अयोध्या के राम मंदिर से राजस्थान का है गहरा रिश्ता, मुख्य वास्तुकार है वागड़ मूल से
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट
सोमवार 22 जनवरी, 2024 को भारत एक ऐसी घटना का गवाह बनने जा रहा है, जिसका पूरा देश लगभग दशकों से बेसब्री से इंतजार कर रहा था। इस दिन अयोध्या के राम मंदिर का उद्घाटन और राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
सारे देश में दीपावली से भी बड़ा जश्न मनाने की तैयारिया लगभग पूरी हो गई है।
अयोध्या के राम मंदिर से राजस्थान का गहरा रिश्ता है। बहुत कम लोगों को यह जानकारी होंगी कि राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ और वागड़ मूल के हैं। ये कालांतर में आजीविका के लिए वागड़ से गुजरात में चले गए और कई पीढ़ियों से काम करते हुए देश के विख्यात वास्तुकार बन गए है।
दरअसल सोमपुरा सलात समाज का एक पत्थर-श्रमिक समुदाय है और यह दक्षिणी राजस्थान, विशेषकर मेवाड़ में बसा हुआ है. गुजरात महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में यह समुदाय है। ‘सलात’ शब्द शिलावत से आया है, जो मंदिर वास्तुकार के लिए प्राचीन शब्द था।
सोमपुरा समुदाय सदियों से अपने व्यवसाय के रूप में कलात्मक और मूर्ति निर्माण का काम करता है। यह समुदाय आशापुरा माता को कुल देवी के रूप में पूजा करता है। यह समाज विश्वकर्मा मंदिर का भी उपासक है। भगवान शिव समुदाय के मुख्य देवता हैं और समुदाय के लोग कलात्मक नक्काशी और मूर्तिकला के साथ-साथ कलात्मक पत्थर से मूर्ति बनाने के काम में माहिर माने जाते हैं। देश विदेश में जितने भी भव्य हिंदू मंदिर बने है इसके मुख्य वास्तु कार सोमपुरा ही है।
डूंगरपुर राजघराने के महारावल लक्ष्मण सिंह के छोटे भाई डॉ नागेंद्र सिंह जोकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हेग नीदरलैंड में पहले ऐशियाई जज और बाद में अध्यक्ष बने थे ने डूंगरपुर बांसवाड़ा के सोमपुरा सलात समाज के कारीगरों के हाथों से बनी मूर्तियां कई राष्ट्रध्यक्ष को भेट की और आज भी ये देश विदेश के प्रमुख संग्रहालयों और प्रमुख भवनों की शोभा बढ़ा रही है। डॉ नागेंद्र सिंह भारत में कई राष्ट्रपतियों के सचिव भी रहे। इस कारण वागड़ के शिल्पकारों की मूर्तियां राष्ट्रपति भवन संसद भवन और अन्य प्रमुख भवनों तथा संग्रहालयों की आज दिन तक शोभा बढ़ा रही है । ये कलात्मक मूर्तियां ग्रे कलर के पारेवा पत्थर से बनाई जाती है। इस पत्थर की तासीर यह है कि इस पर तेल लगाते ही इसका रंग काला हो जाता हैं।
अयोध्या में राम मंदिर की डिजाइन बनाने वाले चंद्रकांत सोमपुरा की 15 पीढ़ियां मंदिरों का डिजाइन बनाने का काम कर रही है। यह परिवार अभी तक 200 से अधिक मंदिरों का डिजाइन बना चुकी है। इनमें इसमें गुजरात का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर, मुंबई का स्वामीनारायण मंदिर और कोलकाता का प्रसिद्ध बिरला मंदिर आदि कई मंदिर शामिल हैं।
राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में विभिन्न संप्रदायों के लगभग 4,000 संतों के साथ-साथ लगभग 8,000 लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।विशेष रूप से, सोमपुरा परिवार ने मंदिर की संरचना तैयार की है. यह परिवार भी उद्घाटन समारोह में हाजिर रहेगा. सोमपुरा ने सदियों से दुनिया भर में 200 से अधिक मंदिरों को डिजाइन किया है, जिसमें प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर भी शामिल है।
