जनपद में हुई। इसके बाद वह बुलंदशहर, सहारनपुर, उन्नाव, मुरादाबाद सहित कई जिलों के एसएसपी रहें। उसके बाद डीआईजी एवं आईजी के पद पर पदोन्नत हुए।
अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट ने उन्हें प्रोन्नत कर उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। अभी तक आलोक शर्मा एसपीजी में ही एडीजी के पद पर तैनात थे। यूपी पुलिस के इस अधिकारी को मिली यह सफलता गर्व करने वाली उपलब्धि कही जा सकती है। आलोक शर्मा को तेज-तर्रार IPS अधिकारियों में गिना जाता है। 2016 में उन्हें प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल भी मिल चुका है। 2017 में आलोक शर्मा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे। इसके बाद उन्हें SPG में IG बनाया। इसके बाद उन्हें एसपीजी में रहते हुए ही एडीजी के पद पर प्रमोशन मिला। अब डायरेक्टर SPG के साथ ही उन्हें DG रैंक भी मिल गया है।
IPS आलोक शर्मा अलीगढ़ के रहने वाले हैं। उनका जन्म 15 जून 1966 हुआ था। वे 1991 में IPS बने। 16 मार्च 2017 को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद उन्होंने एसएसबी के आईजी का कार्यभार संभाला था। दिसंबर 2017 में उन्हें एसपीजी में आईजी के पद पर तैनात किया गया। इससे पहले वे डीआईजी उत्तराखंड और हरिद्वार, आईजी पीएसी हरिद्वार, इलाहाबाद, बरेली, मेरठ के पद पर तैनात रहे थे। इस दौरान उनकी कार्य प्रणाली की खासी चर्चा हुई। आलोक शर्मा ने बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद उनका रुझान सिविल सेवा की तरफ गया। उन्होंने यूपीएससी क्लीयर कर पुलिस सेवा ज्वाइन की। 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी को 7 अगस्त 2007 को डीआईजी रैंक में प्रमोशन मिला। इसके बाद 9 नवंबर 2010 को वे आईजी बनाए गए। एक जनवरी 2016 को उन्हें एडीजी रैंप में प्रमोशन दिया गया था, अब वे एसपीजी में सर्वोच्च पद पर पहुंच गए।
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मेरठ को सांप्रदायिक हिंसा से बचाया
यूपी कैडर 1991 बैच के आईपीएस आलोक शर्मा को जनवरी 2014 में मेरठ जोन की कमान सौंपी गई थी। वे जनवरी 2016 तक मेरठ जोन में रहे। उस समय उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगे की आग धधक रही थी। खासतौर पर मेरठ, सहारनपुर, शामली, हापुड़ सहित पश्चिमी यूपी के जिलों में सांप्रदायिक तनाव के हालात बने थे। आलोक शर्मा ने पुलिस चार्ट बनाकर गांव-गांव में चौपाल लगवाई, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में काफी मदद मिली।
मेरठ में तैनाती के दौरान ही मई 2014 में तीरगरान मोहल्ले में हिंसा हो गई थी। इसमें व्यापारी सुशील रस्तोगी के इकलौते बेटे शुभम रस्तोगी की हत्या की गई। इसे लेकर दो समुदाय के बीच टकराव हो गया था। ऐसे में शहर आग के मुहाने पर खड़ा था। उपद्रवी बेकसूर लोगों पर गोलियां चल रहे थे। हिंसा के बीच आलोक शर्मा ने पहुंचकर एक उपद्रवी को मौके से पकड़ा था। इसके बाद उपद्रवियों पर मजबूत कानूनी शिकंजा कसा गया। सहारनपुर में आतंक मचा रहा कुख्यात राहुल खट्टा का एनकाउंटर भी आलोक शर्मा के कार्यकाल में हुआ। वह एक ईंट भट्ठा मालिक से वसूली करके लौट रहा था। इसके अलावा भी वेस्ट यूपी के कई कुख्यातों पर कानूनी शिकंजा कसने का काम उन्होंने किया है।