होशंगाबाद DFO रहते जांच में पाए गए थे दोषी, रीवा CCF द्वारा औषधीय बीज खरीदारी मामले में वन बल प्रमुख ने बनाई जांच कमेटी

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होशंगाबाद DFO रहते जांच में पाए गए थे दोषी, रीवा CCF द्वारा औषधीय बीज खरीदारी मामले में वन बल प्रमुख ने बनाई जांच कमेटी

भोपाल। रीवा CCF अजय पांडे द्वारा औषधीय बीज खरीदारी करने का मामला ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है। रिटायर्ड उप वन संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी की शिकायत पर वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति की अगुवाई में दुबारा जांच कमेटी बनाई है। जांच कमेटी में कृष्णमूर्ति के अलावा दो IFS अधिकारी पीके मिश्र और अनिल शुक्ल जांच कमेटी के सदस्य है।

जांच कमेटी के अध्यक्ष एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि वन मुख्यालय से इस मामले में जांच के लिए आदेश मिला है। जांच की कार्रवाई जारी है। जांच पूरी होने के बाद फाइनल रिपोर्ट वन बल प्रमुख को सौंप दिया जाएगा।

गौरतलब है कि अजय पांडे होशंगाबाद वर्ष 2019, 20 और 21 में DFO रहते हुए इन पर आर्थिक भ्रष्टाचार करने का गंभीर आरोप लगा था। विभाग के अधिकारी मधुकर चतुर्वेदी ने DFO पांडे के खिलाफ वर्ष 2022 में वन मुख्यालय में पहली बार शिकायत की थी।

मधुकर चतुर्वेदी ने बताया कि अजय पांडे DFO रहते हुए 18 लाख रूपये का आया हल्दी सहित अन्य औषधीय बीज भोपाल स्थित एक बीज भंडार से खरीदारी किए थे। संबंधित दुकान को भुगतान भी किए थे। खरीदारी को लेकर वन विभाग का नियम है कि अगर एक लाख रूपये से अधिक की कोई भी वस्तु की खरीदारी करनी है तो उसके लिए बकायदा टेंडर प्रक्रिया जारी करना होता है। इसके अलावा रालेगांव सिद्धि के टूर प्रोग्राम और कंप्यूटर खरीदारी के मामले को लेकर अजय पांडे पर अर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए आर पी राय की अगुवाई में जांच कमेटी पाई गई। आरपी राय ने अपनी जांच में डीएफओं अजय पांडे सहित रेंजर अंशु सोनी और हर गोविंद मिश्रा को दोषी पाया था। हालांकि डीएफओं अजय पांडे ने जांच कमेटी पर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि एक जूनियर अधिकारी किसी सीनियर अधिकारी की जांच नहीं कर सकता है। जिसके चलते विभाग से पांडे को राहत मिल गई थी।

भ्रष्टाचार का आरोप होने के बावजूद भी मिला प्रमोशन-
भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे होने के बावजूद भी अजय पांडे को विभाग ने प्रमोशन देते हुए उन्हें सीसीएफ बनाया और रीवा संभाग में सामाजिक वानिकी जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी पर तैनात किया। शिकायकर्ता मधुकर चतुर्वेदी ने बताया कि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाया था। अजय पांडे को जब प्रमोशन का लाभ मिला तो हाईकोर्ट ने इस मामले में विभाग को डायरेक्शन भी दिया था। लेकिन उसके बावजूद भी विभाग ने हाईकोर्ट के डायरेक्शन को गंभीरता से नहीं लिया। विभाग से जुडे अधिकारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद अजय पांडे के मामले में जांच कमेटी अपनी कार्रवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।