CM Shivraj:Easygoing personality जिसके कान में अनजान बुजुर्ग भी फुसफुसा देता है
BHOPAL ; कोरोना की महामारी से मुस्तैदी से निपटने के बाद जैसे ही शिवराज जीCM Shivraj को समय मिला वे जनता के बीच पहुँच गये हैं | इसमें कोई शक़ नहीं कि महामारी के इस भीषण दौर में भी जन सामान्य की तकलीफ़ों को लेकर वे बड़े संजीदा रहे हैं और दूरसंचार के नए माध्यमों के सहारे विडियो कानफ़्रेसिंग के ज़रिए वे उनसे जुड़े रहे हैं , पर अब जनता के बीच जाकर उनका ये दर्द छलक ही आया कि ये दूरी मजबूरी में ही उनने सहन की थी |
दूरदराज़ से आए जनसैलाब से वे बड़ी सहजता से कहते हैं “ कोरोना ने मुझे मजबूरी में आपसे दूर कर दिया था और चाह कर भी मैं आप के बीच नहीं आ पाया था , लेकिन अब दूसरी लहर के जाने के बाद और टीकाकरण की रफ़्तार से लगता है , यदि सावधानी रखें तो तीसरी लहर से हम बच सकते हैं “|
इसके बाद शुरू होते हैं सवाल जवाब , काय भैय्या(CM Shivraj) आप लोगों ने टीका लगवाया की नहीं , भीड़ में बहुतेरे हाथ खड़े होते हैं और समवेत स्वर सी आवाज़ आती है , लगवा लिया |
शिवराज कहते हैं “ठीक है हाथ नीचे कर लो , अब मेरी क़सम है तुमको सही सही बताना किस किस ने टीका नहीं लगवाया ? “ क़सम के वास्ते से कुछ हाथ फिर उठते हैं , शिवराज घूम कर पूछते हैं , कहाँ है कलेक्टर ! कलेक्टर आगे आते हैं और फिर सी एम कहते हैं आप केम्प लगाओ फिर से , और जो छूट गए हैं , उनको इस बार ज़रूर टीका लगवाओ | चुनावी प्रचार के क़यास लगा रहे लोगों को लगता है ये कैसे नेता हैं , चुनावी बात करने के पहले जनस्वास्थ्य की बात कर रहे हैं |
इसके बाद शुरू होती है , योजनाओं की ज़मीनी हक़ीक़त टटोलने की बात | राशन मिल रहा है या नहीं ? पीने का पानी कैसे मिलता है ? बिजली के क्या हाल हैं ? रहने के लिए मकान बने की नहीं ? स्वयंसहायता समूह की महिलाओं से मुख़ातिब हो पूछते हैं , स्कूली बच्चों की ड्रेस सिलने मिल रही है या नहीं ? एक एक सरकारी योजनाओं की ज़मीनी हक़ीक़त से दोचार होते जनदर्शन का ये क़ाफ़िला एक से दूसरे मुक़ाम की ओर बढ़ता जाता है |
जनता के हक़ पर डाका डालने वालों के प्रति वे बेहद कठोर हैं , और ना जाने कैसे जनता के जवाबों से ही समझ जाते हैं , कि गड़बड़ी करने वाला कौन है | जनता के बीच जाने में वे ऊर्जा से भर जाते हैं और वक़्त की तय सीमा जन संवाद के आड़े कभी नहीं आती है | जनता से बात करने के बीच साथ चल रहे अधिकारी फुसफुसाते हैं , “ सर इतना घंटा या मिनट बचा है , हेलीकाप्टर टेक ऑफ़ नहीं कर पाएगा” | जबाब हमेशा खुश्क सा मिलता है , जनता से बिना मिले थोड़ी चला जाऊँगा |
सतना ज़िले के रैगाँव से कोठी के बीच की सभाओं का नजारा है | मंच में पहुँचते ही , पूर्व की सारी क़वायद के बाद जनता से कहते हैं , “गाँव में आ रहा था तो जगह जगह बच्चियाँ तख़्ती दिखा रही थीं , कालेज चाहिए , सही में चाहिये क्या “? हर्ष मिश्रित आवाज़ें आती हैं….हाँ | तो बच्चों अगले सत्र से कालेज खोल देंगे | पीछे खड़े अधिकारी काग़ज़ टटोलते हैं , अँय कालेज तो पूर्वघोषणा में शामिल था ही नहीं , जोड़िए कोई कहता है , कलेक्टर लिखते हैं घोषणाएँ |
