मोदी के मन में मध्यप्रदेश और मोहन…

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मोदी के मन में मध्यप्रदेश और मोहन …

अब मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी को यह भरोसा कर लेना चाहिए कि मध्यप्रदेश तेजी से विकास की नई ऊंचाइयां प्राप्त करता रहेगा। यह गारंटी मुख्यमंत्री नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं। उन्होंने विकास की प्राथमिकताएं भी बताईं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकसित मध्य प्रदेश के निर्माण के लिए केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार खेती, उद्योग और टूरिज्म पर अधिक बल दे रही है। तो दूसरी तरफ विरासत से विकसित मध्यप्रदेश की नई यात्रा की झलक अब देखने को मिलेगी। और विरासत की बात होगी, तब प्राचीन नगरी उज्जैन को कौन भुला सकता है। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन पूरे विश्व में काल गणना के सर्वाधिक प्राचीन केंद्र के रूप में पुनर्स्थापित हो रहा है। और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्रमोत्सव हमारी गौरवशाली विरासत और विकास का उत्सव है। समृद्धशाली विरासत और विकास कार्य कैसे एक साथ उत्सव के रूप में मनाये जाते हैं, यह उसका प्रमाण है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन पूरे विश्व में वैदिक गणना की केंद्र रही है। प्राचीन समृद्ध इतिहास को फिर से स्मरण करते हुए विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी उज्जैन में स्थापित की जा रही है। यह हमारे समृद्ध अतीत को याद करने का सिर्फ अवसर नहीं है बल्कि भारत को विकसित बनाने के क्रम का साक्षी बनने का मौका भी है।
और विकसित मध्यप्रदेश की मजबूत नींव बनेंगे आत्मनिर्भर गांव। मोदी ने इसका खाका बताते हुए साफ किया कि सरकार गांवों को आत्मनिर्भर बनाने पर अधिक बल दे रही है। आत्मनिर्भर गांव ही आत्मनिर्भर प्रदेश और आत्मनिर्भर देश का निर्माण करेंगे। इसके लिए देश में सहकारिता के विस्तार पर अधिक बल दिया जा रहा है। गांव में लाखों सहकारिता समितियों का गठन किया जा रहा है। खेती, पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन और अन्य माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है। किसानों को उनकी भूमि का स्वामित्व और स्वामित्व से जुड़ी अन्य समस्याओं के निवारण के लिए पीएम स्वामित्व योजना के जरिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराया जा रहा है। मध्यप्रदेश, स्वामित्व योजना के तहत अच्छा कार्य कर रहा है। प्रदेश के गांवों का ड्रोन के माध्यम से शत प्रतिशत सर्वे किया जा चुका है। अभी तक 20 लाख से अधिक स्वामित्व कार्ड दिए जा चुके हैं। इन स्वामित्व कार्ड के उपयोग से निर्धन परिवार कई तरह के विवादित कार्यों से बचा रहेगा।
“विकसित भारत-विकसित मध्यप्रदेश” कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए मोदी के हाव-भाव और बोली-वाणी पूरी तरह से बयां कर रहे थे कि अब मध्यप्रदेश के मन में मोदी हैं तो मोदी के मन में भी मध्यप्रदेश और मोहन हैं। मोदी ने कहा कि विकास परियोजनाएं और कार्य मध्यप्रदेश को विकसित राज्य बनाने के साथ जनता के जीवन को आसान बनायेंगी। इनसे निवेश, नौकरियां और स्वरोजगार के अवसर बढेंगे। मां नर्मदा पर तीन परियोजनाओं का भूमि पूजन, जनजातीय क्षेत्र में सिंचाई के साथ-साथ पेयजल की समस्या का समाधान भी करेगा। सिंचाई के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में नई क्रांति होते दिख रही है। यह सब मोदी की मध्यप्रदेश के प्रति वह सकारात्मकता और प्रेम की झलक है, जिसे देखने के लिए मध्यप्रदेश इन भावों के साथ देखने को 2014 के बाद से तरस रहा था। जब-जब मोदी मध्यप्रदेश आए, तब-तब मोदी के हाव-भाव चर्चा में रहे और मोदी के ऐसे भावों को पाने के लिए मध्यप्रदेश तरसता सा नजर आया।
मोदी ने कहा कि प्रदेश में निवेश और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करना मोदी का संकल्प है। आने वाले समय में मध्यप्रदेश देश के प्रमुख औद्योगिक राज्यों में शामिल होगा। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का मध्य प्रदेश एक प्रमुख स्तंभ है। मध्य प्रदेश में खिलौने बनाने की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन पुराने समय में हमारे बाजार और घर विदेशी खिलौनों से भरे पड़े थे। सरकार ने देश में खिलौने बनाने वाले पारंपरिक परिवारों को विश्वकर्मा योजना के तहत मदद दी, जिसके कारण भारत में खिलौनों का आयात कम हो गया। वर्तमान में हम आयात से अधिक विदेशों में खिलौनों का निर्यात कर रहे हैं। बुधनी के खिलौने बनाने वाले साथियों के लिए यह अच्छा अवसर है। देश की कला और कौशल के प्रचार का जिम्मा भी मोदी का है। विदेशी अतिथियों को कुटीर उद्योग में बना सामान उपहार में देता हूं तो आपकी कला और कौशल का प्रचार करने का पूरा प्रयास करता हूं। तो बात चाहे 17000 करोड़ के विकासकार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन की हो या साइबर तहसील की हो, वैदिक घड़ी के लोकार्पण की हो या उद्योग, खेती और पर्यटन को प्राथमिकता देने की हो, पर सबसे असल बात मोदी के मध्यप्रदेश के प्रति बदले हुए भावों की अनुभूति की है। भाव भले ही पहले भी रहे हों, पर इनकी अनुभूति मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी कर नहीं पा रही थी। पर 29 फरवरी 2024 के कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए मोदी के हाव-भाव बहुत कुछ कह गए, जिसे लाल परेड ग्राउंड भोपाल भी महसूस कर रहा होगा कि मोदी के मन में मध्यप्रदेश और मोहन बड़े साफ नजर आ रहे हैं…।