Fine on Railways : आरक्षित सीट होने पर भी 256 यात्रियों को बैठने को नहीं मिला, रेलवे पर 12.90 लाख जुर्माना!

उपभोक्ता फोरम का आदेश, रेलवे के इतिहास में संभवत: पहली बार इतना बड़ा जुर्माना!

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Fine on Railways : आरक्षित सीट होने पर भी 256 यात्रियों को बैठने को नहीं मिला, रेलवे पर 12.90 लाख जुर्माना!

Indore : उपभोक्ता फोरम ने 5 साल पुराने एक मामले में रेलवे पर 12 लाख 90 हजार रुपए का जुर्माना ठोका। इसलिए कि सीट कंफर्म होने के बावजूद यात्रियों को बैठने को नहीं मिला। रेलवे के इतिहास में संभवत: पहली बार इतनी बड़ी राशि देने का आदेश कंज्यूमर कोर्ट ने किया है। फोरम ने आदेश दिया कि एक माह में रेलवे भुगतान नहीं करता है तो जुर्माने की राशि 8% ब्याज सहित देनी होगी।

यह मामला 2019 का है। जैन समाज के 256 लोगों ने शिप्रा एक्सप्रेस से शिखरजी जाने के लिए इंदौर से पार्श्वनाथ तक के लिए रिजर्वेशन कराया था। उनकी सीट कंफर्म थी। जब वे ट्रेन में पहुंचे तो उनकी सीटों पर दूसरे लोग कब्जा जमाए बैठे थे। इस पर यात्रियों ने रेलवे के अधिकारियों से लेकर रेल मंत्री तक को शिकायत की, लेकिन उनकी समस्या नहीं सुनी गई। ट्रेन में टीटी भी नहीं था। इसके बाद पीड़ित यात्रियों ने इंदौर में उपभोक्ता फोरम की शरण ली।

सुनवाई के बाद फोरम ने रेलवे की गलती मानी और सभी पीड़ित 256 यात्रियों को 5-5 हजार रुपए, कुल 12.90 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया है। इन 256 यात्रियों ने 26 घंटे की यात्रा में काफी परेशानियां झेलीं। सफर के दौरान ही इंदौर और रतलाम समेत कई स्टेशन पर शिकायत की। बताया कि हमने रिजर्वेशन कराया, हमारे पास टिकट है, हमारी सीटें कंफर्म है। जिन पर दूसरे लोगों ने कब्जा किया है। बावजूद रेलवे ने समस्या हल नहीं की।

पीड़ितों ने एडवोकेट रोहित जैन के जरिए साल 2020 में इंदौर कोर्ट में रेलवे के खिलाफ दावा लगाया। एडवोकेट जैन के मुताबिक फोरम ने 28 मार्च को रेलवे को दोषी मानते हुए प्रति यात्री 5 हजार रुपए हर्जाना और 10 हजार रुपए परिवाद का खर्च समेत कुल राशि 12.90 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया है।

 

टीटी की भूमिका सबसे गंभीर मानी गई 

फोरम ने टीटी की भूमिका को गंभीर लापरवाही माना। फोरम ने कहा कि यात्री अपनी ट्रेन टिकट आरामदायक यात्रा करने के लिए लेता है। इस केस में रेलवे की लापरवाही के कारण यात्रियों की यात्रा आरामदायक होने के बजाय त्रास दायक हो गई। केस में दस्तावेजों के रूप में टिकट, पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत, अखबारों की न्यूज, लीगल नोटिस अहम रहे।