Kissa-A-IAS: दृष्टिबाधित जयंत मनकाले ने हिम्मत की रोशनी नहीं खोई, ऐसे बने IAS 

514

Kissa-A-IAS: दृष्टिबाधित जयंत मनकाले ने हिम्मत की रोशनी नहीं खोई, ऐसे बने IAS 

IMG 20231224 WA0012

जीवन में भले आप अपनी दृष्टि खो दें, पर लक्ष्य को न डिगने दें। फिर चाहे उसके लिए कुछ भी क्यों पड़े। इस बात को सही साबित किया IAS जयंत मनकाले ने, जिन्होंने अपनी आंखों की रोशनी खोने के बावजूद अपनी हिम्मत की रोशनी नहीं खोई और यूपीएससी में आल इंडिया में 143 वीं रैंक हासिल की। महाराष्ट्र के बीड जिले के जयंत मनकाले ने संगमनेर के अमृत वाहिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यूपीएससी परीक्षा पास करने से पहले उन्होंने एक निजी फर्म में मेंटेनेंस इंजीनियर के रूप में भी काम किया। लेकिन, उन्होंने हालात से समझौता नहीं किया और मेहनत करते रहे।

IMG 20231224 WA0010

जयंत मनकाले को आंखों की बीमारी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा है, जिस कारण उन्होंने अपनी 75% दृष्टि खो दी। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है, जो रेटिना में कोशिकाओं के टूटने से हुए नुकसान के कारण होती है। मुसीबत यहीं तक नहीं थी। उन्होंने 10 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था जो पानी के पंप ऑपरेटर थे। परिवार पर रोजी-रोटी का संकट आया, तो उनकी मां और दो बड़ी बहनों ने पुणे में अचार बेचकर परिवार को संभाला। क्योंकि, पिता की पेंशन पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन भी लिया और दृढ़ संकल्प के साथ अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करना नहीं छोड़ा।

IMG 20231224 WA0009

इस लगनशील छात्र ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि 2015 में एक निजी फर्म में काम करते समय तो मैं लगभग 75% दृष्टिहीन ही हो गया था। उसके बाद मुझे अपना जीवन पूरी तरह से अंधकार भरा लगने में था। मेरे पिता का पहले ही निधन हो चुका था और आजीविका कमाना एक बड़ा काम था। लेकिन, यूपीएससी ने मुझमें उम्मीद जगाई, हौसला दिया और एक नया जीवन दिया।

IMG 20231224 WA0011

जयंत मनकाले ने आर्थिक संकट से जूझते हुए मराठी माध्यम से यूपीएससी की तैयारी की। वे अपनी ख़राब वित्तीय स्थिति के कारण ऑडियो बुक और स्क्रीन रीडर का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर समाचार और दूसरे कार्यक्रम सुने। लोकसभा और राज्यसभा टीवी पर बहस वाले कार्यक्रमों ने भी उनकी मदद की। वे बताते हैं कि इसके अलावा यूट्यूब पर प्रख्यात मराठी लेखकों के भाषण सुने। अपने मोबाइल से किताबों के पन्नों तस्वीरें लीं और जब भी समय मिलता उन्हें ज़ूम करके पढ़ते रहे। उन्होंने कभी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताब नहीं पढ़ी, क्योंकि वे इसके लिए समर्थ नहीं थे। हाथ से लिखे नोट्स का उपयोग भी वे नहीं कर सकते थे। इस वजह से परीक्षा की तैयारी करना बहुत कठिन हो गया था।

IMG 20231224 WA0013

इसके बावजूद जयंत ने 2018 में एआईआर रैंक-923 के साथ यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की। हालांकि, जयंत IAS बनने के अपने सपने पर दृढ़ थे। इसलिए उन्होंने एक और प्रयास किया और एआईआर रैंक-143 के साथ फिर परीक्षा पास की और अंततः आईएएस बन गए। उन्हें गुजरात कैडर अलॉट हुआ है। जयंत मनकाले का कहना है कि यदि हम सफलता पाने के लिए दृढ़ हैं, तो हम अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर सकते हैं।