Politico Web: याचक की मुद्रा में 90 करोड़ बहुसंख्यक

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अलीगढ़ में जन्मे और कुरान का अध्ययन कर चुके राष्ट्रवादी चिंतक व विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ आजकल पूरे देश में घूम घूम कर हिन्दुओं में बहुसंख्यक होने की चेतना जागृत कर रहे हैं। वे न तो भाजपा से जुड़े हैं और न ही संघ से। वे राष्ट्रवादी चिंतक व विचारक के रूप में तल्ख लहजे में कहते हैं कि भारत एक ऐसा अनोखा देश है जहां की बहुसंख्यक 90 करोड़ जनता समान नागरिक अधिकारों की भीख मांग रही है। आम तौर पर जो लोग अल्पसंख्यक होते हैं वे इस तरह की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को संसद के कामकाज पर बारीक नजर रखने की जरूरत है। कई बार सरकारें वोटबैंक बनाने के फेर में एजेंडे के तहत देश को कब्जाने देने की साजिशें रच रही होती हैं और हम छोटे स्वार्थों वाले गैरजरूरी मुद्दों में उलझे रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब लोगों को वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 और प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 को समझने और उस पर जागरुक होने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने सोमवार को इसी मंतव्य के साथ भोपाल में आयोजित विचार संगोष्ठी ”विश्व पटल पर सनातन संस्कृति की शाश्वतता” में अपने 143 मिनट के निर्बाध उद्बोधन में अपने विचार खुल कर रखे।

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घातक है वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट का आर्टिकल 40

पूर्व पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013 का जिक्र करते हुए कहा कि इसका एक प्रावधान आर्टिकल 40 बेहद खतरनाक है। यह बोर्ड को यह अधिकार देता है कि बोर्ड के दो सदस्यों को देश में कहीं भी यह लगे कि कोई संपत्ति पहले वक्फ की थी, वह उसे अपने कब्जे में ले सकता है। ऐसी सूरत में पूरी मशीनरी को उस आदेश पर अमल कराना होता है। हाई कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं हो सकती। बीते एक दशक में देश में इस कानून के माध्यम से सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम बेधड़क हो रहा है और हम गैरजरूरी मसलों पर चीख पुकार मचाते रहते हैं।

ताजमहल वक्फ की संपत्ति

हद तो 2005 में हुई जब वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को ही वक्फ संपत्ति घोषित कर दी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया, वहां उसे स्टे तो मिल गया पर गले पर तलवार तो अभी भी अटकी हुई है।वक्फ बोर्ड चाहता है कि बैठे ठाले उसे हर माह करोड़ों की आय मिलने लगे। आपको पता होना चाहिए कि पहली बार वक्फ प्रापर्टी एक्ट 1923 में बना था, 1956, 1986 ऍऔर 2013 में इसमें संशोधन किया गया। इस दौरान कौन सी सरकारें सत्ता में थीं और उनका एजेंडा क्या था, यह बताने की जरूरत नहीं है।

तय एजेंडे पर काम

उन्होंने प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क का हवाला देते हुए कहा कि कोरोनाकाल में पार्क में मस्जिद, मजार और दूसरे कई निर्माण हो गए। मामला जानकारी में आया तो हमारी टीम के एक सदस्य विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट में पिटीशन डाली। तब हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा, लताड़ लगाई गई। तब कहीं जाकर वहां से वे मजारें हटाई गईं। फिर भी वहां एक मजार बनी रह गई थी, जब उसे हटाने के लिए कोर्ट ने तारीख दी तो कम्प्यूटर आपरेटर ने विशेष एजेंडे के तहत जानबूझ कर उस दिन उस मामले को लिस्ट ही नहीं किया था। वह तो विष्णु शंकर जैन हैं जो न्यायाधीश के समक्ष पहुंच गए और बोले कि आज आपने सुनवाई के लिए हमारा भी दिन तय किया है। तब कहीं जाकर पता चला कि खेल किस तरह से खेला जा रहा है और एक हम बहुसंख्यक हिन्दू हैं, समूह में यह समझ ही नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बाद से सरकारी जमीन घेरने का सिलसिला देशभर में चल रहा है।

