A New Dawn in Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में नूर-उस-सबाह ( ऊषा किरण)
जम्मू कश्मीर में CRPF के स्पेशल DG पदस्थ रह चुके होने के कारण, मैं विगत संसद के सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कश्मीर पर भाषण को बहुत ध्यान से सुन रहा था। उन्होंने कश्मीर घाटी की वर्तमान स्थिति की तुलना 2010 से की जब पत्थर और ग्रेनेड फेंकने वाली उग्र भीड़ के ऊपर गोली चालन से 112 नौजवान मारे गए थे। संयोगवश 2010 में मैं ही जम्मू कश्मीर में स्पेशल DG CRPF था तथा उस अत्यधिक कठिन परिस्थिति में मुझे कश्मीर की हिंसा का सीधे सामना करना पड़ा तथा जान जोखिम में डालनी पड़ी। आज की स्थिति के लिये गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर घाटी में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बहुत सुधर गई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा के पटल पर जम्मू कश्मीर से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इनमें पहला- जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 और दूसरा- जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2023 था। धारा 370 की समाप्ति के बाद इन अधिनियमों से शेष भारत के समान वहाँ भी आरक्षण लागू हो जाएगा तथा विधानसभा की सीटों के वितरण में विशेष प्रावधान के अंतर्गत विस्थापितों (कश्मीरी पंडितों) को भी प्रतिनिधित्व मिल जाएगा। गृह मंत्री जम्मू कश्मीर के पिछले सात दशक के इतिहास पर अपनी समीक्षा भी दे रहे थे। इसी संदर्भ में वे कश्मीर के अलगाववादियों द्वारा मेरे कार्यकाल में पूरी कश्मीर घाटी में लगी आग का उल्लेख कर रहे थे। तब की तुलना में आज कश्मीर में हिंसा के स्थान पर अभूतपूर्व संख्या में टूरिस्ट भ्रमण के लिए आ रहे हैं।
2010 की स्थिति के लिए यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि उस समय घाटी की हिंसा के मूल में सेना की एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ थी। उस समय सेना और केंद्र सरकार द्वारा उस फ़र्ज़ी मुठभेड़ को छिपाने का प्रयास किया गया, जो उस वर्ष बेहद ख़तरनाक सिद्ध हुआ। 30 अप्रैल, 2010 को सेना ने कुपवाड़ा के माछिल में तीन लोगों को तथाकथित एनकाउंटर में मार गिराया। बताया गया कि ये लोग एलओसी से घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। सेना ने इन लाशों को पुलिस के हवाले कर दिया, जिन्हें दफना दिया गया। इस एनकाउंटर से तीन दिन पहले यानी 27 अप्रैल को बारामूला में कुछ लोगों ने अपने इलाके के तीन लोगों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस एनकाउंटर पर कार्रवाई करने की माँग को लेकर पहले हुए छिटपुट प्रदर्शन मे तुफैल अहमद नाम का एक लड़का मारा गया। उसके बाद चार महीनों तक CRPF और जम्मू कश्मीर पुलिस को घाटी की स्थिति नियंत्रण करने के लिए लगातार जगह-जगह गोली चलानी पड़ी जिसमें 112 नौजवानों की गोली से मृत्यु हो गई। पाँच वर्ष बाद 2015 में इस फर्जी एनकाउंटर मामले में सेना ने कोर्ट मार्शल में एक कर्नल सहित पाँच सेना के लोगों को दोषी पाया तथा सभी आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई। सेना के लोगों ने यह एनकाउंटर मेडल प्राप्त करने के लिए किया था। उल्लेखनीय है कि सेना की इस चूक ने कश्मीर के इतिहास में सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व में मसर्रत आलम को घाटी में नौजवानों को पत्थरबाज़ी के लिये भड़काने का अवसर दिया।
उपरोक्त घटना के विपरीत अभी हाल में जम्मू के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र पुँछ में सेना की कस्टडी में कुछ नागरिकों की मृत्यु को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गंभीरता से लिया है। वे स्वयं पुँछ राजोरी सेक्टर में गए और उन्होंने सेना के जवानों और अधिकारियों को जम्मू कश्मीर की जनता को अपना समझते हुए उसे स्नेह और सुरक्षा देने के लिए कहा। संबंधित ब्रिगेडियर को हटा दिया गया है और जाँच प्रारंभ कर दी गई है। आज बदले हुए वातावरण ने सेना को सकारात्मक आत्मविश्वास दिया है और इसीलिए उसने तत्काल कार्रवाई की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पूरी तत्परता दिखाई है। नेशनल कॉन्फ़्रेन्स के फारुख अब्दुल्ला ने घटना की जाँच की माँग की है तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने की माँग रखी है। यह एक प्रजातांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष का अधिकार है।
धारा 370 संवैधानिक दृष्टि से हटा दी गई है, परंतु व्यावहारिक दृष्टि से नयी स्थिति को जम्मू कश्मीर की पृथ्वी पर उतारने में अभी बहुत समय और श्रम लगेगा। सर्वप्रथम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देकर तत्काल चुनाव कराना अत्यंत आवश्यक है। जम्मू कश्मीर में बाहर के लोगों के द्वारा भूमि क्रय करने का अधिकार मिल जाने से वहाँ पर टूरिज़्म, इंडस्ट्री तथा ट्रेड का विस्तार निश्चित है। विकास की गतिविधियां तेज हो जाने से कश्मीर घाटी के नौजवानों का ध्यान भी हिंसा से दूर होगा। जम्मू कश्मीर के भारत के साथ भावनात्मक विलय के लिए भारत सरकार, शेष भारत की जनता और सभी राजनैतिक नेताओं को अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।