United Against BJP Candidate : धार लोकसभा सीट के BJP उम्मीदवार को लेकर विरोध पनपा!
New Delhi : लोकसभा चुनाव में भाजपा में जितना सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा है, वास्तव में ऐसा नहीं है। कई उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के दूसरे गुट में विरोध पनप रहा है। मालवा की आदिवासी सीट धार से घोषित भाजपा उम्मीदवार सावित्री ठाकुर को लेकर असंतोष कुछ ज्यादा है। क्योंकि, वे चुनाव की रेस में कहीं दिखाई नहीं रही थी, पर अचानक उनके नाम की घोषणा कर दी गई।
धार लोकसभा सीट से किसी महिला को टिकट देने की बात शुरुआत से की जा रही थी। यही कारण था कि पहली बार में घोषित 24 सीटों में धार का नाम नहीं था। बाद में जब बची 5 सीटों के उम्मीदवारों के नाम सामने आए, तो सावित्री ठाकुर का नाम देखकर सब चौंके। क्योंकि, वे 2014 में धार से चुनाव जीती थी, पर 2019 के लोकसभा चुनाव में उनका नाम काट दिया गया था।
इस बार जो नाम उम्मीदवारी की रेस में शामिल थे, उनमें प्रदेश में मंत्री रही मनावर की पूर्व विधायक रंजना बघेल का भी नाम था। इसके अलावा कुछ और नेता दौड़ में थे। इस बीच कांग्रेस से भाजपा में आए और तीन बार धार से सांसद रहे गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को भी शामिल माना जाने लगा। लेकिन, सावित्री ठाकुर का नाम सच में चौंकाने वाला था। वे धार संसदीय क्षेत्र से सांसद रही हैं, लेकिन तब भी उनका विरोध रहा।
जब सावित्री ठाकुर का नाम सामने आया उसी दिन से धार के कई भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ ख़म ठोंक रखा है। जानकारी मिली है कि धार के कुछ नेता सावित्री खिलाफ एकजुट होकर दिल्ली गए हैं। वे किसी भी स्थिति में टिकट बदलाना चाहते हैं। वे सावित्री ठाकुर के खिलाफ वे सारे दस्तावेज भी लेकर गए हैं, ताकि उनकी जगह किसी और को टिकट दिलवाया जा सके। बताते हैं कि टिकट की घोषणा के साथ ही धार से कई पत्र भी अमित शाह और जेपी नड्डा को लिखे गए।
यह लिखा अमित शाह को लिखे पत्र में
इस पत्र में सावित्री ठाकुर को टिकट दिए जाने के पीछे प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और हितानंद शर्मा का हाथ बताया गया है। लिखा गया कि वे आदिवासियों के साथ में भेदभाव कर रहे हैं और फूट डालो राजनीति करो योजना से काम कर रहे। सीनियर आदिवासी लीडर्स को साइड लाइन किया जा रहा है और रबर स्टांप की तरह जो काम कर पाए उन्हें यह टिकट दिलवाया जा रहा है। धार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता में सावित्री ठाकुर का विरोध है। धार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर आठ विधानसभा में से मात्र तीन भारतीय जनता पार्टी की है पांच कांग्रेस की है। विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की सभाएं हुई, तो भी आदिवासी क्षेत्र में असर नहीं हुआ|
सावित्री ठाकुर के विरोध के जो कारण गिनाए गए
1. लोकसभा क्षेत्र में एक्टिव नहीं है। जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता और जनता में पकड़ नहीं।
2. नशाखोरी में लिप्त रहना। उनकी हरकतों की चर्चाएं पूरे लोकसभा क्षेत्र में है। कुछ साल पहले वीडियो भी वायरल हुए।
3. पार्टी के लिए योगदान में शून्य है। चाहे जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर परिषद हो।
4. आदिवासियों में अच्छा खासा विरोध, कोई पसंद नहीं करता। 5. अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना।
6. 2014 से 2019 तक के कार्यकाल को लेकर जनता में नाराजगी।
7. 2019 में टिकट कट जाने से डिप्रेशन में चली गई थी और शीर्ष नेतृत्व को गाली गलौच दे रही थी। उसका वीडियो 4 साल पहले बहुत वायरल हुआ था।