हरदा हादसा – त्वरित टिप्पणी:सरकार – प्रशासन – समाज कोई सबक लेगा ?
डॉ घनश्याम बटवाल , मंदसौर की रिपोर्ट
हरदा हादसा दर्दनाक होकर दर्जनों की मौत का कारण और सैंकड़ों घायलों को जीवन भर सालता रहेगा ।
अभी विस्फोटों से मरने वालों और घायलों का आंकड़ा बढ़ ही रहा है ,
राहत – मदद – संवेदना – उपचार – प्रयास सब होगा पर गड़बड़ियों के चलते जानलेवा हादसे से सरकार , प्रशासन , जनप्रतिनिधि और समाज कोई सबक लेगा ?
ऐसे कई हादसे , दुर्घटनाओं के मामले सामने आये हैं । चाहे जबलपुर हॉस्पिटल आगजनी हो , इंदौर मंदिर कुए पर बनी छत ढहने की बात हो , भोपाल सचिवालय अग्निकांड हो हर स्तर पर ओर हर स्थान पर लापरवाही उदासीनता ही देखने मे आई है ।
प्रशासन और सरकारी रवैये के चलते हर बार “सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने ” का आलम ही सामने आता है । विगत वर्षों की दुर्घटनाओं , हादसों से यही उजागर हुआ है । तथ्य है कि लोगों की जान चली जाती है और हादसों से सबक नहीं लिया जाता , फिर अगली दुर्घटनाओं और हादसों का इंतज़ार किया जाता है ?
मजेदार तथ्य यह भी है कि घटना दुर्घटना उपरांत बुलडोजर भी चलाया जारहा है तब प्रशासन और पुलिस कहते हैं अतिक्रमण तोड़ा गया है , आखिर यह अतिक्रमण वारदातों के बाद ही पता क्यों चलता है ? ऐसे मामले व्यवस्था पर प्रश्न तो खड़े कर ही रहे हैं और असंतोष को हवा देते हैं
ऐसे मामलों में ठंडे छींटे डाल जांच प्रशासनिक हो या मजिस्ट्रियल कराने का उपक्रम किये जाने का रिवाज होगया है ? भले ही उसकी रिपोर्ट नहीं मिले ?
ज्ञातव्य है कि मंदसौर में ही तीन दशकों पहले पुलिस जवान द्वारा अकारण गोली चालन से निरपराध लोगों की मौत होगई , वहीं बरखेड़ा पंथ पिपलिया में पुलिस की गोलियों से किसानों की जान चली गई पर जांच आयोग की रिपोर्ट पब्लिक नहीं हुई है । लोगों को आशंका है कि हरदा विस्फोटों के बाद के मामले में भी यही होगा क्या ? तीन सदस्यों की टीम गठित कर दी गई है ।
बहरहाल हादसे में मृत और घायलों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उम्मीद की जारही है कि प्रशासन निश्चित ही सख्ती से कार्यवाही को अंजाम देगा ।
क्योंकि राजनीति पक्ष और विपक्ष की शुरू होगई है , आरोप प्रत्यारोपण जारी है ऐसे में तत्काल और प्रभावी कार्यवाही की आशा की जारही है ।