Kissa-A-IAS:चाय वाले का बेटा जिसने 3 बार UPSC क्रैक की,IRTS,IPS और अंततः IAS!
प्रतिभा कभी परिवार की आर्थिक स्थिति की मोहताज नहीं होती। बल्कि, अभाव के हालात में ज्यादा निखरती है। इसलिए कि मन में कुछ करने की लगन हो तो प्रतिभाशाली किसी भी मुकाम तक पहुंच सकते हैं। लोग कहते हैं कि जिसके पास कोचिंग में खर्च करने के लिए अच्छे-खासे पैसे हैं वही, IAS बन पाते हैं। गरीबी से जूझ रहे या कम पैसों में चल रहे घर के बेटे के लिए यह करना मुश्किल है। जबकि, वास्तव में ऐसा नहीं है। इस बात को साबित किया है मजदूर के बेटे हिमांशु गुप्ता ने जो खुद एक चाय वाले थे, आज IAS अधिकारी है। गरीबी और कई कठिनाइयों के होने के बावजूद इन्होने कभी हार नहीं मानी, सबका डट का सामना किया और अंत में कड़ी मेहनत करके UPSC में सफलता हासिल की।
हिमांशु गुप्ता की कहानी हर उस युवा को प्रेरित करती है, जो परेशानियों और कठिनाइयों के बीच पढ़ाई छोड़ने का सोचते हैं। हिमांशु का बचपन बेहद गरीबी में कटा। आर्थिक स्थिति ठीक न होने से उनका बचपन दूसरे बच्चों से बिलकुल अलग था। उन्होंने बचपन अत्यधिक गरीबी में बिताया। स्कूल जाने के लिए रोजाना 70 किमी का सफर किया। पिता का हाथ बंटाने के लिए चाय की दुकान पर काम भी किया। उत्तराखंड के सितारगंज के रहने वाले हिमांशु गुप्ता ने अपनी कड़ी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की और IAS अफसर बने। जिंदगी से उनकी जंग और सफलता की कहानी हर युवा को प्रोत्साहित करती है, जो अभाव के बावजूद लक्ष्य तक पहुंचने की हिम्मत रखते हैं।
उनके पिता अपनी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर सके थे। वे दिहाड़ी मजदूरी करते थे और चाय का ठेला भी लगाते थे। पिता की मदद के लिए वे भी दुकान पर बैठा करते थे। जब उनके दोस्त चाय की दुकान के पास से गुजरते तो वे छुप जाया करते थे। लेकिन, एक दिन किसी ने उन्हें दुकान पर देख लिया और फिर चाय वाला कहकर उनका मजाक उड़ाया जाने लगा। लेकिन, उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बजाए पढ़ाई पर फोकस किया। पिता ने भी कभी अपने बेटे की पढ़ाई से समझौता नहीं किया। पिता के साथ दुकान पर खाली समय में वे अखबार पढ़ा करते थे। उन्होंने देखा कि आईएएस और आईपीएस देश की सबसे बड़ी सेवा है। धीरे-धीरे उनका रुझान भी IAS -IPS बनने का हुआ। वे घर से 35 किलोमीटर दूर पढ़ने जाते थे। इस तरह उन्हें हर दिन 70 किमी का सफर तय करना पड़ता था।
स्कूली शिक्षा के बाद हिमांशु गुप्ता उत्तराखंड से दिल्ली आ गए और यहां डीयू के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया। ग्रेजुएट होने वाले वे अपने परिवार के पहले व्यक्ति थे। उन्होंने हिंदू कॉलेज में टॉप किया। कॉलेज की फीस जमा करने के लिए ट्यूशन भी की। उन्होंने UPSC की तैयारी के लिए कोचिंग नहीं की। हिमांशु गुप्ता ने 2018 में पहली बार में ही UPSC क्लियर किया। लेकिन, तब उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए हुआ।अगले साल (2019) में उन्होंने फिर UPSC परीक्षा दी और उनका सिलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए हो गया। लेकिन, उनका लक्ष्य तो IAS था। उन्होंने 2020 में अपने तीसरे प्रयास में अपना लक्ष्य यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पा लिया। तीसरी बार में मेहनत रंग लाई। UPSC में उनकी ऑल इंडिया 139 रैंक रही। उन्हें 2021 में यूपी कैडर मिला। फ़िलहाल वे उन्नाव के संयुक्त मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं।
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