माधवराव-अर्जुन सिंह के कारण निर्दलीयों को मिल गए थे 40 लाख वोट,अब15 लाख पर सिमट गए
भोपाल:मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का दखल अब बेअसर सा होता दिखाई दे रहा है। अभी निर्दलीय चुनाव का परिणाम बदलने की क्षमता के साथ लोकसभा चुनाव में उतरते थे, अब वे मात्र चंद वोट पाने वाले बन गए हैं। मध्य प्रदेश में करीब 28 साल पहले माधवराव सिंधिया और अर्जुन सिंह के कारण निर्दलीयों ने चालीस लाख वोट पा लिए थे। प्रदेश के लोकसभा चुनाव के इतिहास में यह पहला और आखिरी चुनाव था जब निर्दलीयों को इतने वोट मिले थे।
मध्य प्रदेश का जब विभाजन नहीं हुआ था, तब लोकसभा चुनाव में निर्दलीयों की स्थिति यह थी कि उन्हें लाखों वोट मिलते थे। वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में निर्दलीयों ने 40 लाख 25 हजार 320 वोट पाए। इस चुनाव में निर्दलीय ने चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड बनाया था। मध्य प्रदेश में एक हजार 128 निर्दलीय इस चुनाव में उतरे थे। यह संख्या प्रदेश के लोकसभा चुनाव में अब तक से सबसे अधिक रही हैं।
*दो दिग्गजों के कारण निर्दलीयों ने भरा था दम*
खास बात यह रही कि थी कि इस चुनाव में माधवराव सिंधिया और अर्जुन सिंह के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में इतने वोट आए थे। दरअसल माधवराव सिंधिया की मध्य प्रदेश विकास पार्टी और अर्जुन सिंह की तिवारी कांग्रेस को निर्वाचन आयोग ने निर्दलीय ही माना था। माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर से जीत दर्ज की थी,वहीं तिलक राज सिंह सीधी से लोकसभा चुनाव जीते थे। वहीं कुछ लोकसभा क्षेत्रों में इन दोनों दलों के उम्मीदवारों ने खास दम भरा था और लाखों वोट पाए थे। इसके चलते इस चुनाव में निर्दलीयों को 40 लाख वोट मिल गए थे।
अब 15 लाख पर सिमटे
वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में निर्दलीयों ने 15 लाख 89 हजार 991 मत प्राप्त किए थे। इससे पहले 2014 के चुनाव में 12 लाख 49 हजार 653 वोट, 2009 के चुनाव में 13 लाख 9 हजार 505 वोट ही निर्दलीयों को मि
ले थे।