द्वारिकाधीश को समर्पित हुआ संभाग का सबसे बड़ा छप्पन भोग उत्सव,दस हजार भक्तों ने पाई प्रसादी
इटारसी से संजय शिल्पी की रपट
इटारसी। संभाग के सबसे प्रतिष्ठित, प्रमुख,अत्यंत प्राचीन मंदिरों में शुमार श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर,इटारसी में,संभाग का सबसे बड़ा छप्पन भोग उत्सव कार्यक्रम आज 21 नवंबर,मंगलवार को 24 वें वर्ष में अत्यंत दिव्यता,भव्यता पूर्वक संपन्न हुआ। यह उत्सव विगत 23 वर्षों से मंदिर व मंदिर समिति से जुड़े सभी सहयोगी भक्तों द्वारा पृथक से बनाई गई द्वारिकाधीश उत्सव समिति द्वारा आयोजित होता है। सायं 6.30 बजे से श्री द्वारिकाधीश, गिरिराजधरण,गोवर्धन जी की पूजन प्रारंभ हुई हुई। सायं 7.30 बजे से छप्पन भोग के नयनाभिराम,दिव्य दर्शन प्रारंभ हुए।
ज्ञात रहे कि मंदिर में स्थापित एकमात्र कसोटी पाषाण से निर्मित द्वारिकाधीश की अत्यंत प्राचीन प्रतिमा पूरे प्रदेश में अत्यंत दिव्य मानी जाती है। रात्रि 8 बजे से छप्पन भोग प्रसादी का वितरण प्रारंभ हुआ। कतार बद्ध होकर पूरे अनुशासन के साथ हजारों महिला,पुरुष,युवा,किशोर भक्तों ने हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धा भाव से पहले दर्शन किए फिर छप्पन भोग की भोजन प्रसादी ग्रहण की। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग अलग दिशाओं में अलग अलग करीब आधा किलोमीटर लंबी कतारें प्रारंभ से ही थीं। महिलाओं को समिति से जुड़ी महिलाएं ही प्रसादी वितरण कर रहीं थीं।
पर समिति का प्रबंधन इतना बेहतरीन था कि मात्र डेढ़ घंटे में ही रात 9.30 बजे तक करीब दस हजार भक्त गण प्रसादी ग्रहण कर चुके थे। पूरे समय भजनांजलि की अध्यात्म की गीत संगीत की महफिल भी जारी रही। सभी श्री कृष्ण की भक्ति में सराबोर थे। माखन मिश्री का विशेष प्रसाद अलग से बंट रहा था।
दर्शन करने व प्रसाद ग्रहण करने आने वालों में मंदिर समिति अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा,नपा अध्यक्ष पंकज चौरे, एम जी एम कालेज जनभागीदारी समिति अध्यक्ष डा. नीरज जैन,सहित नगर के सैंकड़ों धर्मप्रेमी गणमान्य नागरिक गण उपस्थित थे।
सम्पूर्ण आयोजन के केंद्र में मंदिर समिति के संरक्षक व इस आयोजन के संयोजक रमेश चांडक,कार्यकारी अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष चंद्रकांत अग्रवाल,सचिव शैलेश अग्रवाल, प्रदीप मालपानी,गुलाबचंद अग्रवाल,अनिल राठी,शरद गुप्ता,नरेश अग्रवाल, आदि मंदिर समिति व द्वारिकाधीश उत्सव समिति के करीब 50 सदस्यों के अथक परिश्रम की विशेष भूमिका रही। प्रसादी वितरण का क्रम यह रपट बनाए जाने तक,रात्रि 10.30 बजे तक अविराम जारी था। जनसैलाब यथावत बना हुआ था। आस्था,विश्वास और धर्म की यह त्रिवेणी प्रवाहमान थी,जिसे महसूस तो किया जा सकता था पर शब्दों में अभिव्यक्त करना बहुत मुश्किल था।