ममता-मोदी सभी दिखा रहे कांग्रेस को आइना… 

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ममता-मोदी सभी दिखा रहे कांग्रेस को आइना…

जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उनकी कांग्रेस की हालत कभी इतनी भी दयनीय हो जाएगी कि सभी आइना दिखाने की हिमाकत करेंगे। बिहार में भाजपा का दामन थाम कांग्रेस और राजद को ठेंगा दिखा चुके नीतीश कुमार ने कांग्रेस के महत्वाकांक्षी इंडिया गठबंधन पर करारा प्रहार किया है। तो उधर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस को उसकी दयनीय हालत से रूबरू करा रही हैं। कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम रहे हैं और आचार्य प्रमोद कृष्णम तक का मोह भंग होना हकीकत बयां कर रहा है। मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं की लोकसभा चुनाव लड़ने में कोई रुचि नहीं है। तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान और तस्वीरें साफ कर रही हैं कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के भी भगवामय होने के आसार बन रहे हैं, भले ही सांसद नकुलनाथ ही रहें। पर मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा की नजर है, ताकि भाजपा मोदी की इच्छा के अनुरूप 370 सीट पार कर सके और एनडीए गठबंधन 400 पार हो सके। खैर बात साफ है कि भारत जोड़ो यात्रा का असर उत्तर भारत के राज्यों में विधानसभा चुनावों पर नहीं पड़ा तो अब न्याय यात्रा भी कांग्रेस को आम चुनाव में आइना दिखाने की तैयारी कर रही है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दो दिन पहले ही कहा था कि सबसे पुरानी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में 40 सीटें भी नहीं जीत सकती। उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बंगाल में बीड़ी मजदूरों से राहुल गांधी की मुलाकात का भी मजाक उड़ाया था। बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने कहा था, “कांग्रेस, मुझे नहीं पता कि आप 300 में से 40 सीटें जीतेंगे या नहीं। ऐसा अहंकार क्यों? आप बंगाल आए, हम एक भारतीय गठबंधन हैं। मुझे कम से कम बताएं।” प्रशासन से पता चला। हिम्मत है तो वाराणसी में बीजेपी को हराओ।”

 

 

तो लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीत-हार की नहीं, बल्कि तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसले लेने की बात कर रहे हैं। ऐसा नहीं लगता कि वास्तव में भाजपा लोकसभा चुनाव को औपचारिकता मात्र मानकर चल रही है। मोदी ने लोकसभा में हमला बोला कि, ‘कांग्रेस का विश्वास हमेशा एक परिवार पर रहा है। एक परिवार के आगे न कुछ सोच सकते हैं और न ही कुछ देख सकते हैं।’ उन्होंने कहा, हमने अपने पहले कार्यकाल में यूपीए के समय के जो गड्ढे थे, उस गड्ढे को भरने काफी समय और शक्ति लगाई। हमने अपने दूसरे कार्यकाल में नए भारत की नींव रखी और तीसरे कार्यकाल में हम विकसित भारत के निर्माण को नई गति देंगे। उन्होंने कहा, हमारा तीसरा कार्यकाल बहुत बड़े फैसलों का होगा…मैंने लाल किले से कहा था और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय भी दोहराया था कि देश को अगले हजार वर्षों तक समृद्ध और सिद्धि के शिखर पर देखना चाहता हूं। तीसरा कार्यकाल अगले 100 वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल होगा। यह बहुत बड़े फैसले क्या हो सकते हैं? समान नागरिक संहिता इनमें से एक है, तो काशी में ज्ञानवापी और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि जैसे फैसलों की उम्मीद सनातनी धर्मावलंबियों ने लगा रखी है। भारत को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था का दावा पुख्ता नजर आ रहा है। खैर जो होगा, वह सब सामने आने वाला है।

भाजपा ने अब यह ठान लिया है कि नेहरू और इंदिरा जैसे कांग्रेस के पुरोधाओं की छवि को उखाड़ कर फेंक देंगे। मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सोच भी नेहरू जी से ज्यादा अलग नहीं थी। उन्होंने लाल किले से कहा था- दुर्भाग्यवश हमारी आदत ये है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है तो हम आत्मसंतुष्टि की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं और जब कोई कठिनाई आ जाती है तो हम नाउम्मीद हो जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं विशेष रूप से विपक्ष ने जो संकल्प लिया है, उसकी सराहना करता हूं। उनके भाषण के एक-एक बात से मेरा और देश का विश्वास पक्का हो गया है कि इन्होंने लंबे अरसे तक वहां यानि विपक्ष में रहने का संकल्प ले लिया है। इशारा किया कि आप कई दशक तक जैसे यहां सत्ता में बैठे थे, वैसे ही कई दशक वहां विपक्ष में बैठने का आपने संकल्प ले लिया है।आप विपक्ष के लोग जिस तरह से इन दिनों मेहनत कर रहे हैं, मैं पक्का मानता हूं कि ईश्वर रूपी जनता-जनार्दन आपको जरूर आशीर्वाद देगी। आप जिस ऊंचाई पर हैं, उससे भी ऊंचाई पर जाएंगे और दर्शक दीर्घा में दिखेंगे। पीएम मोदी ने आगे कहा, “मैं देख रहा हूं कि आपमें से बहुत से लोग चुनाव लड़ने का हौंसला भी खो चुके हैं। मैंने सुना है कि बहुत सारे लोगों ने पिछली बार भी सीट बदली थी, इस बार भी सीट बदलने की फिराक में हैं। मैंने सुना बहुत सारे लोग लोकसभा से राज्यसभा में जाने वाले हैं। स्थितियों का आकलन करके वे अपना रास्ता ढूंढ रहे हैं।”

यानि कि ममता, मोदी, नीतीश कुमार हों या कोई और, सभी कांग्रेस को आइना दिखा रहे हैं। अब राहुल गांधी हताश नहीं भी हों, पर पूरी कांग्रेस इंडिया गठबंधन के हश्र से निराशा के भंवरजाल में फंसी नजर आ रही है…।