निजी जमीन पर अतिक्रमण अब हटवायेगी सरकार, CM समाधान ऑन लाइन में करेंगें समीक्षा

राजस्व विभाग में दर्ज हैं ऐसे 9100 से अधिक मामले

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भोपाल। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले में कार्यवाही के बाद अब राज्य सरकार ने निजी जमीन पर अतिक्रमण और कब्जे की सुध ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए साल के पहले हफ्ते में इस तरह के मामलों की समीक्षा करेंगे और ऐसे मामलों में की गई शिकायतों पर कार्रवाई में देरी पर अफसरों के विरुद्ध एक्शन भी लेंगे।

प्रदेश में 9100 से अधिक मामले निजी जमीन पर अतिक्रमण और अवैध कब्जा के मामले में राजस्व विभाग की तहसीलों में दर्ज हैं। इन मामलों में शासन स्तर पर कार्यवाही पेंडिंग है। इसके साथ ही कई मामलों में भू अर्जन के मुआवजे को लेकर भी विवाद है। इन सब प्रकरणों में कार्यवाही की रिपोर्ट राज्य शासन ने कलेक्टरों से मांगी है। इसके बाद कलेक्टरों ने ऐसे मामलों में कार्यवाही के लिए राजस्व महकमे को अलर्ट करना शुरू कर दिया है। जिलों में राजस्व अधिकारियों की बैठक में एसडीएम और तहसीलदारों से कार्यवाही कर पेंडेंसी खत्म करने के लिए कहा गया है। उधर समाधान आन लाइन में जिन अन्य विभागों के अलग-अलग मुद्दों पर सीएम चर्चा कर सकते हैं उसमें वित्त विभाग अन्तर्गत शासकीय योजनाओं में स्वीकृत किए गए लोन का मसला भी शामिल है। सरकारी योजनाओं में दिए जाने वाले ऋण में बैंकों द्वारा की जाने वाली हीलाहवाली के कारण आवेदकों खासतौर पर स्वरोजगार के लिए ऋण चाहने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री चार जनवरी को समाधान आन लाइन में ऐसे मामलों की समीक्षा करने वाले हैं।

*अवैध कब्जों की नौ हजार से अधिक शिकायते*
इस समीक्षा बैठक में सीएम चौहान गृह विभाग के अन्तर्गत पुलिस द्वारा अपराधिक प्रकरणों की विवेचना में विलंब व लापरवाही तथा समय सीमा में प्रकरणों का न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करने के मामले में भी जानकारी लेंगे। साथ ही किसी पक्ष से मिलकर दबाव में सही कार्यवाही न करने की रिपोर्ट भी तलब की गई है। ऐसे मामलों में सीएम त्वरित एक्शन लेकर जिम्मेदारों पर कार्यवाही करेंगे। इसी प्रकार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों को पूर्ण कराने एवं कार्य की गुणवत्ता ठीक न होने, ऊर्जा विभाग की बिजली कम्पनियों द्वारा ट्रांसफार्मरों को बदले जाने में देरी के मामले भी इस बैठक में चर्चा का विषय रहेंगे। सीएम द्वारा सभी विभागों में 300 दिन से अधिक दिन की लंबित शिकायतों की समीक्षा भी की जाएगी।