रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को, छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल अयोध्या पहुंचेगा!

जानिए राम मंदिर में कहां से और क्या-क्या आएगा!

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को, छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल अयोध्या पहुंचेगा!

 

लखनऊ: अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. इसके बाद भगवान को विशेष भोग लगाया जाएगा, जिसमें ननिहाल के चावल और ससुराल का मेवा शामिल होगा.

*जानिए दस महत्वपूर्ण बिंदु:राममंदिर में कहां से और क्या-क्या आएगा!*

1. ननिहाल छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल अयोध्या आएगा. ये अब तक की सबसे बड़ी चावल की खेप होगी, जो अयोध्या पहुंचेगी. इसे छत्तीसगढ़ के जिलों से एकत्र किया गया है.

2. भगवान राम की ससुराल नेपाल के जनकपुर से वस्त्र, फल और मेवा 5 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे. इसके अलावा उपहारों से सजे 1100 थाल भी होंगे.

3. नेपाल से आभूषण, बर्तन, कपड़े और मिठाइयों के अलावा भार भी आएगा, जिसमें 51 प्रकार की मिठाइयां, दही, मक्खन और चांदी के बर्तन शामिल होंगे.

4. उत्तर प्रदेश के एटा जिले से रामलला के दरबार में अष्टधातु का 2100 किलो का घंटा पहुंचेगा. दावा किया जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा घंटा होगा, जिसकी लागत 25 लाख रुपये है. इसे बनाने में 400 कर्मचारी जुटे हुए हैं.

5. यूपी के एटा से अयोध्या पहुंच रहे घंटे की चौड़ाई 15 फुट और अंदर की चौड़ाई 5 फुट है. इसका वजन 2100 किलो है. इसे बनाने में एक साल का समय लगा है.

6. प्राण प्रतिष्ठा के लिए गुजरात के वडोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है, जो बनकर तैयार है. इसे पंचगव्य और हवन सामग्री के साथ गाय के गोबर से बनाया गया है. इसका वजन 3500 किलो है.

7. वडोदरा से अयोध्या पहुंच रही इस अगरबत्ती की लागत पांच लाख से ऊपर है. इसे तैयार करने में 6 महीने का समय लगा है.

8. इस अगरबत्ती को वड़ोदरा से अयोध्या के लिए 110 फीट लंबे रथ में भेजा जाएगा. अगरबत्ती बनाने वाले विहा भरवाड़ ने बताया कि एक बार इसे जलाने पर ये डेढ़ महीने तक लगातार जलती रह सकती है.

9. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान की चरण पादुकाएं भी वहां पर रखी जाएंगी. फिलहाल, ये पादुकाएं देशभर में घुमाई जा रही हैं. पादुकाएं 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगी. इन्हें हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने तैयार किया है.

10. श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने इन श्रीराम पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिनों की परिक्रमा की थी. इसके बाद इन पादुकाओं को रामेश्वरम से बद्रीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाया जा रहा है और विशेष पूजा की जा रही है.