रास्ते चलते मिलने वाले गाँवों में भी अजीब नजारा है , लोगों के चेहरे पर आशा भी है और उल्लास भी | एक खुली जीप को ऊपर से ढाँक कर रथ की शक्ल दी गयी है , रास्ते में मुख्य मंत्री की ओर उछाली गयीं पुष्प मालाएँ अपने आप उसे सजा देती हैं | दसोंधि ग्राम आया है , और चिरपरिचित मुद्रा में शिवराज माइक हाथ में लेकर जनता से रूबरू हो रहे हैं , सामने एक खुली वैन पर मीडियाकर्मियों का दल है जो अपने केमरे से लैस हैं |
पत्रकारों की इस खुली वैन के ऊपर अचानक कुछ मधुमक्खियाँ झपट पड़ती हैं | हड़बड़ी में वैन से कुछ लोग नीचे कूदते हैं और कुछ मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए बनाए बैनर को खींच कर उसे ओढ़ लेते हैं | मुख्यमंत्री के साथ उनकी वेन पर सवार अधिकारी और नेता कुछ बेचैन होते हैं , पर शिवराज जी बेफ़िक्र अपने संवाद में मशगूल हैं | सामने देख कर बोलते हैं , अरे मधुमक्खी हैं क्या ? कुछ नहीं करेगी शांत रहो बस अपने पास नहीं आएगी |
ना जाने उनका आत्मविश्वास है या संयोग , मधुमक्खी उसी वेन के ऊपर ही उड़ती रह जाती है और कुछ मिनटों में अपनी बात समाप्त होते ही भारत माता की जय का नारा लगा , जनता से कहते हैं , अच्छा चलता हूँ अभी और आगे जाना है |
अगला गाँव आ गया है , बारिश ने मंच और पण्डाल की हालत ख़राब कर दी है पर जनता के उत्साह में कमी नहीं है | मुख्यमंत्री के रथ नुमा वाहन को घेर कर लोग खड़े हैं | मुख्यमंत्री कहते हैं , यहीं से बात कर लें | लोग चिल्लाते हैं … हाँ …. |
शिवराज (CM Shivraj )अपनी बात प्रारम्भ करते हैं कि अचानक गाँव का एक खाँटी बुजुर्ग व्यक्ति रथ के पास आकर कहता है , सुनो शिवराज जी मेरी एक ज़रूरी बात है | सी एम मुस्कुराते हैं , चुप हो जाते हैं और बोलते हैं , कहो | अनजाना वो बुजुर्ग बड़े आत्मविश्वास से कहता है , ऐसे नहीं कान में कहूँगा | शिवराज मुस्कुराते हैं , सिर नीचे झुकाते हैं , और बुज़ुर्गवार सज्जन अपना हाथ सी एम की गरदन पर रख उनके कान में फुसफुसाते हैं |
पास में खड़ा सिक्योरिटी का जवान अचानक सतर्क होता है और बुजुर्ग को दूर करता कहता है , अरे दादा दूर से दूर से | लेकिन तब तक अपनी बात कह चुका बुजुर्ग मुस्कुरा कर चल देता है | सी एम वापस सीधे होते हैं और माइक पर जनता से कहते हैं , राज की बात थी , आपको नहीं बताऊँगा |
गाँव के निवासी अल्हादित हैं ऐसा प्रदेश का मुखिया पाकर जो उनके गाँव के नामालूमसे आदमी से ऐसे झुक कर मिल रहा है और कानाफूसी कर रहा है | उल्लास से भीड़ ज़ोरों से नारे लगाने लगती है और शिवराज फिर भीड़ को चुप करा कहते हैं अरे अब ज़रा चुप हो जाओ मैं आपसे अपनी बात तो कर लूँ , और फिर वही क्रम शुरू हो जाता है , पानी मिलता है , राशन मिलता है आदि आदि | पीछे खड़े अधिकारी गण सोचते हैं शिखर पर बैठ कोई इतना सादा दिल कैसे रह सकता है |