Scindia’s Election Speculations : सिंधिया के लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें, सक्रियता से भी इशारा!  

गुना, शिवपुरी और अशोकनगर में सिंधिया की सक्रियता से कयास लगाए जाने लगे!

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Scindia’s Election Speculations : सिंधिया के लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें, सक्रियता से भी इशारा! 

Bhopal : लोकसभा चुनाव की अटकलों के बीच भाजपा की एक नई रणनीति का खुलासा हुआ। पार्टी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना-शिवपुरी से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है। यही कारण है कि सिंधिया ने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी। इस संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार सांसद रहे हैं। लेकिन, 2019 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार उन्हें भाजपा के केपी यादव से सवा लाख वोटों से हरा दिया था। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर अपने समर्थकों के साथ भाजपा में आए।

इन अटकलों के पीछे कारण यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना, शिवपुरी और अशोकनगर में अपनी लगातार सक्रियता बढ़ा दी है। 3 से 5 फरवरी तक वे अपने पुराने संसदीय क्षेत्र में कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। अभी गुना-शिवपुरी क्षेत्र से में केपी यादव सांसद हैं। सिंधिया की सक्रियता बताती है, कि वे पुराने संसदीय क्षेत्र से फिर लोकसभा चुनाव में मैदान संभाल सकते हैं। उनके यहां से चुनाव लड़ने की अटकलें जोरदार हैं।

चुनाव लड़ने की अटकलों के बावजूद सिंधिया ने अभी तक खुलकर कोई बात नहीं की। ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के दौरान भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना, शिवपुरी, अशोकनगर जिले में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया था। इन यात्राओं के दौरान केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियां को जनता को बताया था। इसके अलावा 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लाइव तौर पर शिवपुरी के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में बैठकर देखा था। इस कार्यक्रम में सिंधिया 3 घंटे तक यहां पर मौजूद रहे।

सिंधिया अभी राज्यसभा में 

मध्य प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक के बाद 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का झंडा थाम लिया था। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा मेंबर बनाया और मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी लहर के सामने भाजपा के केपी यादव से हार गए थे। पार्टी के नेता भी उनकी हार को लेकर अचंभित थे कि उनके पुराने और पारिवारिक संसदीय क्षेत्र में उनकी हार कैसे हो गई!