दौड़ने लगी मोहन सरकार …
मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव की सरकार हर दिन आकार ले रही है। विकास की तरफ कदम बढ़ रहे हैं। प्रशासनिक सर्जरी जारी है। भले ही प्रदेश में सरकार भाजपा की ही थी, पर मुख्यमंत्री के रूप में मोहन का नजरिया अब नजर आने लगा है। कानून-व्यवस्था पर मिजाज सख्त है। तो मध्यप्रदेश को खास सौगात देने का जज्बा है। बीआरटीएस प्रोजेक्ट अब अस्तित्व खो रहे हैं। तो राम और कृष्ण से जुड़े स्थलों का विकास प्राथमिकता पर है। रामवनपथ गमन स्थलों के विकास के प्रति डॉ. मोहन प्रतिबद्धता जता चुके हैं। तो महाकाल की नगरी में 2028 के सिंहस्थ की तैयारियां होने लगी हैं। नौकरशाही को नसीहत लगातार मिल रही है कि सीमा रेखा की पहचान कर लें और अपने दायरे में रहें। तो नौकरशाही की जमावट में भी डॉ. मोहन यादव का नजरिया उनकी पसंद-नापसंद पर मुहर लगा रहा है। शायद अब नजरें फरवरी के दूसरे सप्ताह में प्रतीक्षित कुछ बड़ी सर्जरी पर हैं। मोहन सरकार अब दौड़ने लगी है और रफ्तार तेज होने की आहट हर दिन मिल रही है। डॉ. मोहन यादव ने यह जता दिया है कि वैचारिक प्रतिबद्धता को लेकर वह किसी तरह का समझौता करने वाले नहीं हैं। भले ही कितने भी कठोर फैसले लेने पड़ें। बात चाहे धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के प्रयोग की हो या फिर खुले में मांस मछली के विक्रय पर प्रतिबंध की हो, नजरिया साफ है और समझौते की गुंजाइश भी नहीं है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के लिये एमओयू हुआ है। यह मामला दो दशक से लंबित था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्वरित गति जल बंटवारे के निराकरण को लेकर निर्देश दिए थे।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र शेखावत के प्रयासों से दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश व राजस्थान की एक महत्वाकांक्षी कालीसिंध चम्बल लिंक परियोजना मूर्त रूप ले रही है। परियोजना से मालवा और चंबल में स्वर्णिम युग का उदय होने की उम्मीद जाग गई है। मालवा और चंबल के 9 जिलों में परियोजना से पेयजल और 3,37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि परियोजना से न केवल मालवा क्षेत्र में भूजल स्तर में वृद्धि होगी वरन् इन क्षेत्रों में धार्मिक एवं पर्यटन के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिलेगा। दोनों राज्यों के विकास में यह परियोजना एक मील का पत्थर साबित होगी। परियोजना से मध्यप्रदेश की डेढ़ करोड़ आबादी को लाभ मिलेगा और पश्चिमी मध्यप्रदेश का कायाकल्प हो जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्बती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में तैयार की गई थी तथा वर्ष 2019 में राजस्थान सरकार द्वारा आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया था। वर्तमान समझौता ज्ञापन में दोनों परियोजनाओं को एकीकृत कर मूर्त रूप मिलना डॉ. मोहन यादव की बड़ी उपलब्धि माना जाएगा।
तो अब आज यानि 30 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश को 10,405 करोड़ लागत की 24 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की सौगात मिलने वाली है। प्रदेश में 724 किलोमीटर लम्बी इन परियोजनाओं का केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 30 जनवरी को भोपाल एवं जबलपुर में आयोजित कार्यक्रमों से शिलान्यास एवं लोकार्पण करेंगे। भोपाल में 8 हजार 38 करोड़ रूपये लागत से 498 किलोमीटर लम्बी, 15 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम लाल परेड मैदान एवं जबलपुर में 2 हजार 367 करोड़ रूपये की लागत से 226 किलोमीटर लम्बी 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम वेटनरी कॉलेज ग्राउंड पर आयोजित किया जायेगा। इन परियोजनाओं से महाकौशल क्षेत्र के गेंहू और धान कृषि व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी आसान होगी, कटनी के कोयला खदान उद्योग को लाभ मिलेगा। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो, ओरछा, राष्ट्रीय पेंच टाइगर कॉरीडोर तक कनेक्टिविटी आसान होगी, बुधनी टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज और वुड क्राफ्ट व्यापार को लाभ मिलेगा। साथ ही मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली राज्यों के बीच व्यावसायिक एवं नागरिक यातायात सुगम होगा।
तो विकास में मील के पत्थर लगातार आकार ले रहे हैं। मोहन की मध्यप्रदेश के जन-जन का मन मोहने की कवायद जारी है। केंद्रीय नेतृत्व से मेल-जोल का दौर चल रहा है। मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी की नजरें मोहन की तरफ हैं तो मोहन की नजरों में पूरा मध्यप्रदेश समाया है। तो मोहन की नजरों में राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी भी बसे हैं। आज यानि 30 जनवरी को महात्मा का शहादत दिवस है। फिर वही बात कि हर दिन की गतिविधियां यह संकेत दे रही हैं कि 48 दिन में ही मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव की सरकार अब दौड़ने लगी है…।