दु:ख के साथ खुश होने को भी बहुत कुछ है 30 जनवरी को…
अक्सर हम हर साल 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत के रूप में याद करते हैं। हालांकि इस तारीख को ही हिन्दी साहित्यकार दादा माखन लाल चतुर्वेदी, मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह, प्रसिद्ध लेखक, कवि, भाषाविद और सम्पादक नाथूराम प्रेमी, भारत के एक अर्थशास्त्री जेसी कुमारप्पा और भूतपूर्व भारतीय थल सेना प्रमुख के. वी. कृष्ण राव का भी निधन हुआ था। खैर 30 जनवरी की तारीख जहां हमें दु:खी होने को मजबूर करती है, तो खुश होने का अवसर भी देती है। 30 जनवरी को भारत की एक नहीं कई महान शख्सियतों का जन्म भी हुआ था। इनमें महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद, हरित क्रांति के पिता सी सुब्रमण्यम, प्रसिद्ध चित्रकार अमृता शेरगिल, ‘भारत के टाइगरमैन’ कैलाश सांखला और फिल्मी हस्ती रमेश देव शामिल हैं। आइए हम इनके बारे में चर्चा कर कुछ खुशी महसूस करते हैं।
जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889-15 नवंबर 1937), हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की। जिसके द्वारा खड़ीबोली के काव्य में न केवल कामनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। बाद के, प्रगतिशील एवं नयी कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उनकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी। इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि ‘खड़ीबोली’ हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।
चिदम्बरम सुब्रह्मण्यम ( 30 जनवरी, 1910-7 नवम्बर, 2000) भारत में “हरित क्रांति के पिता” कहे जाते हैं। जब भारत को आज़ादी प्राप्त हुई, उस समय देश में खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति बड़ी शोचनीय थी। कई स्थानों पर अकाल पड़े। बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में अनेक लोग भुखमरी के शिकार हुए और काल का ग्रास बन गये। जब सी. सुब्रह्मण्यम को केन्द्र में कृषि मंत्री बनाया गया, तब उन्होंने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाएँ क्रियान्वित कीं। उनकी बेहतर कृषि नीतियों के कारण ही 1972 में देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ। सी. सुब्रह्मण्यम की नीतियों और कुशल प्रयासों से ही आज देश खाद्यान्न उत्पादन में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो चुका है।
अमृता शेरगिल (30 जनवरी 1913 – 5 दिसंबर 1941) भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थीं। उनका जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) में हुआ था। कला, संगीत व अभिनय बचपन से ही उनके साथी बन गए। 20वीं सदी की इस प्रतिभावान कलाकार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने 1976 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया है। सिख पिता उमराव सिंह शेरगिल (संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह) और हंगरी मूल की यहूदी ओपेरा गायिका मां मेरी एंटोनी गोट्समन की यह संतान 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी।
कैलाश सांखला (30 जनवरी 1925 -15 अगस्त 1994) एक भारतीय प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी थे। ये दिल्ली जूलॉजिकल पार्क के निदेशक और राजस्थान के चीफ वन्यजीव वार्डन थे। ये बाघों के संरक्षण के लिए काफी लोकप्रिय हुए हैं। इन्हें “भारत का टाइगर मैन” के रूप में भी जाना जाता था और 1973 में भारत में स्थापित एक संरक्षण कार्यक्रम प्रोजेक्ट टाइगर के गठन में भी शामिल थे।
रमेश देव (30 जनवरी 1929 – 2 फरवरी 2022) एक भारतीय फिल्म और टेलीविजन अभिनेता थे, जिन्होंने अपने लंबे करियर में 200 से अधिक प्रदर्शनों के साथ 285 से अधिक हिंदी फिल्मों, 190 मराठी फिल्मों और 30 मराठी नाटकों में काम किया। उन्होंने फीचर फिल्में, टेलीविजन धारावाहिक और 250 से अधिक विज्ञापन फिल्में भी बनाईं। उन्होंने कई फिल्मों, वृत्तचित्रों और टेलीविजन धारावाहिकों का निर्देशन किया। उनके कार्यों के लिए उन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
तो 30 जनवरी को भारत ने बहुत कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया भी है। सिक्के के यह दोनों पहलू हमारी विरासत पर गर्वित होने का अवसर देते हैं। हमने जिन्हें खोया है, उन्होंने देश का मान बढ़ाया है तो हमने जिन्हें पाया है, उन्होंने भी देश का मान बढ़ाया है। देश की इन महान शख्सियत को याद कर हम भी गर्व का अनुभव कर रहे हैं और आप भी गर्वित होंगे…।