अब की बारी मोहन-विष्णु पारी …

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अब की बारी मोहन-विष्णु पारी …

अब मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार और संगठन में मोहन-विष्णु पारी की शुरुआत हो रही है। आज यानि 13 दिसंबर 2023 को शपथ ग्रहण के बाद डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री बन जाएंगे। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा जहां संगठन की कमान संभालेंगे, तो सरकार के मुखिया बतौर डॉ. मोहन यादव प्रदेश की साढ़े नौ करोड़ आबादी के कल्याण को समर्पित होंगे। इस बार दो उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल भी मुख्यमंत्री के साथ शपथ ग्रहण करेंगे। हालांकि मोहन यादव और जगदीश देवड़ा दोनों ही मालवा क्षेत्र से आते हैं, तो राजेंद्र शुक्ल विंध्य के लोकप्रिय नेता हैं। वैसे तो पूरे विधानसभा चुनाव को मोदी के चेहरे पर लड़ा गया, पर चुनाव के एनवक्त पहले विंध्य की मांग राजेंद्र शुक्ल को मंत्री बनाने के बाद यहां मिलीं 30 में से 26 सीटें भाजपा को 160 पार ले जाने में महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। और राजेंद्र शुक्ल विंध्य के लिए शुभंकर साबित हुए हैं।‌ जिस तरह 2020 में विष्णु दत्त शर्मा का प्रदेश अध्यक्ष‌ बनना भाजपा के लिए फलदायी साबित हुआ था और खुद शिवराज सिंह चौहान ने विष्णु दत्त शर्मा को शुभंकर की उपाधि दी थी।
भाजपा आलाकमान ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में चौंकाने वाले नाम सामने रखे हैं। पर इनमें खास बात यह है कि सभी नेताओं का लो प्रोफाइल होना चयन का एक मुख्य आधार है। खुद का कद बड़ा मानने वाले नेता दरकिनार ही हुए हैं। मध्यप्रदेश इसका गवाह है। यहां नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया, वहीं प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह, पंडित गोपाल भार्गव, भूपेंद सिंह जैसे नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनाने पर भी विचार नहीं किया गया। सिंधिया खेमा की खाई पाट‌ दी गई है। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत का नाम भी उपमुख्यमंत्री के लिए विचार में नहीं लाया गया। मुख्यमंत्री-उप मुख्यमंत्री की शपथ के बाद मध्यप्रदेश की निगाहें मंत्रिमंडल के गठन की तरफ रहेंगीं। जिस तरह दिल्ली ने मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री और स्पीकर के चुनाव को पूरी तरह से गोपनीय और अपने अधिकार में रखा, क्या उसी तरह का फार्मूला मंत्रिमंडल के गठन में लागू होगा? यदि ऐसा रहा, तब दो दशक के बाद भाजपा का एक नया दौर शुरू हो जाएगा। और इस नए प्रयोग से क्षत्रप युग की समाप्ति और कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार भी होगा। और तब पूरी तरह से साबित हो जाएगा कि मोदी के मन में एमपी है और एमपी के मन में बस मोदी है। वैसे 23 मार्च 2020 से 12 दिसंबर 2023 तक मध्यप्रदेश भाजपा सत्ता-संगठन में शिवराज-विष्णु के नाम रहा है तो अब 13 दिसंबर 2023 से मोहन-विष्णु की पारी शुरू हो रही है…।