यह सदन बहुत ही गरिष्ठ और बलिष्ठ‌ है…

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भाजपा सरकार और संगठन में अब बदलाव यानि भटकाव...

यह सदन बहुत ही गरिष्ठ और बलिष्ठ‌ है…

भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में बोलते हुए यह बात सौ टके की कही है कि यह सदन बहुत ही बलिष्ठ और गरिष्ठ‌ है। कैलाश जी के कहने के क्या मायने हैं, यह तो वही समझ सकते हैं। उन्होंने चुटकी ली है या फिर एक समृद्ध सदन की तस्वीर पेश की है। पर यह बात सौ फीसदी सच है कि मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधानसभा दिग्गज नेताओं से सजी हुई है। बहुत साल बाद सदन को ऐसा विधानसभा अध्यक्ष मिला है, जो इतना सौम्य, सहज, सरल होने के साथ जितना कोमल हैं, जरूरत पड़ने पर उतना ही कठिन होने की क्षमता‌ रखते हैं। हालांकि,,”गरिष्ठ” का शाब्दिक अर्थ तो है मुश्किल से पचने वाला यानि बहुत भारी। भारी शब्द से याद आया कि एक दिन पहले ही उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे सदन में कह रहे थे कि संसदीय भाषा का ज्यादा इस्तेमाल करने से उनका सिर भारी हो जाता है।‌ हालांकि इस बात‌ पर विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्य गोपाल भार्गव ने कहा था कि हेमंत कटारे की यह बात उनके पिता सत्यदेव कटारे के गुणों से मेल नहीं खाती है। खैर यहां बात सोलहवीं विधानसभा के अनुभवी नेताओं से समृद्ध होने को लेकर हो रही है। जिनके बराबर अनुभव प्राप्त कर पाना वास्तव में बहुत कठिन है।
सरसरी नजर डालें तो इस सदन में विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर नरेंद्र सिंह तोमर विराजमान हैं। उन्होंने पार्षद से लेकर विधायक, राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री, राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के साथ-साथ संगठन में भी युवा मोर्चा के सभी पदों पर रहने के साथ-साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण दायित्व दो-दो बार निभाया है। उनके साथ एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल सदन में नजर आएंगे। तो कमलनाथ का तो पूर्व केंद्रीय मंत्री के बतौर रिकार्ड है। तो इस सोलहवीं विधानसभा में दो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा और पंडित गिरीश गौतम भी संसदीय ज्ञान की गहरी समझ संग मौजूद हैं। इस विधानसभा में तीन-तीन पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, कमलनाथ और पंडित गोपाल भार्गव अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएंगे। तो दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ सदन को समृद्ध करेंगे। इस मायने में सोलहवीं विधानसभा वाकई में बहुत गरिष्ठ और बलिष्ठ‌ है। यहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार इस मायने में बहुत ही धनी हैं कि इतने अनुभवी नेताओं का साथ इन्हें मिला है। भले ही जैसा कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि शिक्षा के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की बराबरी कोई नहीं कर सकता है, पर संसदीय जीवन का अनुभव शिक्षा‌ पर कहीं अधिक भारी है। खुद कैलाश विजयवर्गीय का अनुभव भी इस मामले में सिर चढ़कर बोलता है। पूर्व सांसद राकेश सिंह जो सचेतक भी रहे, उदय‌ प्रताप सिंह के अलावा अनुभवी नेताओं में जयंत मलैया, नागेंद्र सिंह नागौद और नागेंद्र सिंह गुढ़, तुलसी सिलावट, भूपेंद्र सिंह, रामनिवास रावत, बाला बच्चन, राजेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा भी शामिल हैं।
निश्चित तौर से सोलहवीं विधानसभा की गरिष्ठता और बलिष्ठता‌ की बात तब भी होगी, जब नए मंत्रियों के नामों की घोषणा होगी और उसमें कई गरिष्ठ नेताओं के नाम ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेंगे। तब कई नए नेता बलिष्ठ नजर आएंगे और उनमें गरिष्ठता का अनुभव भी वरिष्ठों को नजर आएगा। राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन में एक बात और सामने आई कि कैलाश विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के परिवार मिल मजदूरी से जुड़े थे और यह दोनों नेता आज इतना लंबा सफर तय‌ कर शीर्ष तक पहुंचे हैं। हालांकि मध्यप्रदेश विधानसभा में ऐसे और भी सदस्य हैं जिनके परिवार मजदूरी या छोटा-मोटा रोजगार कर जीवनयापन करने को मजबूर थे। तो सोलहवीं विधानसभा की गरिष्ठता और बलिष्ठता प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी के हित में गरिष्ठ और बलिष्ठ‌ साबित हो, यही उम्मीद है…।