सबकी सोच पर भारी पड़े शंकर, अनिल, विवेक…
लोकसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पहली सूची में 24 प्रत्याशी घोषित हुए थे और पांच लोकसभा सीटों को रोककर रखा गया था। इनमें एक सीट छिंदवाड़ा थी, इस इकलौती सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नकुलनाथ विजयी हुए थे। और कयास यही लगाए जा रहे थे कि भाजपा किसी बड़े चेहरे को यहां उतारकर नाथ को संसद जाने से अनाथ करने पर तुली है। पर पार्टी ने यहां से विवेक ‘बंटी’ साहू को नकुलनाथ के खिलाफ मैदान में उतारकर नाथ से दो-दो हाथ करने का फैसला किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ ने निकटतम भाजपा प्रत्याशी नथनशाह कवरेती को महज 37536 मतों से मात दी थी। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ 9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
सिर्फ 1996 में हवाला केस में घिरे कमलनाथ को मजबूरन अपनी सीट से पत्नी अल्का नाथ को खड़ा करना पड़ा था और उन्हें सफलता भी मिली थी। पर जैसे ही कमलनाथ आरोपमुक्त हुए, अल्का ने इस्तीफा दे दिया और 1997 में उपचुनाव हुआ। तब कमलनाथ को बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने मात दी थी। हालांकि पटवा की यह जीत अल्प समय के लिए रही क्योंकि 1998 के चुनाव में कमलनाथ फिर जीतकर लोकसभा पहुंच गए थे। वहीं विवेक ‘बंटी’ साहू 2019 में छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी थे, तो 2023 में भी नाथ के खिलाफ उन्होंने डटकर मुकाबला किया था। दोनों बार कमलनाथ करीब 24000 मतों से विजयी हुए थे। अब विवेक ‘बंटी’ साहू के मजबूत कंधों पर लोकसभा चुनाव में नाथ के बेटे नकुल का मुकाबला करने की जिम्मेदारी है।
तो भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद यह तय माना जा रहा था कि इंदौर से वर्तमान सांसद शंकर लालवानी का टिकट कट गया है। और यहां से महिला नेत्री कतार में लग गईं थीं। एक नाम तो चर्चा में आ ही गया था। पर शंकर हठयोगी साबित हुए और तमाम कयासों का कत्ल करते हुए इंदौर के आसमान में ध्रुव तारा की तरह चमक गए। वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तो संकेत दे दिए थे कि शंकर का टिकट कट गया है। पर पहली सूची जारी होने के बाद ही शंकर लालवानी ने चुनौती स्वीकार कर हाईकमान के फैसले को मन से अस्वीकार कर दिया था। और मानो कैलाश की बात को तो एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल दिया था। जब दूसरी सूची आई, तो शंकर ने खुद को कैलाश पर भारी साबित कर दिया। हो सकता है कि कैलाश विजयवर्गीय ने शंकर को अधिक मेहनत कर टिकट हासिल करने के लिए जानबूझकर चुनौती दी हो। खैर शंकर लालवानी टिकट भी लेने में सफल रहे हैं और उनके दूसरी बार सांसद बनने में भी कोई बाधा नहीं है।
अब बात उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया की। पूर्व विधायक अनिल फिरोजिया ने अपने नाम के आगे पूर्व सांसद लिखने से खुद को बचा लिया है। चिंतामणि मालवीय एक संसदीय पारी खेल पाए थे और 2019 में उज्जैन संसदीय क्षेत्र से अनिल फिरोजिया को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला था। पर पहली सूची में नाम न आने से इनके मन में भी संशय पैदा हो गया होगा कि अब तो टिकट पाने की डगर बहुत कठिन है। महाकाल को मन में रखकर अनिल फिरोजिया ने नैया पार लगाने की मिन्नतें की होंगी। महाकाल भी भोले हैं और सोचा होगा कि जब मोहन को सीएम बना दिया है तो अनिल को फिर से सांसद का टिकट दिलाने में क्या हर्ज है। और महाकाल का आशीर्वाद पाकर अनिल फिरोजिया पहलवान साबित हो गए हैं।
2019 में धार लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी छतरसिंह दरबार ने इस संसदीय क्षेत्र से जीत का नया कीर्तिमान स्थापित किया था। उन्होंने 1 लाख 54 हजार से अधिक मत प्राप्त कर 1984 में विजयी रहे पूर्व मंत्री प्रतापसिंह बघेल के कीर्तिमान को तोड़ा था। पर 2014 में सांसद रह चुकी और 2019 में टिकट कटने से आहत सावित्री ठाकुर ने एक बार फिर 2024 में प्रत्याशी बनकर दरबार को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। तो बालाघाट में भाजपा ने नए चेहरे भारती पारधी को मैदान में उतारा है।
अब भाजपा ने मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस इस मामले में पिछड़ गई है। पर सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा की पहली सूची में बची पांच सीटों पर बदलाव की बयार के बीच शंकर और अनिल सबकी सोच पर भारी पड़े तो वहीं बाहरी चेहरे की आहट के बीच विवेक ‘बंटी’ साहू ने बाजी मार ली है…।