वक्फ तीसरा सबसे बड़ा जमींदार

आंध्रप्रदेश के एक न्यायाधीश के हवाले से उन्होंने कहा कि जज के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा जमीन रेलवे के पास है। उसके बाद डिफेंस और फिर वक्फ बोर्ड के पास है जमीन का कब्जा। आए दिन मामले सामने आते हैं, जब अचानक मजारें अस्तित्व में आ रही हैं। दिल्ली के संजय गांधी उद्यान में भी मजार का मामला सामने आया है। कई नवनिर्मित फ्लाईओवर पर भी मजारें देखा जा सकती हैं। रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डे तक इससे अछूते नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बाद से सरकारी जमीन घेरने का सिलसिला देशभर में चल रहा है।

फ्री यानी बरबादी

हिन्दुओं को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में लगता है जैसे सबसे अधिक हिन्दू बिकाऊ है, दो रुपये किलो चावल और एक रुपये किलो गेहूं, सस्ती बिजली में दिल्ली की सरकार चुन ली जाती है। सरकारों को चुनते वक्त हमारे मन में कायरता, डर और लालच रहता है? इतने सस्ते में हम सत्ता ऐसे लोगों को सौंप देते हैं, जिनके अपने निजी एजेंडे हैं, उन्हें राष्ट्र और राज्य दोनों से कोई मतलब नहीं। याद रखिएगा कि सरकारें बदलने से राष्ट्र नहीं बदलते। आपके वर्तमान को देखकर दुनिया भविष्य में आपको याद रखेगी, यह आप पर निर्भर है कि किस प्रकार का आप इतिहास बना रहे हैं।

आनेवाले वक्त की आहट को पहचानें

उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों से हमें पढ़ाया जा रहा है कि बाबर, औरंगजेब ने क्या किया, क्या इससे पहले भारत नहीं था? दुनिया भर में सरकारें राष्ट्र नहीं चलातीं, वह देश चलाती हैं। हम किसी सरकार का समर्थन या विरोध नहीं करते हैं, हम तो बस इतना जानते हैं कि जब तक संस्कृति है तब तक यह देश और राष्ट्र है। देश को अखंड रखना है तो राष्ट्र को जागृत करना होगा उसके बगैर यह संभव नहीं है। सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि आनेवाले वक्त की आहट को पहचानें।

अल्पसंख्यक आयोग की जरूरत क्यों

उन्होंने सवाल उठाते हुए वक्फ प्रॉपर्टी एक्ट 2013, सच्चर कमेटी, अल्पसंख्यक आयोग की बुनियाद पर ही सवाल उठाया। वे कहते हैं पंथनिर्पेक्ष इस देश में अल्पसंख्यक आयोग की जरूरत ही क्यों है। देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए तभी ऐसे आयोग बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थितियां अराजकता की तरफ बढ़ रही हैं। 90 करोड़ हिन्दुओं को पता ही नहीं चल रहा है कि उनके साथ कौन सा खेल खेला जा रहा है?

सच्चर कमेटी की संवैधानिकता पर सवाल

वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र ने 2005 में बनी सच्चर कमेटी के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कमेटी संवैधानिक नहीं है। वास्तविकता यही है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी मर्जी से मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का परीक्षण करने के लिए समिति बनाने का निर्देश जारी किया जबकि अनुच्छेद 14 और 15 के आधार पर किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त करने की शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद-340 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास निहित है, लेकिन इस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं। समिति का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद-77 के उल्लंघन है और 2006 से इसके बहाने हजारों करोड़ रुपये मुसलमानों के विकास के नाम पर खर्च हो रहे हैं।

अल्पसंख्यक नीति है ही नहीं

उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अल्पसंख्यक होने के क्राइटेरिया को लेकर क्या सरकार के पास कोई नीति है। नीति नहीं है, फिर भी इस कमेटी की सिफारिश पर देश में 5000 करोड़ का सालाना बजट हर साल मुसलमानों को दिया जाता है। इस तरह से यह भारतीय संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जो लोग टैक्स देते हैं उन्हें सरकार से यह पूछना चाहिए कि आखिर हमारे लिए और हमारे बच्चों के लिए कहां क्या सुविधाएं दे रहे हैं।

