Rare Surgery : प्रदेश में पहली बार मरीज को ‘ट्रांस हेपेटिक परक्यूटीनियस’ परमानेंट पेसमेकर लगाया गया!
Indore : सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने पूरी तरह हृदय के ब्लॉकेज से पीड़ित 66 साल के मरीज को नया जीवन दिया। प्रदेश में पहली बार डॉक्टर्स ने ‘ट्रांस हेपेटिक परक्यूटीनियस’ परमानेंट पेसमेकर इम्प्लांटेशन किया है। डॉक्टरों का दावा है कि यह राज्य में पहली सर्जरी है, जबकि देश में संभवत: यह दूसरी या तीसरी सर्जरी। इसमें हृदय रोगी को ख़ास तरह का पेसमेकर लगाया गया, क्योंकि पारंपरिक तरीके से लगाया जाने वाला पेसमेकर दो बार काम नहीं कर पाता। ट्रांस-हेपेटिक परक्यूटेनियस स्थायी पेसमेकर इम्प्लांटेशन में पेट से कैथेटर डालने और पेसमेकर को लीवर के माध्यम से डालने की विधि है।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ एडी भटनागर के अनुसार, धार निवासी 66 वर्षीय महिला ने पेसमेकर लगाने के लिए सभी केंद्रीय जरुरी विकल्प समाप्त होने के बाद उनसे संपर्क किया। महिला ने कुछ महीने पहले अहमदाबाद सहित कई अन्य शहरों में डॉक्टरों को दिखाया उसके बाद सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में संपर्क किया। वह दो बार पेसमेकर इम्प्लांटेशन से गुजर चुकी थी, लेकिन इसे हटाना पड़ा। क्योंकि उसकी कॉलर बोन में दायीं और बायीं तरफ संक्रमण होने लगा था।
अस्पताल के नोडल अधिकारी ने कहा कि पहले हमने सीसा रहित पेसमेकर लगाने का फैसला किया। लेकिन, उस मरीज के लिए इसकी लागत (7.5 लाख) बहुत अधिक थी। महिला कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए उसे आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के लिए भर्ती किया गया। बाद में हमने अन्य शहरों में अपने समकक्ष विशेषज्ञों से इस मामले पर चर्चा की। लिटरेचर के जरिए ट्रांस-हेपेटिक परक्यूटेनियस स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपण के बारे में पता चला।
डॉ भटनागर ने कहा कि हमने यह तकनीक सीखी और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और कार्डियोथोरेसिक सर्जनों सहित हमारी टीम के सहयोग से काम संभाला और सफलतापूर्वक सर्जरी की। उन्होंने कहा कि मरीज अब स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों की टीम का नेतृत्व डॉ एडी भटनागर, अंतरराष्ट्रीय रेडियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक कोटवाल, डॉ प्रमेंद्र विजयन, डॉ अभिषेक राठौड़, डॉ लोकेंद्र रेकवाल और डॉ प्रदीप कुल्मी ने किया।
अस्पताल में की गई दुर्लभ सर्जरी
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुमित शुक्ला ने बताया कि यह हमारे अस्पताल में की गई दुर्लभ सर्जरी में से एक थी। अंतरराष्ट्रीय हृदय रोग विशेषज्ञों, रेडियोलॉजिस्ट और सर्जनों की हमारी टीम ने इसे संभव बनाया। मरीज को सफलतापूर्वक अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।