Opposition to Route Determination : ई-रिक्शा के रूट निर्धारण का विरोध, यह नियम विरुद्ध और ज्यादती!
Indore : प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस ने शहर में ई-रिक्शा संचालन को नियंत्रित करने के लिए 23 रूट निर्धारित किए हैं। लेकिन, अब इनका विरोध शुरू हो गया। चालकों का कहना है कि जिला प्रशासन ने सभी ई-रिक्शा चालकों को आश्वासन दिया था कि बैटरी वाली ऑटो पूरे शहर में चलेगी। इसके लिए परमिट और रूट की कोई बाध्यता नहीं रखी गई थी। अब नए नियम लगाकर ई-रिक्शा चालकों को परेशान किया जा रहा है।
ई-रिक्शा चालकों की एक महत्वपूर्ण बैठक श्रम आंदोलन के राजेश बिडकर की अगुवाई में सुगनी देवी महाविद्यालय प्रांगण में भी हुई। इसमें 7 मांगों पर सहमति बनी जिसका ज्ञापन पत्र महापौर पुष्यमित्र भार्गव, तुलसी सिलावट, शंकर लालवानी एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंपा गया, जिससे कोई ठोस निर्णय ई-रिक्शा चालकों के हित में हो सके। चेतावनी दी गई कि यदि बिना विश्वास में लिए कोई भी कानून बैटरी रिक्शा चालकों के खिलाफ बनाया जाता है, तो मुख्यमंत्री के आगमन पर सभी ई-रिक्शा चालक अपने वाहन की चाबी मुख्यमंत्री को सौंप देंगे एवं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
जीवन-यापन मुश्किल में पड़ जाएगा
ई-रिक्शा का संचालकों और चालकों का कहना है कि ऐसे तो उनका जीवन-यापन मुश्किल में पड़ जाएगा। शहर में 5500 ई-रिक्शा आरटीओ में रजिस्टर्ड है। गरीब लोगों ने इधर-उधर से कर्ज लेकर खुद का रोजगार शुरू किया। परंतु, यह रूट का नियम आने के बाद उनका कामकाज ठप हो जाएगा। रूट तय करने से पहले ई-रिक्शा यूनियन को भी विश्वास में नहीं लिया गया। शहर का यातायात सुगम बने यह रिक्शा चालक भी चाहते हैं, परंतु सभी के लिए ट्रैफिक कानून समान हो यह भी ई-रिक्शा चालक चाहते हैं। यातायात सुधार के नाम पर सिर्फ गरीबों को टारगेट बनाया जा रहा है।
एआईसीटीएसएल की बस ओवरलोड चल रही है और शहर के ट्रैफिक में व्यवधान पैदा कर रही है उन पर कार्रवाई की जगह बैटरी ऑटो रिक्शा चालकों को तीन और पांच किलोमीटर का रूट दिया जा रहा है, जो व्यावहारिक नहीं है। ई-रिक्शा का संचालन 25% महिलाएं लोन लेकर कर रही है जो पहले घरों में कामकाज कर अपने परिवार का जीवन यापन किया करती हैं। मध्य प्रदेश शासन ने उनके रोजगार की व्यवस्था कराई, यह सब एआईसीटीएसएल की बसों को फायदा पहुंचाने के लिए हो रहा है।
क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट
इस एक्ट के मुताबिक सिर्फ गेयर वाली कमर्शियल गाड़ियों को ही परमिट एवं रूट दिए जाते हैं। बैटरी संचालित वाहनों के लिए सिर्फ लाइसेंस कि आवश्यकता होती है। परमिट एवं रूट तय करने का अधिकार परिवहन विभाग को नहीं है। उसकी जगह परिवहन अधिकारी ई-रिक्शा का किराया एवं वर्दी निर्धारित तय करना है। शहर की जनता के लिए ई-रिक्शा यात्री प्रतीक्षालय बनाना थे, जो नहीं बनाए गए। राजवाड़े को ‘नो व्हीकल जोन’ बनाया जाता, तो बैटरी रिक्शा संचालकों को कोई समस्या नहीं होती एक और एआईसीटीएसएल की बड़ी-बड़ी बसों को व्यस्ततम मार्ग में जाने की अनुमति दी जा रही है और छोटे वाहन को रोजगार से बेदखल किया जा रहा है।