विंध्य के चर्चित नेताओं के क्या होंगे परिणाम,2 सांसद, पूर्व नेता प्रतिपक्ष सहित एक दर्जन दिग्गज नेताओं पर सबकी नजर
विधान सभा अध्यक्ष,विंध्य के कद्दावर मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य दांव पर
भोपाल: मध्य प्रदेश की विधानसभा के पिछले चुनाव में कांग्रेस को जोर का झटका देने वाला विंध्य क्षेत्र के चुनाव नतीजे इस बार किस करवट बैठेगे, इसे लेकर प्रदेश भर की नजर इस क्षेत्र के दिग्गज और चर्चित नेताओं पर टीकी हुई है। यहां से भाजपा ने दो सांसदों के साथ ही कई मंत्रियों को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव से लगातार तीन हार झेलने के बाद अपनी हार का सिलसिला तोड पाएंगे। उनके मामा डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह इस बार जीत सकेंगे। इन सभी नेताओं के चुनाव परिणामों को लेकर प्रदेश भर में कयास लगाए जा रहे हैं। इसमें से कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य भी हार-जीत पर टिका हुआ है।
गणेश सिंह- सतना के सांसद गणेश सिंह को यहां से उतार कर कांग्रेस से यह सीट छीनने का प्रयास भाजपा ने किया है। इस सीट पर कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ कुशवाह मैदान में हैं। गणेश सिंह लोकसभा से विधानसभा का रास्ता तय कर पाएंगे या नहीं इस पर पूरे विंध्य क्षेत्र की ही नहीं बल्कि प्रदेश भर की नजर जमी हुई है।
रीति पाठक- सीधी विधानसभा से चुनाव लड़ रही रीति पाठक यहां की सांसद भी है। सीधी में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां से भाजपा के विधायक केदार नाथ शुक्ला का टिकट काटकर रीति पाठक को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है, पाठक की उम्मीदवारी से शुक्ला नाराज हो गए और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। अब यह चुनाव रोचक हो गया है।
गिरीश गौतम- देवतालाब से भाजपा उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम पिछला चुनाव एक हजार से कम वोटों से जीते थे। विंध्य के सफेद शेर श्रीनिवास तिवारी को मनगंवा से 1998 में जोरदार टक्कर देते हुए 2003 के चुनाव में उन्हें हराने के कारण गौतम प्रदेश भर में खासे चर्चित हुए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी सीट बदल ली। इस बार उनका मुकाबला इसलिए और रोचक हो गया है कि उनके सामने कांग्रेस ने उनके भतीजे पद्मेश गौतम को उम्मीदवार बनाया है।
राजेंद्र शुक्ल- भाजपा में अपना अलग मुकाम रखने वाले राजेंद्र शुक्ल इस बार फिर से रीवा से ही चुनाव लड़ रहे हैं। वे लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। कांग्रेस ने रीवा से राजेंद्र शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। विंध्य क्षेत्र के ब्राह्मणों में उनका प्रभाव होने के चलते उन पर प्रदेश भर के सभी की नजर है।
बिसाहूलाल सिंह- कांग्रेस से भाजपा में आए बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा सरकार के मंत्री सिंह दूसरी बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा से पहला उन्होंने उपचुनाव लड़ा था। उपचुनाव से पहले तक वे भाजपा में थे। उनका यह चुनाव निर्णायक होगा।
अजय सिंह- पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह लोकसभा के दो चुनाव और विधानसभा का एक चुनाव हारने के बाद इस बार अपनी परम्परागत सीट चुरहट से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। हार का सिलसिला तोड़ने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे होने के कारण राजनीति में कदम रखते ही वे प्रदेश का चर्चित चेहरा बन गए थे,तब से लेकर अब तक उनके हर चुनाव में प्रदेश भर की नजर होती है।
डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह- अमरपाटन से चुनाव लड़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह पिछला चुनाव इसी सीट पर हार गए थे। इस बार कांग्रेस के वचन पत्र बनाने में वे ही सर्वे सर्वा रहे। उनका मुकाबला शिवराज सिंह चौहान की सरकार के मंत्री राम खेलावन पटेल से है। दोनों ही उम्मीदवारों के चुनाव परिणाम पर पूरे विंध्य की नजर है।
कमलेश्वर पटेल- कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़ रहे कमलेश्वर पटेल, सिंहावल सीट से फिर से चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस का ओबीसी चेहरे के रूप में भी देखा जा रहा है। कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़ रहे रहे पटेल के परिणाम पर दोनों ही दलों के साथ ही प्रदेश भर की नजर है।
अभय मिश्रा- कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस में रहने वाले अभय मिश्रा इस बार कांग्रेस के टिकट पर सिमरिया से चुनाव लड़ रहे हैं। बार-बार दल बदलने के कारण वे प्रदेश भर में खासे चर्चित हैं। दल बदलने की खासीयत के चलते ही प्रदेश भर की नजर उनके चुनाव परिणाम पर है।