कांग्रेस के सर्वे को लेकर उठने लगे सवाल
भोपाल। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया को लेकर अब सवाल उठने लगे है। कांग्रेस खेमे में इस बात पर विचार होना शुरू हो गया है कि चयन प्रक्रिया में कहां से चूक हो गई। उम्मीदवारों के चयन के मामले को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ की अगुवाई में तीन चरणों में उम्मीदवारोें के चयन को लेकर सर्वे हुआ था। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया पर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के अलावा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की भी पैनी नजर रहती थी। प्रदेश कांग्रेस ने निजी एजेंसियों के द्वारा भी सर्वे कराया। उम्मीदवारों के चयन को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी भी बनाई गई थी। सर्वे के दौरान कांग्रेस हमेशा इस बात पर प्रमुखता से गौर करती थी कि कौन सा उम्मीदवार रेड जोन में है और कौन सा उम्मीदवार ग्रीन जोन में। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन के मामले में बहुत सावधानी से काम लिया था। यही वजह रहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस की सत्ता हासिल करने की हसरत पूरी हो गई। कांग्रेस इसी फार्मूले को आधार मानते हुए वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में इसी प्रक्रिया को अमली- जामा पहनाने में लगी हुई थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी तीन स्तर पर सर्वे कराने के बाद एक विधानसभा से सिंगल नाम पर मोहर लगाकर इंडियन नेशनल कांग्रेस कमेटी के पास भेजी।
*सर्वे से जमीनी हकीकत गायब-*
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद एजेसिंयों द्वारा किया गए सर्वे की प्रक्रिया पर अब कांग्रेस के पदाधिकारी ही सवाल उठाने शुरू कर दिए है। उम्मीदवारों की पहली और दूसरी जारी होने के बाद से ही कांग्रेस में विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए। कांग्रेस के जमीनी नेता नाराज होकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से लेकर कमलनाथ के बंगले पर विरोध करने लगे। बढ़ते विरोध को देखते हुए कांग्रेस ने सात उम्मीदवारों के नाम भी बदले। उम्मीदवारों के नाम बदलने के दौरान ही कांग्रेस के सर्वे पर दबी जुबान में सर्वे पर कांग्रेस के नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया था। कांग्रेस के पदाधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अगर सर्वे सही तरीके से हुआ होता तो आज परिणाम कुछ और होता। सर्वे करने वाली एजेसिंया जमीनी सच्चाई से बेखबर होते हुए सर्वे करती है। जिसका परिणाम आज सबके सामने है।