अब राममय है भारत…

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अब राममय है भारत…

यह देश राम का था, राम का है और राम का रहेगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ राम मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा का समय जैसे-जैसे पास आ रहा है, वैसे-वैसे पूरा भारत राममय नजर आ रहा है। हर तरफ राम की चर्चा है। हर दिल में राम की अनुभूति है। हर मन में राम का नाम है। तन में रोम-रोम में राम का अहसास है। अब लग रहा है कि भारत ने अभी तक क्या खोया था, जिसके पाने का अहसास अब हर व्यक्ति को हो रहा है। और अब जब यह अहसास हो रहा है तो पार्श्व में मोदी-योगी जैसे चेहरे भी कदमताल करते दिखना स्वाभाविक है। और तब 2024 मोदी के 400 पार के लक्ष्य की पूर्ति करता भी दिख रहा है। 22 जनवरी 2024 को राम नाम के साथ शुरू हुई यह यात्रा ठीक चार माह बाद 22 मई 2024 तक भारत में मोदी की अभूतपूर्व वापसी की गवाह बनती नजर आने वाली है। सिवाय इसके कि भगवान राम के मन में ही कुछ और न बसा हो। खैर आज से ठीक 15वें दिन अयोध्या में राम प्रतिष्ठा के साथ पूरा भारत राम रंग में रंगा रहेगा। आज हम सब भी राम नाम में ही रंग जाते हैं।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भगवान राम की नगरी सज धजकर तैयार हो रही है। अयोध्या के बस स्टॉप को खास लुक दिया जा रहा है। दीवारों पर भगवान राम और बजरंगबली की तस्वीरें बनाई जा रही है। वहीं राम मंदिर के भूतल का काम लगभग लगभग पूरा हो चुका है। 33 सीढ़ियां चढ़ने के बाद भक्तों को रामलला के दर्शन प्राप्त होंगे। जो भी थोड़े बहुत काम बचे हैं वह एक सप्ताह के अंदर पूरे हो जाएंगे। राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने 7 जनवरी 2024 को नवनिर्मित मंदिर के भूतल की फिनिशिंग का काम तीन दिन के अंदर पूरा करने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए अब सभी तरह के निर्माण कार्य रात में किए जाएं। 15 जनवरी तक जन्मभूमि पथ का काम भी पूरा कर लिया जाए। तो अयोध्या में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिये रामनगरी को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा प्रतीक बनाने की तैयारी है। संस्कृति विभाग ने 14 जनवरी से लेकर आगामी एक महीने तक अयोध्या में आध्यामिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बनाई है। इनके जरिये देश और विदेशों में स्थित भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म और आध्यात्म को एक मंच पर लाया जाएगा।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का दर्शन करने के लिए छत्तीसगढ़ के दो युवा रामभक्त पैदल ही निकल पड़े हैं। वह कई दिनों का पैदल सफर करते हुए रविवार को प्रयागराज पहुंचे। राम के प्रति अगाध भक्ति और श्रद्धा देखकर हर कोई स्तब्ध है। छत्तीसगढ़ से अयोध्या की 800 किलोमीटर की पदयात्रा 40 दिन में पूरी करने का अनुमान लगाया था, लेकिन राम की कृपा से इन दोनों ने 26 दिन में ही 600 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। निर्धारित समय से पहले ही यह रामनगरी पहुंच जाएंगे।
ऐसे वाकये समाचारों में भरे पड़े हैं। जहां कई मुस्लिम रामभक्त भी पैदल चलकर अयोध्या पहुंच रहे हैं। हजारों अद्भुत उपहार भी भगवान राम को अर्पित करने के लिए तैयार कर लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं। मध्यप्रदेश से 121 संतों को अयोध्या पहुंचने का आमंत्रण मिला है। निश्चित तौर पर हमें हिंदू होने और भारत में जन्म लेने पर गर्व है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम हमारे मन में बसे हैं, हमारी आस्था का केंद्र हैं। वह वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वे भवंतु सुखिन: के प्रतीक हैं। यह सब बस राम की अनुभूति का एक प्रयास है। आओ हम सब मिलकर राम के आचरण से कुछ सीखकर राममय भारत का हिस्सा बन गर्व का अनुभव करें…।