Story of Goods Train Fame Commissioner: मालगाड़ी वाले कमिश्नर!
गोस्वामी तुलसीदास जी ने अधम चाकरी यों ही नहीं लिखा होगा। नौकरी किये बिना कोई इस सत्य को पा ही नहीं सकता। नौकरियों के विविध प्रकार हैं तो अफ़सरों की भी कई प्रजातियाँ हैं.एक थे कमिश्नर .संभाग उनकी सल्तनत और ज़िले उनके मातहत।
ये वरिष्ठ अधिकारी (Commissioner) आज भी अपनी फितरतों और विचित्र रुचियों के लिए याद किए जाते हैं। इन्हीं फितरतों में से उनकी एक फितरत थी कि वे एयर कंडीशन रेल यात्रा या कार के बजाय मालवाहक ट्रेन से सफर करना पसंद करते थे। वे ऐसा क्यों करते थे यह अलग खोज का विषय हमेशा बना रहा लेकिन यह बात है सही! यह भी सही है कि अभी तक उनकी इस फितरत या विचित्र रुचि को खोजा नहीं जा सका। बहरहाल इसी चक्कर में जब वे जबलपुर के कमिश्नर थे ,तो न सिर्फ अधिकारी, कर्मचारी बल्कि जनता में भी वे मालगाड़ी वाले कमिश्नर के नाम से पहचाने जाने लगे थे।
जानिए उनकी एक और फितरत के बारे में…..
उनके पहले दौरे में उन्होंने पाया कि सर्किट हाउस का AC नकारा है। उतनी ठंडक नहीं देता जो उन्हें ठंडा रख पाये। वे भले और सज्जन थे पर उस दिन भड़क गए। वे गरम हुए और होते चले गए। उनकी क्रोधाग्नि में भस्म होने से पहले हमारे चतुर EE PWD ने क्षमा मांगते हुए एक नया AC तत्काल लगाने का संकल्प लिया। पर, कमिश्नर स्वदेशी वाले रहे होंगे उन्होंने कहा -नो मोर AC ,आप यहाँ बड़ा सा कूलर लगाइये।
ओके सर मैं AC निकाल लेता हूँ कूलर लगा देता हूँ- EE ने विनम्रतापूर्वक कहा ….
(कमिश्नर थोड़े नाराज़गी भरे लहजे में) आपको AC हटाने का किसने कहा ?
सॉरी सर .समझ गया। कमिश्नर महोदय के आदेश का तत्काल पालन हुआ। अब हमारे सर्किट हाउस में उस कक्ष में एसी और कूलर एक साथ शोभायमान थे।
कमिश्नर महोदय कई वर्षों तक रहे .उनके स्थानांतरण के बाद भी उनका अनूठा नवाचार उस सर्किट हाउस में उनकी स्मृतियाँ जीवंत बनाये रहा। अगले भ्रमण में वे अपने आदेश के क्रियान्वयन पर मुग्ध हुए और मुझसे पूछे -क्यों SDM साहब अब तो यह कक्ष पर्याप्त ठंडा रहता होगा ? मैंने विनम्रतापूर्वक कहा – Yes Sir.