अब राजनैतिक दलों को ‘भाई’ और ‘कसाई’ में बांटेगी ‘गाय’ …

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अब राजनैतिक दलों को ‘भाई’ और ‘कसाई’ में बांटेगी ‘गाय’ …

‘गाय’ को शास्त्रों में और सनातन धर्म में पूजनीय और वंदनीय माना गया है। गाय‌ को श्री भगवती का रूप भी मानते हैं। श्री के एक हजार नाम हैं, उनमें से एक नाम गौ भी है। जिस तरह वासुदेव दो स्वरूप चल व अचल में विद्यमान हैं। चल स्वरूप में वह संतों में विद्यमान हैं तो अचल स्वरूप में वह मूर्ति के रूप में मंदिरों में स्थापित हैं। उसी तरह पृथ्वी चल रूप में गाय के स्वरूप में विद्यमान है और अचल स्वरूप में धरती मां के रूप में है। गाय में तैंतीस करोड़ देवताओं का वास माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि गाय पशु नहीं है बल्कि गाय का पशु से अलग स्वरूप है। गाय को मां इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वह हमारा पोषण करती है। बल प्रदान करती है। गाय को पाला नहीं जाता बल्कि गाय जहां रहती है वहां लोगों को पालती है। गाय की सेवा का महत्व अवर्णनीय है। बूढ़ी गाय की सेवा करने पर गाय अपने रोम-रोम से आशीर्वाद प्रदान करती है। ऐसे में भगवती और पृथ्वी का रूप गाय की हत्या का पाप सभी हिंदुओं पर पड़ता है। और गुरू का कर्तव्य है कि हिन्दुओं और सनातन धर्मियों को पाप का भागीदार न बनने दें। इसलिए समस्त हिन्दू मतदाताओं से आह्वान करना है कि गौ हत्या का समर्थन करने वाले राजनैतिक दल को अपना मत न दें। तो राजनैतिक दलों से आह्वान है कि वह यह घोषणा करें कि उनकी सरकार बनने पर गौ हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। जो राजनैतिक दल गौ हत्या पर प्रतिबंध की घोषणा करता है, उसे ‘भाई’ का दर्जा दिया जाएगा और जो राजनैतिक दल यह घोषणा नहीं करता है, उसे ‘कसाई’ का दर्जा दिया जाएगा। और सभी हिन्दू मतदाताओं से आह्वान किया जाएगा कि पाप का भागीदार न बनें और भाई राजनैतिक दल को ही अपना मत दें ताकि देश में जो सरकार बने वह गाय की रक्षा सुनिश्चित करे।
यह कहना है स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मूर्ति की स्थापना के लिए भोपाल आए ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज का। उनका मत साफ है कि गाय‌ को सरकारों को माता का दर्जा देना चाहिए। गाय को पशु की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। गाय को सम्मान देने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने देश में गौमाता को राष्ट्रीय माता का दर्जा देने की मांग की है। अपनी इस मांग के समर्थन में वह नंगे पांव गोवर्धन परिक्रमा कर संसद भवन तक पैदल मार्च करेंगे। और उस स्थान पर जाएंगे जहां पहले गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वालों पर गोलियां बरसाईं गईं थीं। दरअसल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी का मानना है कि उनके गुरुदेव स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती महाराज गौ रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध रहे हैं और 1967 में गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग को लेकर तिहाड़ जेल भी गए थे। गुरुदेव महान राष्ट्रभक्त थे और 1942 में नौ महीने जेल में रहे थे। गुरुदेव की गाय को माता की तरह प्रतिष्ठा दिलाने की सोच को लागू करवाने के लिए ज्योतिषपीठ के जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ-प्रतिष्ठा आंदोलन का आह्वान किया है। उनका साफ-साफ कहना है कि उनका भाजपा-कांग्रेस या अन्य किसी राजनैतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। उनकी मांग यही है कि हिन्दुओं के देश भारत में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया जाए और गौ हत्या पूरी तरह से बंद करवाई जाए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक लाख गौवंश की हत्या हर दिन होती है। सरकारी आंकड़ों से इतर इसकी संख्या कहीं और ज्यादा एवं भयावह है। ऐसे में राजनैतिक दलों को अब यह तय करना पड़ेगा कि वह ‘भाई’ हैं या ‘कसाई’। सोच यही है कि सभी राजनैतिक दल ‘भाई’ बन जाएं और गौ हत्या बंद हो जाए।
निष्कर्ष यही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अब ‘भाई’ और ‘कसाई’ जैसे शब्द गूंजने वाले हैं। सभी शंकराचार्य इस बात से सहमत हैं कि गाय‌ को राष्ट्र माता का दर्जा मिलना चाहिए और गौ हत्या पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उम्र में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज सबसे छोटे हैं, इसलिए गौ प्रतिष्ठा आंदोलन को लेकर वह सड़क पर उतर रहे हैं। भरी गर्मी में नंगे पांव वह गोवर्धन परिक्रमा कर 15 दिन पैदल चलकर दिल्ली पहुंचेंगे। ऐसे में देश के कोने-कोने तक सनातन धर्मावलंबियों तक उनकी बात पहुंचेगी और तब ‘भाई’ और ‘कसाई’ शब्द राजनैतिक दलों को गौ समर्थक और गौ-विरोधी विचारधारा में बांटेंगे। तो सनातन धर्म को मानने वाले मतदाता भी खुद को ‘भाई’ और ‘कसाई’ विचारधारा में बांटने को मजबूर होंगे। गौरतलब है कि 10 मार्च को छत्तीसगढ़ के भिलाई में गौ हत्या बंद करने और गाय को राष्ट्र माता घोषित करने को लेकर ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सुबह धरने पर बैठ गए थे। वे 10 बजकर 10 मिनट पर 10 मिनट के लिए सड़क पर आसन लगाकर धरने पर बैठे रहे थे। उनके समर्थन में दुकानदारों ने बाजार बंद कर दिया था। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में अपनी राय खुलकर सामने रखने पर मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्सेज शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज बन गया था। अब एक बार फिर गाय के मुद्दे पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज सड़क पर नजर आने वाले हैं। और एक बार फिर देश में मोदी वर्सेज अविमुक्तेश्वरानंद की चर्चा होने वाली है। तो हो सकता है कि मोदी के मन में भी गौ हत्या रोकने की अलख जाग जाए और भाजपा के लिए चार सौ पार का लक्ष्य पाना और ज्यादा आसान हो जाए…।