चंद्रकांत सोमपुरा अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार हैं. उनके दादा प्रभाशंकर ओघड़भाई नागर शैली के मंदिरों के अग्रणी डिजाइनरों में से एक थे, जिन्होंने आधुनिक सोमनाथ मंदिर का डिजाइन और निर्माण किया था।यह समुदाय अपने व्यवसाय के रूप में कलात्मक और मूर्ति निर्माण का काम करता है. यह समुदाय आशापुरा माता को कुल देवी के रूप में पूजा करता है. भगवान शिव समुदाय के मुख्य देवता हैं और समुदाय के लोग कलात्मक नक्काशी और मूर्तिकला के साथ-साथ कलात्मक पत्थर से मूर्ति बनाने के काम में माहिर माने जाते हैं.l।
चंद्रकांत एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसने भारत में 200 से अधिक संरचनाओं को डिजाइन किया है और वह अपने परिवार की 15वीं पीढ़ी हैं, जो मंदिरों को डिजाइन करने की कला को आगे बढ़ा रहे हैं. सोमपुरा ने मुंबई में स्वामीनारायण मंदिर और कोलकाता में प्रसिद्ध बिरला मंदिर को भी डिजाइन किया है.l
लगभग 32 साल पहले, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व प्रमुख अशोक सिंघल ने बिरला परिवार के माध्यम से चंद्रकांत सोमवार से अयोध्या में राम मंदिर के लिए एक डिजाइन लाने के लिए संपर्क किया था. दिलचस्प बात यह है कि जब वह उस समय जमीन की टोह लेने के लिए अयोध्या गए थे, तो एक भक्त के रूप में गए थे और उन्हें मास्टर प्लान तैयार के लिए पैरों से जमीन मापनी पड़ी थी
उन्होंने राम मंदिर के लिए एक भव्य डिजाइन बनाया, जिसे बाद में 1990 के दशक की शुरुआत में इलाहाबाद कुंभ के दौरान संतों द्वारा अनुमोदित किया गया था। साल 2020 में, मूल से कुछ बदलावों के साथ एक नया डिजाइन, सोमपुरा द्वारा हिंदू ग्रंथों वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के अनुसार तैयार किया गया।
राम मंदिर का डिजाइन तैयार करते समय चंद्रकांत को उनके दो बेटों आशीष और निखिल सोमपुरा ने सहायता की थी। राम मंदिर के अलावा, चंद्रकांत ने गांधीनगर में स्वामी नारायण मंदिर और पालनपुर में अंबाजी मंदिर सहित लगभग 130 मंदिरों को डिजाइन किया है।
राम मंदिर का आज जो रूप निखर कर सामने आया है इसका लंबा इतिहास रहा है।पहले विवादास्पद भूमि के लिए संघर्ष का इतिहास और उसके बाद मंदिर का निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय तक की यात्रा ने भी नया इतिहास बनाया ।
राम मंदिर के शुभारंभ पर शंकराचार्य गण का मतभेद भी सामने आया है और अभी पूरा मंदिर का निर्माण पूर्ण नहीं होने तथा शिखर नही बनने से इसे वैदिक परम्पराओं के अनुरूप नहीं माना जा रहा। कांग्रेस सहित कुछ राजनीतिक दल भी उद्घाटन समारोह में भाग नही ले रहे लेकिन राम मंदिर के अनुनायियों का मानना है कि 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत के इतिहास की एक और ऐतिहासिक घटनाओं में अयोध्या मंदिर भी एक नया इतिहास बनाने जा रहा है।
देखना है कि राम मंदिर का यह ऐतिहासिक समारोह किन किन कीर्तिमानों को तोड़ एक नया इतिहास बनायेगा।