रुपए हड़पने पर प्रज्ञा डेयरी संचालकों को 10 वर्ष का कारावास!
Ratlam : प्रज्ञा डेयरी एंड एग्रो लिमिटेड कंपनी के 2 संचालकों को निवेशकों से बेईमानी, धोखाधड़ी करते हुए राशि दोगुना करने का लालच देकर रुपया हड़पने के आरोप में तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने आरोपी पूनमचंद पाटीदार, नानालाल पाटीदार को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष का कारावास और 25-25 हजार रुपए जुर्माना लगाया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2016 के पूर्व प्रज्ञा डेरी एंड एग्रो लिमिटेड कंपनी के संचालक सुरेश पाटीदार, पूनमचंद पाटीदार व अन्य द्वारा रतलाम-झाबुआ तथा अलीराजपुर के निवेशकों को कंपनी में रुपए जमा करने पर 5 वर्ष में जमा राशि का दुगना व दुर्घटना बीमा राशि प्रदत्त करने का प्रलोभन, झांसा देते हुए कई निवेशकों से कंपनी में राशि जमा करने हेतु बेईमानी से उत्प्रेरित कर छल किया तथा निवेशकों की राशि का समय पूर्ण होने पर निक्षेप राशि के संदर्भ में व्यतिक्रम करते हुए फरियादी सुरेश पाटीदार व अन्य व्यक्तियों को निक्षेप के प्रति दिए गए आश्वासन अनुसार सेवाएं देने में विफल रहने के कारण फरीयादि द्वारा 15 जनवरी 2017 को मामले में रिपोर्ट शहर के माणकचौक थाने पर की थी, जिस पर आरोपियों के विरुद्ध थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था, प्रकरण में विवेचना के दौरान पुलिस ने कंपनी के रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर जिलों के निवेशकों से पॉलिसियां लेकर उनके कथन लिए साथ ही कंपनी के रजिस्ट्रार से खातों की जानकारी भी प्राप्त की।
प्रकरण में विवेचना उपरांत सहायक उप-निरीक्षक विनोद कटारा ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। जिसे तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में पेश किया गया जिसमें अभियोजन द्वारा 41 साक्ष्यों के कथन करवाएं गए तथा लगभग प्रकरण के 1052 दस्तावेज न्यायालय में प्रदर्शित कराए गए।
अभियोजन द्वारा न्यायालय में कराए गए साक्षी एवं प्रस्तुत पॉलिसी एवं अन्य दस्तावेजों एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने आरोपी पूनमचंद पिता रणछोड़ दास पाटीदार, नानालाल पिता नारायण पाटीदार जिला झाबुआ को धारा 409, 420 भारतीय दंड विधान के 13 काउंट तथा धारा 6 मध्य प्रदेश निक्षेपों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 में दोषी पाया। जिसमें धारा 409 में 10 वर्ष कारावास तथा 420 भादवि के 13 काउंट में प्रत्येक में 6 वर्ष, इस प्रकार 420 में कुल 78 वर्ष तथा धारा 6 निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम में 6 वर्ष का कारावास की सजा सुनाई और कुल 25-25 हजार रुपए का जुर्माना दोनों अभियुक्तों पर लगाया गया। प्रकरण की पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान द्वारा की गई।