Mandsaur News – ‘‘चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गये‘‘
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मन्दसौर। नगर की प्रमुख सांस्कृतिक संस्था “दशपुर रंगमंच ” द्वारा अपनी मखमली आवाज से रूह में उतरने का हुनर रखने वाले गजल सम्राट जगजीत सिंह का जन्मदिन मनाया गया।
उनके गीतों गजलों और भजनों के साथ भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की ।
इस दौरान कार्यक्रम संयोजक अभय मेहता ने कहा कि जगजीतसिंह आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी गजलें भजनों और गीतों की आवाज़ श्रोताओं की आत्मा को छू जाती है। आज भी वे यादों में बरकरार है।
संगीत निशा की शुरुआत आबिद भाई ने जगजीतसिंह की प्रसिद्ध गजल ‘‘चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गये‘‘ गाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। अपनी गजलों से लोगों का मनोरंजन करने वाले जगजीतसिंह के जीवन में गम अधिक थे ऐसी ही एक उनकी गजल ‘‘वह कौन है दुनिया में जिसे गम नहीं होता’’ को योगेश गोविंदानी ने प्रस्तुत किया ।
श्रीमती ललिता मेहता ने बचपन में लोटने की मंशा को दर्शाती गजल ‘‘यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले लो, भले मुझसे छीन लो मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन’’ को बखूबी सुनया।
राजाबाबू सोनी ने ‘‘तू ही माता है तू ही पिता है हे राम हे राम’’ को सुनाकर रामजी को नमन किया।
डॉ. निलेश नगायच ने गजल ‘‘कल चौदहवीं की रात थी तथा राजकुमार अग्रवाल ने ‘‘देरों हरम में बसने वाले मकानों में फूट न डालो’’ को सुनाया।
वहीं श्रीमती रानी राठौर ने ‘‘हम तो हैं परदेस में देश में निकला होगा चांद’’ गजल को प्रस्तुत किया। हिमांशु वर्मा सर ने ‘‘होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है’’ गाकर तालियां बटोरी।
रोहित धानिया ने ‘‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है‘‘ तथा लोकेंद्र पांडे ने प्रसिद्ध गजल ‘‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’’ को सुनाया।
स्वाति रिछावरा ने ‘‘यह तेरा घर यह मेरा घर किसी को देखना हो अगर’’ सुनाकर जगजीतसिंह को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम का संचालन रंगमंच संयोजक अभय मेहता ने किया एवं आभार नंदकिशोर राठौर ने किया। इस अवसर पर संगीत प्रेमी अजय डांगी, चंदा डांगी, नरेंद्र भावसार व अंजू भावसार ने गायकों का उत्साहवर्धन किया।