डॉ अंबेडकर जन्मस्थली स्मारक समिति में करोड़ों के घोटाले का मामला, दो तिहाई बहुमत से समिति सचिव को किया बाहर
दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट
महू (इंदौर) डॉ भीमराव अंबेडकर जनस्थली स्मारक समिति महू में 3 साल के बाद फिर उथल-पुथल हुई है। इस बार दो तिहाई बहुमत से मौजूदा सचिव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जबकि फर्जी सदस्यों को लेकर एक मामला पहले से न्यायालय में विचाराधीन है।
महू में आज दूसरी बार डॉक्टर अंबेडकर स्मारक समिति के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। पिछली बार उन्होंने समिति सचिव राजेश वानखेड़े पर बैंक खातों में जमा कुल राशि का खुलासा नहीं करने, दान राशि का खुलासा नहीं करने और नियम अनुसार समिति की बैठक नहीं करने का आरोप लगाया था। आज पुनः प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर बताया गया की सचिव राजेश वानखेड़े को दो तिहाई बहुमत से सचिव पद से हटा दिया गया है।
समिति उपाध्यक्ष प्रकाश वानखेड़े ने जानकारी देते हुए बताया की समिति सचिव राजेश वानखेड़े जब से नियुक्त किए गए हैं तभी से मनमानी पर उतर आए हैं। वह बैंक खातों के मामले में जानकारी नहीं दे रहे हैं कि उसमें कितना पैसा जमा है और कितना खर्च हुआ है। इस बारे में वे समिति के सभी सदस्यों को अंधेरे में रखे हुए हैं। हर बार में सबको नाना प्रकार की धमकियां देते रहते हैं। जबकि बैंकों में जमा राशि लाखों रुपए में है। इतना ही नहीं दान भी और दैनिक उगाया जाने वाला गुप्त दान भी लाखों रुपए में है।
ऐसा लगता है की समिति सचिव ने डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली पर पैसों का दुरुपयोग किया है, जिसके कारण स्मारक समिति की छवि को भारी नुकसान पहुंच रहा है तथा अपमानित भी होना पड़ रहा है। इसलिए दो तिहाई सदस्यों ने एकमत होकर सचिन राजेश वानखेड़े को उनके पद से हटा दिया है। मांग की गई है कि उनके कार्यकाल में खर्च की गई राशि का ब्योरा दें ताकि इस समिति पर किसी प्रकार का दाग नहीं लग सके।
गौरतलब है कि 3 साल पहले यह समिति का निर्माण शासन की तरफ से किया गया था उसके खिलाफ पूर्व सचिव और उनके सदस्य साथियों ने न्यायालय में शरण ले रखी है। और केस विचाराधीन है। ऐसे में मौजूद सचिव को हटाना लाखों रुपए के घोटाले पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है कि इसका हिसाब किताब आखिर शासन प्रशासन की नजर में किस तरह से रखा गया है। समिति सचिव को किस प्रकार की छूट दी गई है कि वह चाहे जितना धन उगा ले और चाहे जितना धन खर्च कर ले। जयंती समारोह में इसे लेकर विवाद हो सकते हैं। लेकिन जिम्मेदार लोग इस समय केवल 14 अप्रैल जयंती उत्सव में लगे है।