Jeevan Darshan: 55 से ऊपर वाले लोग ध्यान से सुने यह कविता नहीं जीवन दर्शन है!
डॉ. प्रकाश निहलानी की यह जीवन दर्शन की कविता सोशल मीडिया में खूब शेयर हो रही है जिसे ५५ के पार वालों को देखना चाहिए .दुनिया का हर व्यक्ति इस जीवन को अनमोल मानता है, लेकिन सिर्फ वे ही जीवन की अनमोलता साकार कर पाते हैं, जिन्हें खुद पर विश्वास होता है। जो निहित शक्तियों का सदुपयोग सकारात्मक दिशा एवं रचनात्मक कार्यो में करते हैं।नुष्य ही क्या प्राणिमात्र के जीवन की सफलता उसके कर्मो पर निर्भर है। उसके कर्म, ज्ञान, संकल्प, साहस तथा आचरण पर निर्भर करते हैं। अपने आपको जाने बिना व्यक्ति को अपनी क्षमता का आभास नहीं हो सकता। यही वह आत्म-तत्व है जिसका विवेचन कर मनुष्य विश्वास के साथ अपने जीवन का निर्देशन करता है। सभी प्राणियों में मनुष्य में यह विशेषता होती है कि वह अपने विवेक का प्रयोग कर जीवन की एक धारा निर्धारित कर सकता है। शनै: शनै: सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। स्वयं की शक्तियों को पहचानने का ज्ञान ही तो जीवन-दर्शन का तत्व है, जिसको आत्म-तत्व भी कहते हैं। यही वह ज्ञान है जो हमें अपनी शक्तियों को समाज के कार्यो में लगाने की प्रेरणा देता है। ज्ञानेंद्रियां मन के अधीन होती हैं और मन बुद्धि के। बुद्धि का संबंध आत्मा से है जो बुद्धि को संयत रहने के लिए प्रेरित करती है,सुनिए डॉ. प्रकाश निहलानी से यह जीवन दर्शन की कविता जिसे ५५ के पार वालों को देखना चाहिए .
On Social Media:हो सके तो मुस्कुराहट बांटिये, रिश्तों में कुछ सरसराहट बांटिये