Mandsaur News – जन परिषद ने मनाया बसंत जन्मोत्सव स्मरण पर्व के रूप में बालकवि बैरागी का जन्म दिवस

" स्नेह को साधे बिना यह धरती नहीं हिल पाएगी , आग को जिंदा रखो सो बातियां मिल जाएगी "  साहित्य समागम में पंक्तियां गुंजी

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Mandsaur News – जन परिषद ने मनाया बसंत जन्मोत्सव स्मरण पर्व के रूप में बालकवि बैरागी का जन्म दिवस

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । अविभाजित मंदसौर नीमच जिले के साहित्य पुरोधा कवि , लेखक , राजनेता बालकवि बैरागी का जन्म दिवस सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्था “जन परिषद ” ने बसंत जन्मोत्सव स्मरण पर्व शनिवार शाम ” साहित्य समागम ” के रूप में मनाया ।

दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक एवं इतिहास वेत्ता श्री कैलाशचंद्र पांडेय साहित्य समागम के मुख्य अतिथि रहे ।

कार्यक्रम वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव राजेंद्र तिवारी नंदकिशोर राठौर लाल बहादुर श्रीवास्तव नरेंद्र त्रिवेदी प्रदीप शर्मा ,अशोक झलोया अशोक त्रिपाठी राजेश दुबे हरीश दवे गोपाल पाटीदार श्रीमती चंदा डांगी , अभय कुमार जैन महावीर सिंह रघुवंशी अजय डांगी एवं

अन्य की

गरिमामय में उपस्थिति में मनाया ।

इस अवसर पर आरम्भ में जनपरिषद मंदसौर चैप्टर जिला संयोजक डॉ घनश्याम बटवाल एवं इतिहास व पुराविद कैलाशचंद्र पांडेय द्वारा बालकवि बैरागी चित्र पर माल्यार्पण किया ।

 

साहित्य समागम के मुख्य अतिथि पुराविद श्री कैलाशचंद्र पांडेय ने संबोधित करते हुए कहा कि लिखा हुआ और छपा हुआ शब्द शाश्वत रहता है । इतिहास इसका साक्ष्य प्रमाण बनता है । आज 94 वें जन्मजयंती अवसर पर भी साहित्यकार बालकवि बैरागी के योगदान को स्मरण कर रहे हैं ।

श्री पांडेय ने वर्तमान राजनीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि साहित्य , संस्कृति , संस्कार , इतिहास आदि वर्ग से जुड़े रचनात्मक लोगों के लिए उनकी उपलब्धता नगण्य है ।

आपने कहा कवि , लेखक साहित्यकार याचक नहीं वह तो सृजन कर यथार्थ चित्रण कर सज़ग करता है

 

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक झलोया ने कहा कि दादा बैरागी जी की कविताएं आज भी प्रासंगिक हैं जिसमें से है अमावस से लड़ाई युद्ध है अंधियार से इस लड़ाई को लड़े कौन से हथियार से तथा स्नेहा को साधे बिना यह धरती नहीं हिल पाएगी आज को जिंदा रखो सो बतियां मिल जाएगी यह पंक्तियां आज भी नए कलमकारों को लिखने का जज्बा प्रदान करती हैं

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फ़िल्म डायरेक्टर प्रदीप शर्मा ने कहा कि बैरागी दादा मंदसौर जिले की बहुत बड़ी साहित्यिक विरासत हैं अपने जिले के साथ देश-विदेश एवं सिने जगत और साहित्य में अपनी वाणी को मुखरित किया । राजस्थानी धरा पर बनी ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म दो बूंद पानी के गीत “पीतल की मोरी गागरी दिल्ली से मोल मंगाई ” में मालवी बोली को बहुत ही मधुरता के साथ पिरोया गया । इसी प्रकार फ़िल्म रेशमा और शेरा का गीत “तू चंदा में चांदनी तू तरुवर में ” शब्दों से सजाया गया कि यह गीत स्वर कोकिला लताजी का भी सबसे प्रिय गीत बना जो आज भी हमारे कानों में बैरागी जी के शब्दों की मिठास को घोल रहा है

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वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि बालकवि बैरागी के ससुराल तारापुर में बैरागी जी को साइकिल पर बिठाकर ले गया और वही बैरागी जी के साथ कवि गोष्ठी में उनके सानिध्य में काव्य पाठ किया उनका गीत “मारू जी की गली की में आगे रे लखारा ” आज भी लोकप्रिय एवं क्षेत्र की गलियों में गया जाता है

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त जनपद पंचायत विस्तार अधिकारी लालबहादुर श्रीवास्तव और लतामंगेशकर संगीत महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष नरेंद्र त्रिवेदी ने बालकवि बैरागी पर केंद्रित रचना पाठ किया । नंदकिशोर राठौड़ हरीश दवे राजेश दुबे ने संस्मरण सुनाए ।

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इस अवसर पर इतिहास और सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित कॉफी टेबल बुक संग्रह ” लोकपथ ” प्रति जनपरिषद संयोजक डॉ घनश्याम बटवाल ने मुख्य अतिथि पुराविद श्री पांडेय को सम्मान स्वरूप भेंट की ।

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कार्यक्रम में एक स्वर में मांग करते हुए राज्य सरकार को स्मरण कराया गया कि मई 2018 में साहित्यकार बालकवि बैरागी के निधन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने स्वयं मनासा में घोषणा की थी कि साहित्य अवदानी बैरागी जी की स्मृति में राज्यस्तरीय साहित्यिक पुरस्कार प्रदान किया जायेगा , यह अबतक नहीं हुआ है । इस घोषणा पर अमल सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।

 

कार्यक्रम का संचालन जन परिषद जिला संयोजक डॉ घनश्याम बटवाल ने किया तथा आभार धर्म धाम गीताभवन सचिव पंडित अशोक त्रिपाठी ने माना ।

साहित्य समागम में उपस्थित सभी महानुभावों ने बैरागी जी चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए स्मरण किया ।