Astronomical Event, Longest Night: 22 दिसंबर को होगी 2023 की सबसे बड़ी रात
संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की खोजपरक रिपोर्ट
खगोलीय घटनाक्रम (Khagoliya Ghatnakram) के कारण हर साल की तरह इस बार भी 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटी अवधि का दिन (Shortest Day) और सबसे लंबी अवधि की रात (Longest Night) रहेगी। इस दौरान दिन की कुल अवधि मात्र 10 घंटे 41 मिनट की रहेगी। वहीं रात की कुल ड्यूरेशन अवधि 13 घंटे 19 मिनट रहेगी।
यह है वजह
खगोलीय घटना की जानकारी रखने वालों के मुताबिक (Astronomical Event), सूर्य के चारों तरफ धरती के परिभ्रमण की वजह से 22 दिसंबर को मकर रेखा पर सूर्य लंबवत होगा। इसकी वजह से उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ी रात और सबसे छोटा दिन होगा। 22 दिसंबर को देश के अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय सुबह छह बजकर कुछ मिनट से लेकर सात बजकर कुछ मिनट पर होगा। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में 22 दिसंबर को सात बजकर 11 मिनट पर सूर्योदय और 5: 29 मिनट पर सूर्यास्त होगा। यानी देश की राजधानी में दिन 10 घंटे और 19 मिनट का होगा। कोलकाता में 6:12 मिनट पर सूर्योदय होगा जबकि 4:58 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
कहां से लगेगा सटीक अनुमान
22 दिसंबर को होने वाले इस अद्भुत खगोलीय घटनाक्रम (Astronomical Event) को उज्जैन और जयपुर समेत देश भर की वेधशाला में शंकु यंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकेगा। इस घटना को धूप होने पर ही देखा जा सकेगा।
22 दिसंबर को विंटर सोल्स्टिस भी कहा जाता है
वैज्ञानिकों के मुताबिक, 22 दिसंबर को सूर्य कर्क रेखा (Tropic of Cancer) की ओर से मकर रेखा (Tropic of Capricon) की ओर दक्षिण की तरफ बढ़ता है। इस दिन से बर्फबारी में और तेज़ी आती है साथ ही मैदानी इलाकों में भी ठण्ड अधिक होने लगती है। इस दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice) भी कहते है। सॉल्सटिस एक लैटिन शब्द है जो सोल्स्टिम से बना है। लैटिन शब्द सोल (sol) का अर्थ होता है सूर्य। जबकि सेस्टेयर (sistere) का अर्थ होता है स्थिर खड़ा रहना। इन दोनों शब्दों को मिलाकार सॉल्सटिस शब्द बनता है। 22 दिसंबर को हमारे देश में शीतकालीन संक्रांति भी कहा जाता है. विज्ञान की भाषा में इसे दक्षिणायन भी कहा जाता है। रात इसमें करीब 16 घंटे की होती है जबकि दिन करीब 8 घंटे ही रहता है। इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर रात हो जाती है जबकि दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य चमकता रहता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस वक्त पृथ्वी अपने घूर्णन के अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई होती है।
विंटर सोलिस्टिस एक वार्षिक घटना
शीतकालीन संक्रांति एक वार्षिक घटना है, पृथ्वी वास्तव में हर साल दो शीतकालीन संक्रांति का अनुभव करती है. एक उत्तरी गोलार्ध में और दूसरा दक्षिणी गोलार्ध में. ग्रीष्म संक्रांति (जब यह भाग सूर्य की ओर झुका होता है) 20-21 जून के आसपास होती है, जबकि शीतकालीन संक्रांति 21-22 दिसंबर के आसपास होती है।
शीतकालीन संक्रांति के पीछे का विज्ञान?
