अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों …

जनरल, काश यह देश तुम्हें उस अंतिम हवाई यात्रा करने से रोक पाता... सैल्यूट जनरल और सभी शहीद सैन्य अफसर-सैनिक

1787

1964 में रिलीज हुई फिल्म हकीकत, मदन मोहन का संगीत, कैफ़ी आज़मी का गीत और मो.रफ़ी की आवाज…और गीत के बोल “कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों…अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों”। आज भी यह गीत सुनकर हर दिल देशभक्ति और देश के रक्षक सैनिकों के प्रति सम्मान से भर जाता है।

गौरव से सिर ऊंचा हो जाता है और आंखों में वह दृश्य तैरने लगते हैं, जो शहादत के समय भी सैनिकों के मनोबल का लोहा मनवाते हैं। आज भी इस गीत के जरिए सैनिकों का समर्पण, हौंसला, त्याग, शौर्यता, वीरता, हिम्मत, ताकत और जननी-जन्मभूमि पर बलिदान का उनका जज्बा महसूस कर देश पर मर मिटने का जुनून न केवल हर राष्ट्रभक्त के दिल में पैदा हो जाता है, बल्कि कदम खुद-ब-खुद आगे बढ़ने लगते हैं।

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ...

आज हम बात कर रहे हैं जनरल बिपिन रावत और उनके साथ शहीद हुए सेना के अफसरों और सैनिकों की। तो उनकी जीवन संगिनी मधुलिका की भी, जिन्होंने शादी के बाद जीते जी अपनी हर सांस पति को समर्पित की, तो उनकी अंतिम यात्रा में संगिनी बन ही शामिल रहीं। साथ ही पति के सामने ही उनसे पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जनरल बिपिन रावत तुम्हारी शहादत पर इस देश का हर दिल गमगीन है, आंखें नम हैं और हर देशभक्त नागरिक को तुम्हारे जाने का गम है। निश्चित तौर पर यह देश के लिए अपूरणीय क्षति हुई है।

गर्व की बात है कि तुम्हारे पदचिन्हों पर चलने का सपना तुम्हारे हर उत्तराधिकारी को अपनी आंखों में सजाना ही होगा। और तुम्हारी खींची हुई लकीर की बराबरी करने की चुनौती से पार पाना ही होगा। जनरल रावत वीरों की तरह ही तुमने इस धरती को भोगा है और एक शूरवीर की तरह ही देश की सेवा करते-करते तुमने शहादत देकर इस देश को अलविदा कह दिया। मानो कह रहे हो कि इस “अर्थ प्लैनेट” पर बिपिन का समय पूरा हुआ।

और अंतिम समय भी गीत के यही बोल “कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों..अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों” तुम्हारे लबों पर जरूर आए होंगे जनरल रावत। शायद यही वजह है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी तुम्हारी सांसों ने इतना वक्त जरूर दिया था कि जैसे पूछ रहीं हों कि जनरल तुम्हें दुनिया छोड़ने का कोई रंज तो नहीं है।

और तुमने जवाब दिया हो कि यह भारत भूमि वीरों से भरी पड़ी है … मौत अगर तुम मुझे लेने ही आई हो तो तुम्हारा स्वागत है। आओ मेरे गले लग जाओ। यह देश बिपिन रावत जैसे हीरों की खदान है। आज इस हीरे की चर्चा है तो कल इससे भी नायाब हीरा राष्ट्र सेवा में शहीद होने में एक पल भी नहीं सोचेगा। और शायद इसके बाद जनरल ने गर्व से यह पंक्तियां गुनगुनाई होंगी ” अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों और धरती को चूमकर मौत के गले में हाथ डालकर आगे बढ़ने में रत्ती भर समय नहीं गंवाया होगा।

मौत का चेहरा भी इस सबसे कीमती हीरे की चमक से चमचमा गया होगा और आंखें चकचौंधिया गई होंगी। शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन होने से पहले तुम्हारी अंतिम यात्रा इस बात की साक्षी बन चुकी है जनरल, कि देश का लाल इस दुनिया से भौतिक रूप से विदाई ले रहा है। जनरल बिपिन रावत अमर रहें, भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारों से आकाश गुंजायमान था। देश का हर राष्ट्रभक्त किसी न किसी माध्यम से अंतिम यात्रा में शामिल था।

और गमगीन था। सोच रहा था कि इतनी बड़ी क्षति की भरपाई कैसे होगी? हालांकि यह भरोसा भी हर नागरिक को है कि राष्ट्रभक्ति, देश सेवा और दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारने की जो लौ तुम्हारे सीने में थी, उससे कभी भारत की थल सेना के सीने में आग जल चुकी है तो अब देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के रूप में तुम्हारे सीने में जो आग थी, वह थल सेना, वायु सेना और नेवी सभी के सीने में धूं धूं कर जल रही है।

जो दुश्मनों को तुम्हारे जिंदा होने का अहसास कराती रहेगी और तुमने जो साहस, वीरता, त्याग, बलिदान और राष्ट्रभक्ति-राष्ट्रसेवा का जो बीज बोया है, वह पेड़ बनकर फल-फूल रहा है…हमारी सेनाएं दुश्मन देशों को यह बताती रहेंगीं। सैल्यूट जनरल बिपिन रावत और मधुलिका रावत।

ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, एनके गुरसेवक सिंह, विंग कमांडर पीएस चौहान, एनके जितेंद्र कुमार, जेडब्ल्यूओ प्रदीप ए, जेडब्ल्यूओ दास, स्क्वॉड्रन लीडर के सिंह, एल/नायक विवेक कुमार, एल/नायक बी साई तेजा और हवलदार सतपाल उस अंतिम सफर में तुम्हारे साथ शहीद हुए हैं। सभी को यह देश सैल्यूट कर रहा है। नमन कर रहा है, वंदन कर रहा है और गमगीन है। ग्रुप कैप्टन वरुन सिंह ही जीवित बचे हैं। ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करे, बस यही प्रार्थना है। यही पूरे देश की कामना है।

मन बार-बार यह रट रहा है कि जनरल, काश यह देश तुम्हें उस हवाई सफर पर जाने से पहले रोक लेता। खैर… जल्दी लौटकर आना जनरल, शायद जल्दी लौटकर आने के लिए ही तुमने जल्दी जाने का मन बनाया हो। और यह गीत गुनगुनाया हो –

कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन…

ज़िन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन…

राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िन्दगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन…

खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन…