Landslide Victory of BJP: जीत की यह प्रचंडता मुझे स्लेट में लिखी इबारत की तरह साफ दिख रही थी!

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Landslide Victory of BJP: जीत की यह प्रचंडता मुझे स्लेट में लिखी इबारत की तरह साफ दिख रही थी!

 

जयराम शुक्ल की खास रिपोर्ट 

 

पांच में से तीन राज्यों में जनादेश के प्रबल आवेग में कांग्रेस जिस तरह से कूड़े-कचरे की भांति बही वह मुझे चुनाव के आरंभिक दौर से ही स्पष्ट दिख रही थी।

 

यद्यपि इतनी उम्मीद भाजपा के नेताओं को भी नहीं रही होगी इसलिए ज्यादातर नेताओं का दावा सरकार बनाने की बात तक सिमटा रहा।

 

मीडिया के ज्यादातर आंकड़ेबाज कन्फ्यूज नहीं अपितु ‘परिवर्तन’ को लेकर स्पष्ट थे। वे अब हैरत में हैं कि ऐसा कैसे हो गया।

 

एग्जिट पोल भी मध्यप्रदेश और राजस्थान में कश्मकश का संकेत दे रहा था तो छत्तीसगढ़ में सभी के अनुमान में कांग्रेस निकलकर आ रही थी। ऐसी धारणा रखने वाले के लिए सब कुछ उल्टा पलट हो गया।

 

मध्यप्रदेश में भाजपा प्रचंड बढ़त के साथ फिर सत्ता पर सवार होने जा रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अब भाजपा की सरकार होगी।

 

मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात करें तो मुझे आरंभिक दौर से ही लाड़ली बहनों के भातृप्रेम की धारा और मोदी मैजिक साफ नजर आ रहा था।

 

हर आंकलन में मैंने न्यूनतम स्थिति में भी 125 प्लस की बात की। उस दौरान मीडिया में जो चल रहा था वह कुछ ऐसा था कि मानों भाजपा की जीत की बात करने वाले की जुबान काट ली जाएगी। जबकि तमाम तथ्य और तर्क भाजपा के पक्ष में तो थे। लेकिन उसके पक्ष में जनादेश का आवेग इतना प्रबल होगा यह अनुमान प्राय: सभी की सोच के परे था। अब तो मानना पड़ेगा कि जनता इसीलिए जनार्दन है क्योंकि उसकी भावनाओं की थाह सिर्फ वही पा सकती है।

 

मध्यप्रदेश के चुनाव के संदर्भ में मैंने हमेशा इसी अन्तर्धारा की तीव्रता की बात की जो सतह पर नहीं दिख रही थी। यह 1 करोड़ 31लाख ‘लाड़ली बहनों’ की थी। इस प्रवाह में वह विशाल वर्ग भी शामिल हो गया जिसे नरेन्द्र मोदी जी की सरकार से कदम कदम पर संबल मिला। चाहे वे किसान हों, या आयुष्मान, उज्ज्वला, आवास योजना और मुफ्त राशन पाने वाले लाभार्थी।

 

कुल मिलाकर कर कहें तो पीएम मोदी की गारंटी, उनकी वैश्विक छवि की चमकती आभा का प्रभाव, शिवराजसिंह चौहान की लाड़ली बहनों का कृतज्ञ भातृप्रेम, इसने अन्तर्धारा के वेग तीव्रतर कर दिया।

 

सतह की धारा में जो परिवर्तन को तजबीज रहे थे वे भंवर में फंसकर गहरे जमींदोज हो गए।

 

इस चुनाव परिणाम में छह महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के भविष्य के संकेत छिपे हुए हैं।

 

आज कांग्रेस की स्थिति वैचारिक तौर पर ऐसे अनाथ की तरह है जो बेघर होकर चौराहे पर खड़ा राहगीरों से अपनी मंजिल का पता पूछ रहा है। उसे अपनी बल्दियत, वसीयत और विरासत का पता नहीं। इसलिए जब उसके गठबंधन का कोई नेता सनातन धर्म को डेंगू की तरह घातक बताता है तो उसे इसकी प्रतिक्रिया का भान तक नहीं हो पाता। बड़बोले नेताओं की भी जुबान पर दही जम जाता है।

 

जिस जातीय जनगणना को नेहरू और डा.मनमोहन सिंह तक ने खारिज कर दिया उसी को कांग्रेस ने इस चुनाव का मुख्य अस्त्र बनाया। इंडिया में जागते-जीते हुए कांग्रेस भारत को अब तक नहीं समझ पाई।

 

मोदी के नेतृत्व ने भारत को स्वाभिमान व गर्व का विषय बनाया, और मध्यप्रदेश के संदर्भ में शिवराजसिंह चौहान ने सरकार सही अर्थों में सर्वस्पर्शी व सर्व समावेशी।

 

भाजपा की यह विजय जाति-पांत, धर्म और भेदभाव से परे समभाव की विराट विजय है।