9 राज्यों में हिन्दु अल्पसंख्यक

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 2011 की जनगणना आंकड़ों के अनुसार 9 राज्यों में हिन्दु अल्पसंख्यक हो ही चुके हैं। कुछ राज्यों में हिंदुओं की संख्या नगण्य है, इसके बाद भी मुस्लिम ही अल्पसंख्यक हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लक्षद्वीप में 2%, मेघालय में 11%, नगालैंड में 8%, मणिपुर में 31%, अरुणाचल में 29%, मिजोरम में 2%, जम्मू-कश्मीर में 28% प्रतिशत और पंजाब में 38% ही हिंदू हैं। इन राज्यों में वास्तव में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इसके बाद भी यहां मुसलमान ही अल्पसंख्यक कहलाते हैं और वे ही सारी अल्पसंख्यक से जुड़ी सुविधाएं लेते हैं। आखिर यह कहां का न्याय है और संविधान के समानता के अधिकार का पालन कहां हो रहा है।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट एक धोखा

उन्होंने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था के साथ पूरी तरह धोखा करार दिया। उन्होंने प्राचीन हिन्दू मंदिरों का मामला उठाते हुए इशारों-इशारों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की कि वे कम से कम भोजशाला धार को तो पूरी तरह से हिन्दुओं को साधना के लिए सौंप दें। चौथी बार सत्ता में आने के बाद भी यह नहीं कर सके तो कब करेगें। कुलश्रेष्ठ ने 1991 में बने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस कानून के चलते देशभर के 30 हजार मंदिरों से हिन्दुओं का दावा बिना अपना पक्ष रखे खारिज कर दिया गया है। भारत की संसद को इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि मेरे पूर्वजों के जिन मंदिरों को विधर्मी लुटेरों ने लूट लिया था, उसे हम वापस न ले सकें। उन्होंने कहा कि रातोंरात अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी के दबाव में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बनाया। इसी के कारण तिरूपति मंदिर में प्रतिवर्ष 1300 करोड़ और माता वैष्णो देवी मंदिर में प्रतिवर्ष 560 करोड़ के चढ़ावे का अधिकांश हिस्सा सरकार अपने कब्जे में लेकर विधर्मियों के उत्थान पर खर्च कर रही है।

संकेतों को समझने का समय

उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के साथ शुरू से खिलवाड़ पिछली सरकारें करती रही हैं। यह पहली सरकार है, जो भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए आगे आई है। काशी विश्वनाथ कोरिडोर हो या अन्य देव स्थान आपको इस सरकार के काम स्पष्ट दिखाई देंगे। एक वक्त था जब इसी देश के किसी प्रधानमंत्री ने सेक्युलर देश के नाम पर स्पेन में मूर्ति स्थापना कार्यक्रम के लिए मना कर दिया था, लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी केदारधाम जा रहे हैं। वे गुफा में ध्यान भी कर रहे हैं, इससे समझ जाना चाहिए कि देश की 90 करोड़ हिन्दू जनता को वह क्या संदेश देना चाहते हैं। इसके बाद भी यदि भारत का हिन्दू नहीं जागता है तो फिर कोई कुछ नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ ही यह हम सबकी भी जिम्मेदारी है कि आनेवाले वक्त की आहट को पहचानें।

हर बार सनातन बनकर वोट दीजिए

समस्त सनातनियों के जगाते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पांच साल में एक बार तो सिर्फ सनातनी बनकर वोट दीजिए। यह विरला मौका पांच साल में एक बार ही मिलता है। सरकार सिर्फ देश चलाती है, लेकिन हम पूरा समाज राष्ट्र को संचालित करते हैं। देश से राष्ट्र सदैव बड़ा होता है। हमें एकजुट होकर सामाजिक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा देशहित में पूर्व में लिए गए निर्णयों की सराहना की। उनका कहना यही था कि सब कुछ की चाबी सरकार के पास है, ऐसा हमें नहीं मानना चाहिए। राष्ट्र क्या है यह हम सभी समझें, वह देश से बड़ा होता है। देश आखिर एक जमीन का टुकड़ा है, उस छोटे से जमीन के टुकड़े को सरकार चलाती है, यह किसी ना किसी विधान से चलती है। उसमें मैं, आप कोई हों, उन्हें उस विधान को मानना होता है। इस सबसे अलग होकर होता है राष्ट्र, उसे चलाने की जिम्मेदारी समाज की होती है, राष्ट्र चलता है मेरे और आपके विश्वास से, परम्पराओं, संस्कारों से। इसलिए हम सभी अपने राष्ट्र के स्व को पहचानें और उसके लिए कार्य करें। इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जो-जो भी करना चाहिए वह सब कुछ करें।