राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार …
राम का नाम ही कलियुग में भवसागर पार कराने वाला है। तो रामकथा और राम के अनंत गुणों को सुनकर कोई भी व्यक्ति अपने सारे संशय और भ्रम दूर करने में समर्थ हो जाता है। महाकवि तुलसीदास ने रामकथा सुनने के महत्व को इतने अनूठे तरीके से वर्णित किया है कि इसे पढ़कर सबके सब संशय खत्म हो जाएं। रामकथा का वर्णन यह चौपाई बखूबी करती है “रामकथा कलि कामद गाई। सुजन सजीवनि मूरि सुहाई। सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि। भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि”। यानि कि रामकथा कलियुग में सब मनोरथों को पूर्ण करने वाली कामधेनु गौ है और सज्जनों के लिए सुंदर संजीवनी जड़ी है। पृथ्वी पर यही अमृत की नदी है, जन्म-मरण रूपी भय का नाश करने वाली और भ्रम रूपी मेंढकों को खाने के लिए सर्पिणी है।
तुलसीदास जी ने लिखा है कि रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली और साधु रूप देवताओं के कुल का हित करने वाली पार्वती (दुर्गा) है। यह संत-समाज रूपी क्षीर समुद्र के लिए लक्ष्मीजी के समान है और सम्पूर्ण विश्व का भार उठाने में अचल पृथ्वी के समान है। यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत में यमुनाजी के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह श्री रामजी को पवित्र तुलसी के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी (तुलसीदासजी की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है। और “सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी। सकल सिद्धि सुख संपति रासी। सदगुन सुरगन अंब अदिति सी। रघुबर भगति प्रेम परमिति सी।” यानि यह रामकथा शिवजी को नर्मदाजी के समान प्यारी है, यह सब सिद्धियों की तथा सुख-सम्पत्ति की राशि है। सद्गुण रूपी देवताओं के उत्पन्न और पालन-पोषण करने के लिए माता अदिति के समान है। श्री रघुनाथजी की भक्ति प्रेम की परम सीमा सी है। “रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु। तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु। यानि तुलसीदासजी कहते हैं कि रामकथा मंदाकिनी नदी है, सुंदर (निर्मल) चित्त चित्रकूट है और सुंदर स्नेह ही वन है, जिसमें श्री सीतारामजी विहार करते हैं।
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम की शिशु रूप में प्राण प्रतिष्ठा होनी है, उससे पहले सभी रामभक्त और राम के विरोधियों को भी राम के प्रति सभी भ्रमों को दूर कर लेना चाहिए। श्री रामचन्द्रजी का चरित्र सुंदर चिन्तामणि है और संतों की सुबुद्धि रूपी स्त्री का सुंदर श्रंगार है। श्री रामचन्द्रजी के गुण-समूह जगत् का कल्याण करने वाले और मुक्ति, धन, धर्म और परमधाम के देने वाले हैं। राम ज्ञान, वैराग्य और योग के लिए सद्गुरु हैं और संसार रूपी भयंकर रोग का नाश करने के लिए देवताओं के वैद्य (अश्विनीकुमार) के समान हैं। ये श्री सीतारामजी के प्रेम के उत्पन्न करने के लिए माता-पिता हैं और सम्पूर्ण व्रत, धर्म और नियमों के बीज हैं। श्री रामजी के गुणों के समूह कुमार्ग, कुतर्क, कुचाल और कलियुग के कपट, दम्भ और पाखण्ड को जलाने के लिए वैसे ही हैं, जैसे ईंधन के लिए प्रचण्ड अग्नि।
और अंत में बस इतना ही कि “राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार। सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार।” यानि श्री रामचन्द्रजी अनन्त हैं, उनके गुण भी अनन्त हैं और उनकी कथाओं का विस्तार भी असीम है। अतएव जिनके विचार निर्मल हैं, वे इस कथा को सुनकर आश्चर्य नहीं मानेंगे…।