New Year, global celebrations: नया साल, वैश्विक उत्सव, और संकल्प : शुरुआत की एक विश्वव्यापी सुन्दर टेपेस्ट्री”

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New Year, global celebrations:नया साल, वैश्विक उत्सव, और संकल्प: शुरुआत की एक विश्वव्यापी सुन्दर टेपेस्ट्री”

“उन विविध तरीकों का पता लगाएं जिनसे दुनिया नए साल का स्वागत करती है और भविष्य के लिए आकांक्षाएं प्रकट करती है!”
नव वर्ष या नया साल एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है।विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।
इतिहासकारों की मानें तो नव वर्ष उत्सव ४,००० वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था तभी से इसकी शुरुआत हुई।
लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी।अनेकता में एकता ये हिन्द की विशेषता है
वैसे भारत में नव वर्ष वर्ष में 5 बार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
रोमन शासक जूलियस सीजर ने अपने शासन काल में 1 जनवरी नव वर्ष के रूप में घोषित किया था।
ईसाई नववर्ष – 1 जनवरी शुरुआत होती है ,पंजाबी नववर्ष – सिख धर्म के लोगों का नया साल बैसाखी पर्व,हिंदू धर्म के नववर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है,पारसी धर्म के लोग नव वर्ष नवरोज उत्सव के रूप में मनाते है ,जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन वीर निर्वाण संवत से
एक मजेदार बात यह है कि
प्रशांत महासागर में लाइन द्वीप (किरिबाती का हिस्सा), समोआ और टोंगा, नए साल का स्वागत करने वाले पहले स्थान हैं, जबकि अमेरिकी समोआ, बेकर द्वीप और हावलैंड द्वीप (संयुक्त राज्य अमेरिका के छोटे बाहरी द्वीपों का हिस्सा) उनमें से हैं। अंतिम कहे जाते हैं।
हम भारतीय आसानी से अपने आप को समय परिस्थितियों और माहौल के अनुसार ढालने के लिए विख्यात है।
अंग्रेजों की 100 साल हुकूमत का असर अभी भी बरकरार है।
भारत को आजाद हुए 76 साल पूरे हो गए हैं पर आज भी हम नव वर्ष सम्पूर्ण विश्व के साथ 1 जनवरी को कैलेन्डर इयर के रूप में मिलजुलकर, धूमधाम से मनाते हैं।
आज भी पाश्चात्य संस्कृति के मुताबिक नववर्ष की पूर्व संध्या से ही सैलीब्रेशन शुरू हो जाता है।
लाइटिंग, सामूहिक डांस केकटिंग, पार्टी की जाती है। नये साल पर जहां सभी महानगरों के सारे रिसोर्ट्स,पब रेस्टोरेंट,बार प्री-बुक है ।
यहां तक की रहवासी क्षेत्रों में भी हर सोसायटी में नववर्ष की अगवानी विलायती अंदाज में करते हैं द्राक्षासव के बिना सैलिब्रेशन अधूरा होता है, बस एक भेंड़चाल के तहत नववर्ष की अगवानी का चलन झमाझम संगीत और नशे के आगोश में डूबती ज़िन्दगी , नशे में धुत्त सड़कों, बिस्तर, रिसार्ट या विभिन्न व्यावसायिक कम्पनियों आयोजकों द्वारा दिए मोटे-मोटे नववर्ष पैकेजों को ले विदेशों में जा दिन बिताते युगलों, युवक- युवतियों और परिवारों से होटल अटे पड़े रहते हैं।
देर रात तक नव वर्ष सैलीब्रेशन के कारण नववर्ष का सूरज कब उदित हो कर नवऊर्जा, नवशक्ति, नव जीवन, नव संकल्पों, नवाचारों ,नव विहान ले आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहा होता है हमें भान ही नहीं होताऔर उसका आतिथ्य तो दूर स्वागत करने की स्थिति में ही सब नहीं होते हैं।

क्योंकि हम पिछले साल की गोद में बेसुध पड़े रह जाते हैं…..
जरा बताइए ईश्वर के इस उपहार को नजरंदाज कर दें ये कहां की समझदारी कहीं जायेगी??
गुस्ताखी के लिए माफी चाहते हैं ,पर क्या यह सही नजरिया है?????
हमारे भारतीय संस्कृति आध्यात्मिक विरासत, योग, वानस्पतिक औषधीय ज्ञान आरोज्ञ ध्यान, संगीत,कला,को विदेश में विश्वविद्यालयों में स्थान दिया जा रहा हमारी विरासत को सराह जा रहा है और सभी उससे लाभान्वित हो रहे हैं और हम इसका तिरस्कार कर रहे हैं।अमृत छोड़ विषपान

एक वरिष्ठ चिकित्सक ने भारतीय मौसम और जलवायु के अनुसार पाश्चात्य खान-पान और रहन सहन को और मादक पेय शारीरिक स्वास्थ्य को नुक्सान ही नहीं पहुंचाते अपितु उनकी क्रियाशीलता को भी प्रभावित करते हैं।
एक शोध के अनुसार खास कर देर-रात का खान-पान और नशीले पदार्थो का उपयोग बहुत शरीर और स्वास्थ्य के लिए बहुत हानि कारक है।खास कर महिलाओं के लिए,तो आज यहां उपस्थित सब सृजन, लेखन, संस्कृति आध्यात्मिक स्वास्थ्य समाज के रक्षक इस समूह से जुड़े श्रीजनोंसे अनुरोध है इस आने वाले नव वर्ष में नया शंखनाद कर नव संकल्प कर
“सर्वेभवन्तु सुखाना सर्वे संतु निरामया” का जय दोष कर भारतीय संस्कृति और भारत की नव कीर्ति का नव स्वरूप निर्मित कर सकने हेतु संकल्पित हो सकेंगे🙏 इसी आशा और विश्वास के साथ आप सभी के साथ कुछ संकल्प लेना चाहती हूं ये बातें शायद जन्मघुट्टी के साथ घिस कर हमारी मां पिता ने कभी ना कभी चटायें ही होंगे उन्हें ही दोहराना चाहती हूं शायद आने वाली पीढ़ी के लिए अमरफल की तरह कारगर हो सकेंगे।अगर उचित समझें तो उपयोग में लाए अन्यथा दिवा स्वप्न समझ भुला दें।

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नए साल का स्वागत लोग नई उम्मीदों व आशाओं से करते हैं। लोगों की उम्मीद होती है कि आने वाला साल खुशियों से भरा होगा। हालांकि साल की बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रयास आपको खुद भी करने पड़ते हैं। इसीलिए नए साल की शुरुआत में कुछ संकल्प लेना का चलन है। यह संकल्प लोगों को नए साल की शुरुआत के साथ ही उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। जीवन में बदलाव लाने और कुछ अच्छा हासिल करने के लिए खुद को प्रोत्साहित करते हुए फैसले लेते हैं। साल भर अपने लिए फैसले पर अडिग चलने के लिए संकल्प लेते हैं। नए साल के संकल्प केवल कपल या बड़े उम्र के लोग ही नहीं ले सकते, बल्कि इस तरह के संकल्प बच्चों को भी लेने चाहिए। माता पिता को अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कुछ संकल्प अवश्य दिलाने होंगे और दहलीज पर खड़े नव वर्ष का सभी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ  इसका स्वागत करे,नए साल के मौके पर लोग लीजज व्यजंन बनायें, पिकनिक स्पॉट जायें, खूब मौज-मस्ती करें है, नए साल पर लोग एक दूसरे को बधाईयां व शुभकामनाएं भी दें लेकिन इस बार नए साल पर हम खुद के लिए कुछ संकल्प लें और इसे पूरे साल अपने जीवन में लागू कर तरक्की और सफलता प्राप्त कर हेतु एक कदम उठाए तो कैसा रहे..
ये संकल्प शायद आप सभी के मन की भी आवाज़ हो एसी आशा के साथ आइये मिलकर नये साल की अगवानी इन संकल्पों से नये अंदाज़ में करें और आने वाली पीढ़ी को अपने से जोड़ सही ग़लत की पहचान करना सिखा आगे बढ़ने हेतु प्रेरित कर हमारी स्वर्णिम विरासत उपहार स्वरुप सोंप सकें..
नववर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं के साथ ..

ममता सक्सेना