बैगा आदिवासी चित्रकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी एक से 14 फरवरी तक दिल्ली में
मप्र के उमरिया जिले के आदिवासी चित्रकारों की कलाकृतियों की प्रदर्शनी एक से 14 फरवरी तक दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में लगाई जाएगी। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, सोमवार को कलाकार दिल्ली रवाना होंगे। उमरिया जिले के छोटे से गांव लोढ़ा में संचालित जनगण तस्वीरखाना, आशीष आर्ट गैलरी के कलाकारों द्वारा यह प्रदर्शनी लगाई जा रही है, जिसमें बैगा, गोंड, मुरिया आदिवासी चित्र शैली के चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। इसमें उमरिया से शामिल होने वाले बैगा आदिवासी चित्रकारों में सकुन बैगा, हेमा बैगा, रूपा बैगा, संतोषी बैगा़ रामरती बैगा, फगुनी बैगा के नाम सामने आए हैं।बैगा कला जनजातीय कला का एक अनूठा रूप है जिसका अभ्यास बैगा लोग पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। बैगा मध्य भारत की मूल जनजातियों में से एक हैं, और उनकी कला प्रकृति और उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ उनके गहरे संबंध का उत्सव है।
सभी वे आदिवासी चित्रकार हैं, जिन्होंने विलुप्त होती बैगा आदिवासी चित्रकला को फिर से पहचान दिलाई है। जनगण तस्वीरखाना और आशीष आर्ट गैलरी के संचालक निमिष स्वामी ने बताया कि फाइन आर्ट की दुनिया में बैगा आदिवासी चित्रकला को बहुत पसंद किया जाता है। डाक्टर मिशेल क्राइट्स द्वारा लगाई जा रही रूट्स चित्रकला प्रदर्शनी में उनकी भी अहम भूमिका है। प्रदर्शनी में उमरिया के बैगा आदिवासी चित्रकारों के ही 150 से ज्यादा चित्र शामिल होने की संभावना है।
रूटसचित्रकला प्रदर्शनी में शामिल होने वाले बैगा आदिवासी चित्रकारों को यहां से एक नई पहचान मिलेगी। प्रदर्शनी में आने वाले देश-विदेश के चित्रकार और प्रशंसक उमरिया जिले के आदिवासी चित्रकारों के चित्रों की अपने ढंग से समीक्षा करेंगे, जिससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा। चित्रकार सकुन बैगा, हेमा बैगा, रूपा बैगा, रामरती बैगा, फगुनी बैगा ने इस प्रदर्शनी में शामिल होने के अवसर को अपने लिए बेहद खास बताया। इनका कहना है कि इस प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए हम सभी ने अपनी कला को पूरे मनोयोग से कागज पर आकार दिया है।