New Faces For Ministers Staff: मंत्री स्टाफ में नये चेहरों को मिलेगी जगह, पुराने स्टाफ के दोहराव पर लगेगी रोक
भोपाल: मध्यप्रदेश में नई सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री समेत कुल 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है। विभागों का बटवारा भी जल्द होंने जा रहा है। लेकिन इस बार संघ और सरकार की सलाह पर मंत्रियों के स्टाफ में बेदाग और नये चेहरों को जगह मिलेगी। मंत्रियों के पास तैनात किए जाने वाले निज सचिव, निज सहायक, ओएसडी के पदों पर ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की तैनाती नहीं होगी जो पहले किसी तरह के भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता और अन्य मामलों में उलझे हुए है। पूर्व मंत्रियों के पास तैनात रहे स्टाफ की तैनाती पर इस बार विराम लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों के पास काम करने वाले निज सचिव, निज सहायक और ओएसडी के पदों पर तैनात रह चुके कई अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, अनियमितताओं की शिकायतें संघ से लेकर दिल्ली पीएमओ तक जा पहुंची है। इसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय और सामान्य प्रशासन विभाग ने ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की मंत्री स्टाफ में तैनाती पर रोक लगा दी है जिनपर पहले किसी अनियमितता, भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है। मंत्रिमंडल गठन के बाद पूर्व मंत्रियों के स्टाफ में रह चुके ओएसडी, निज सचिव और निज सहायकों ने मंत्रियों के बंगलों से लेकर मंत्रालय तक में उनसे मेल मुलाकात शुरु कर दी है। कई क्षेत्रीय विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों की सिफारिश लेकर भी पहुंच रहे है। कुछ पुराने चेहरों को ही दुबारा मौका देते हुए मंत्रियों ने नोटशीट भी जीएडी को भिजवा दी है लेकिन नई गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए इस बार नये चेहरों को मंत्री स्टाफ में मौका दिया जा रहा है। इसके चलते इन नोटशीट पर अमल की संभावना कम है। यदि कुछ अधिकारी-कर्मचारी जानकारी छुपाकर पदस्थापना पाने में सफल भी हो गए तो बाद में उनकी पदस्थापना निरस्त हो सकती है।
जीएडी और सीएम सचिवालय इस बार मंत्रियों की पोस्टिंग में फूक-फूक कर कदम रख रहे है। पुराने स्टाफ का बार-बार दोहराव नहीं करने की इस कवायद से मंत्रियों के इर्द-गिर्द घूम रहे पुराने स्टाफ में खलबली मच गई है। हालाकि कई मंत्री चाहते है कि उनके पास इस काम के अनुभवी अधिकारी और कर्मचारी तैनात किए जाए लेकिन जीएडी ने साफ कर दिया है कि नये, बेदाग अधिकारी-कर्मचारियों की ही तैनाती की जाएगी। यदि बाद में पाया जाता है कि अनियमितता के आरोपी किसी स्टाफ की तैनाती हो गई है तो उसे बाद में हटाया जा सकता है।