रिश्वत लेने के मामले में सरपंच व रोजगार सहायक को 4 वर्ष का कठोर कारावास

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रिश्वत लेने के मामले में सरपंच व रोजगार सहायक को 4 वर्ष का कठोर कारावास

राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

 

छतरपुर: विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार जैन की अदालत द्वारा आरोपी हीरालाल सौर, सरपंच एवं रोजगार सहायक राममिलन यादव को सामुदायिक भवन के निर्माण कार्य का भुगतान करने के एवज में 15000 रुपये की रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा-7 में चार वर्ष कठोर कारावास, व धारा 13 (1)(डी) में चार वर्ष की कठोर कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।

 

प्राप्त जानकारी अनुसार फरियादी गोरेलाल अहिरवार ने दिनांक 23.11.2015 को लोकायुक्त पुलिस सागर को इस आशय की शिकायत की थी मैं मजदूरी का कार्य करता हूॅ। मेरे द्वारा ग्राम पंचायत करकी के मजरा में सामुदायिक भवन का छाप एवं फर्स, गेट पुताई का कार्य किया गया था जिसकी लागत मय मटेरियल की एक लाख तय हुई थी, मेरे द्वारा कार्य पूर्ण होने पर सरपंच हीरालाल सौर एवं रोजगार सहायक सचिव राममिलन यादव से मिला तो उन्होने कहा कि हम तुम्हारा पैसा निकलवा देगें लेकिन तुम्हे बाद में कमीशन 15000 लगेगा। सभी मजदूरो एवं सभी मटेरियल का पैसा मिल चुका है। सरपंच एवं रोजगार सहायक द्वारा मुझ पर 15000 रूपये रिश्वत देने का अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। मैं उन्हे रिश्वत नही देना चाहता हूं बल्कि उन्हे रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकडवाना चाहता हूँ।

 

आवेदन पत्र के जांच उपरांत फरियादी गोरेलाल अहिरवार को वॉयस रिकार्डर दिया गया जिसमें आरोपीगण द्वारा मांगी जा रही रिश्वत की मांगवार्ता रिकार्ड हो गई।

 

आरोपी सरपंच हीरालाल सौर ने फरियादी से 11000 रूपये नगद रिश्वत सह आरोपी रोजगार सहायक राममिलन यादव को देकर ट्रेप दल को इशारा किया। ट्रेप दल ने अंदर जाकर आरोपी सरपंच हीरालाल सौर को रंगे हाथो पकड़ा। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया।

 

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ के.के. गौतम ने पैरवी करते हुए सभी सबूत एवं गबाह कोर्ट में पेश किये एवं आरोपी को कठोर से कठोर सजा की मांग की। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार जैन की कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लोक सेवको द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नीव को हिला रहा है। ऐसे आरोपियो को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। कोर्ट ने आरोपी सरपंच हीरालाल सौर एवं आरोपी राममिलन यादव, रोजगार सहायक को भ्रष्टचार निवारण अधिनियम की धारा-7 में चार वर्ष कठोर कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड, व धारा 13(1)(डी) सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष की कठोर कैद व 1000 रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।