नौरादेही अभ्यारण्य प्रदेश का तीसरा चीता केंद्र बनेगा

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नौरादेही अभ्यारण्य प्रदेश का तीसरा चीता केंद्र बनेगा

 

भोपाल। कूनो में चीता प्राजेक्ट सफल होने के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राष्टÑीय स्तर पर देश में 10 चीता प्राजेक्ट बनाने का निर्णय लिया है। इसी सिलसिले में प्रदेश के कूनों सहित दो अन्य अभ्यारण्यों का चयन किया गया है। जिसमें गांधी सागर और नौरादेही अभ्यारण्य को सूची में रखा गया है। वाइल्ड शाखा के अधिकारियों ने बताया कि नौरादेही अभ्याण्य चीता के लिए कैसा रहेगा इसकों लेकर बहुत जल्द ही अफ्रीका और नामीबिया की चीता विशेषज्ञ टीम आकर सर्वे करने वाली है। गांधी सागर अभ्यारण्य को चीता के लिए बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है। अब केंद्र सरकार की नजर नौरादेही अभ्यारण्य को चीता के बसावहट के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कूनो में मौजूदा समय में 21 चीता है। वन विभाग से जुड़े जानकारों ने बताया कि गांधी सागर अभ्यारण्य में पहली खेप में आधा दर्जन से अधिक चीता को लाया जाएगा। केंद्र सरकार की टीम यहां आकर निरीक्षण कर चुकी है। इस अभ्यारण्य में चीता को कब लाकर बसाया जाएगा इसका अंतिम निर्णय कें द्र सरकार को लेना है। विभाग ने अपनी रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज चुका है। गौरतलब है कि नौरादेही अभ्यारण्य को अभी हाल में प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया था। अगर अफ्रीका और नामीबिया की टीम सर्वे के दौरान नौरादेही अभ्यारण्य को चीता के लिए मुनासिब समझती है तो यहां रह रहे टाइगरों को दूसरे जगह शिफ्ट करना होगा। क्योंकि चीता को यहां बसाने के लिए वन विभाग को नए सिरे से तैयारी शुरू करनी होगी। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद इस अभ्यारण्य से सटे 18 राजस्व गांवों को विस्थापन के लिए वन विभाग लगातार काम कर रहा है। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते विस्थापन काम पूरी तरह से फाइनल रूप नहीं ले पाया है। अगर चीता के लिए इस पार्क को सूची में शामिल कर लिया जाता है तो विस्थापन को लेकर विभाग का सिरदर्द पहले की अपेक्षा बहुत कम हो जाएगा। क्योंकि टाइगर के मुताबिक चीता हिंसा कम करते है।