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है जिसके परिणामस्वरूप क्रमशः मौसम और दिन-रात में परिवर्तन होता है. परिणामस्वरूप क्रमशः मौसम और दिन-रात में परिवर्तन होता है. हालांकि पृथ्वी की घूर्णन धुरी सीधी नहीं है बल्कि सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण, सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी के अधिक वायुमंडल से गुज़रना पड़ता है, जिससे यह कमज़ोर हो जाता है और फैल जाता है।
दिन छोटे और रातें लंबी होने का अनुभव
इससे ठंड बढ़ जाती है और हमें दिन छोटे और रातें लंबी होने का अनुभव होता है। सूर्य आकाश में नीचे दिखाई देता है, जिससे उसकी छाया लंबी हो जाती है. तो, शीतकालीन संक्रांति ऐसा है जैसे पृथ्वी सूर्य से थोड़ा दूर झुक रही है, जिसके कारण हमें वर्ष का सबसे ठंडा और सबसे अंधेरा हिस्सा मिलता है।
6 महीने के लिए बढ़ जाती है सूरज से दूरी
अब बात करते हैं उत्तरी गोलार्ध की, तो ये साल के 6 महीने सूरज की ओर झुका रहता है. इससे सूरज की अच्छी-खासी रोशनी इस पूरे दौरान आती है और इन महीनों में गर्मी रहती है। वहीं बाकी 6 महीनों में ये क्षेत्र सूरज से दूर हो जाता है, तब से ही दिन छोटे होने लगते हैं।
प्रात: 8 बजकर 57 मिनिट पर सूर्य होगा ठीक मकर रेखा पर- बोलीं विज्ञान प्रसारक सारिका घारू
सूर्य किरणें 22 दिसम्बर को भारतीय समयानुसार प्रात: 8 बजकर 57 मिनिट पर मकर रेखा पर लबंवत होने के बाद यह कर्क रेखा की ओर अपनी वापसी यात्रा आरंभ कर रही है। इस कारण उत्तरी गोलार्द्ध के शहरों में आज दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होगी। नर्मदापुरम संभाग की नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने मीडियावाला को बताया कि आज विंटर सोलस्टिस का अवसर है जिसमें अनेक खगोलीय तथ्य समाये हुये हैं।
सारिका ने बताया कि पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके हुये सूर्य की परिक्रमा करते रहने के कारण सूर्यकिरणों का कोण किसी स्थान के लिये बदलता रहता है। उत्तरी गोलार्द्ध में अब तक सूर्य दक्षिण दिशा में जाता महसूस हो रहा था। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो आज 8 बजकर 57 मिनिट के बाद सूर्य का उत्तरायण आरंभ हो चुका है।
विंटर सोलस्टिस की यह खगोलीय घटना 20, 21 ,22 या 23 दिसम्बर को हो सकती है। लेकिन 20 या 23 दिसम्बर को यह कम ही होती है। 23 दिसम्बर को यह 2303 में होगी।
खरगोन से नीमच की ओर बढ़ने पर दिन रहेगा छोटे में भी छोटा
मध्यप्रदेश के नगर सूर्यादय सूर्यास्त दिन की अवधि बढ़ते क्रम में
नीमच 07:11 शाम 5:49 10 घंटे 38 मिनिट 10 सेकंड
सिंगरौली 06:38 शाम 5:16 10 घंटे 38 मिनिट 27 सेकंड
सागर 06:53 शाम 5:33 10 घंटे 39 मिनिट 57 सेकंड
रायसेन 06:56 शाम 5:38 10 घंटे 42 मिनिट 03 सेकंड
भोपाल 06:57 शाम 5:39 10 घंटे 42 मिनिट 21 सेकंड
उज्जैन 07:03 शाम 5:46 10 घंटे 42 मिनिट 40 सेकंड
जबलपुर 06:47 शाम 5:29 10 घंटे 42 मिनिट 41 सेकंड
नर्मदापुरम 06:55 शाम 5:39 10 घंटे 44 मिनिट 25 सेकंड
इंदौर 07:02 शाम 5:47 10 घंटे 44 मिनिट 33 सेकंड
हरदा 06:56 शाम 5:43 10 घंटे 46 मिनिट 06 सेकंड
छिन्दवाड़ा 06:48 शाम 5:36 10 घंटे 47 मिनिट 14 सेकंड
बैतूल 06:52 शाम 5:40 10 घंटे 47 मिनिट 49 सेकंड
खरगोन 07:02 शाम 5:41 10 घंटे 49 मिनिट 33 सेकंड
कन्याकुमारी से कश्मीर की ओर बढ़ने पर दिन रहेगा छोटे में भी छोटा
भारत के नगर सूर्यादय सूर्यास्त दिन की अवधि बढ़ते क्रम में
अमृतसर 07:26 शाम 5:31 10 घंटे 05 मिनिट 08 सेकंड
शिमला 07:15 शाम 5:23 10 घंटे 07 मिनिट 41 सेकंड
नई दिल्ली 07:09 शाम 5:29 10 घंटे 19 मिनिट 17 सेकंड
गंगटोक 06:21 शाम 4:46 10 घंटे 24 मिनिट 59 सेकंड
आगरा 07:03 शाम 5:29 10 घंटे 25 मिनिट 42 सेकंड
जयपुर 07:11 शाम 5:38 10 घंटे 26 मिनिट 52 सेकंड
जोधपुर 07:21 शाम 5:50 10 घंटे 29 मिनिट 32 सेकंड
पटना 06:31 शाम 5:03 10 घंटे 32 मिनिट 30 सेकंड
अंबिकापुर 06:34 शाम 5:17 10 घंटे 42 मिनिट 55 सेकंड
कोलकाता 06:12 शाम 4:57 10 घंटे 45 मिनिट 07 सेकंड
द्वारका 07:29 शाम 6:15 10 घंटे 46 मिनिट 31 सेकंड
मुम्बई 07:07 शाम 6:06 10 घंटे 59 मिनिट 29 सेकंड
चेन्नई 06:26 शाम 5:47 11 घंटे 21 मिनिट 29 सेकंड
बैंगुलरू 06:37 शाम 5:59 11 घंटे 21 मिनिट 53 सेकंड
कन्याकुमारी 06:28 शाम 6:07 11 घंटे 39 मिनिट 22 सेकंड