Story of Becoming Chief Minister: डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के पीछे की कहानी!

पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी, उस पर अमल विधायक दल की बैठक में हुआ!

1981
Story of Becoming Chief Minister

Story of Becoming Chief Minister: डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के पीछे की कहानी!

Bhopal : उज्जैन के विधायक मोहन यादव के मुख्यमंत्री घोषित होने के बाद अब इस बात की खोजबीन होने लगी है कि आखिर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे क्या कारण रहा! पांच दिग्गज नेताओं को हाशिए पर रखकर इस ओबीसी नेता में ऐसी क्या खासियत थी, कि पार्टी ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी? इस सवाल का कोई एक जवाब नहीं हो सकता, पर जानकारियां बताती है कि इस नेता को कमान सौंपे जाने के पीछे भाजपा की रणनीति है। बहुत सोच विचार के बाद मोहन यादव का नाम तय किया गया है।

मुख्यमंत्री की दौड़ में शिवराज सिंह चौहान के अलावा चार बड़े नेता ऐसे थे, जिनमें से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा था। सारे अनुमान भी उन्हीं के आसपास घूम रहे थे। लेकिन, अचानक मोहन यादव को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया और वह भी पूरी औपचारिकता के साथ। बकायदा विधायक दल की बैठक हुई। केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी विधायकों से बात की। विधायकों ने किसका नाम बताया, यह तो सामने नहीं आया न कभी आएगा।

WhatsApp Image 2023 12 12 at 12.20.51 PM 1

उनके नाम का इशारा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से पर्यवेक्षकों को मिल चुका था और पर्यवेक्षकों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनके नाम का प्रस्ताव रखवाकर इस बात की घोषणा की। वास्तव में मोहन यादव के नाम की घोषणा के पीछे भाजपा हाईकमान की लोकसभा चुनाव से जुड़ी रणनीति देखी जा रही है। पार्टी को लोकसभा चुनाव में यूपी और बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है और यही कारण है की मोहन यादव को सामने लाया गया।

Also Read: चौंकिए मत, फेरबदल लाजमी था

दो बार दिल्ली होकर आए

अब भले ही उनके नाम के चयन पर अचरज व्यक्त किया जा रहा हो, पर उन्हें दिल्ली बुलाया गया था। उन्हें चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना भेजा गया था, तब वे दिल्ली से वरिष्ठ नेताओं से मिलकर लौटे थे। नतीजे आने के बाद फिर 6 दिसंबर को दिल्ली बुलाया गया था। तब यह इशारा नहीं था, कि उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। उनकी मुलाकात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई थी। इसके बाद भी स्पष्ट नहीं था कि उन्हें विधायक दल का नेता चुना जाएगा। उन्हें भी इसका अहसास नहीं था। सोमवार को तो मंत्री के तौर मिला उन्हें मिला शासकीय वाहन भी वापस बुलवा लिया गया था। फिर वे अन्य शासकीय वाहन से प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे थे।

ओबीसी वर्ग का फ़ायदा मिलेगा

ये सवाल भी उठ रहा है कि मोहन यादव में किस क्षमता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई? सवाल सही भी है क्योंकि उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्हें इस तरह तो पार्टी ने परखा नहीं होगा, फिर कैसे उनका नाम भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की आंख में आया? वास्तव में इसका एक ही कारण बताया जा रहा है कि पार्टी लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के INDIA गठबंधन को पटखनी देना चाहती है। पार्टी की कोशिश उत्तरप्रदेश और बिहार की सवा सौ लोकसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की है। मोहन यादव को मौका दिए जाने से यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार की जेडीयू/आरजेडी को झटका लगेगा। मध्यप्रदेश की तो ज्यादातर लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं। महाराष्ट्र में भी मोहन यादव के नाम की भुनाया जा सकेगा। कुल मिलाकर उस नेता का नाम भविष्य की राजनीतिक तैयारी को देखते हुए चुना गया है।

Also Read: OBC Face Dr Mohan Yadav: संगठन की बात मानकर लौटा दिया था टिकट, MP के मुखिया बनने पर उज्जैन में जश्न का माहौल 

ससुर भी संघ विचारधारा से जुड़े

बताया जा रहा है कि मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने में संघ की प्रमुख भूमिका रही है। यादव लम्बे अरसे से संघ से जुड़े हैं। इस जुड़ाव के पीछे उनके ससुर ब्रम्हादीन यादव को माना जा रहा है, जो संघ से जुड़े थे। मोहन यादव का विवाह रीवा की भीटी तहसील के कोर्रा किछूटी के ब्रम्हादीन यादव की पुत्री सीमा यादव के साथ 1990 में हुआ था। ब्रम्हादीन रीवा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक होने के साथ संघ की विचारधारा से भी जुड़े थे।

नेपाली बाबा के परम शिष्य

मोहन यादव रामनगरी के प्रख्यात संत एवं रामघाट स्थित सीताराम आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंददास उर्फ नेपाली बाबा के शिष्य हैं। 2016 में उज्जैन में कुंभ के दौरान नेपाली बाबा के ‘राम नाम जप महायज्ञ’ के वे मुख्य यजमान भी रह चुके हैं। बाबा ने तभी उन्हें मुख्यमंत्री होने का आशीर्वाद दिया था, जो फलीभूत हुआ।